Child Health in UP: मीड डे मील खाने से 75 बच्चों की बिगड़ी सेहत, बीआरडी में 9 माह की बच्ची की मौत पर हंगामा

सांकेतिक फोटो
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उत्तर प्रदेश। गोरखपुर जिले में मिड-डे मील में परोसे गए खाने के कारण 75 बच्चों की तबीयत अचानक बिगड़ गई। जिसके बाद उन्हें असप्ताल में भर्ती कराना पड़ा। वहीं गोरखपुर के ही बीआरडी मेडिकल कॉलेज में 9 माह की बच्ची की मौत हो गई। परिजनों ने अस्पताल प्रशासन द्वारा लापरवाही बरतने का आरोप लगाकर जमकर हंगामा काटा। जबकि शाहजहांपुर में एक प्राइवेट अस्पताल में एक प्रसूता की डिलवरी के बाद मौत हो गई। इस मामले में भी परिजनों ने अस्पताल प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए हंगामा खड़ा कर दिया। इस मामले में परिजनों की तहरीर प्राप्त कर पुलिस ने कार्रवाई शुरू कर दी है।

जनिये क्या है मिड डे मील मामला?

गोरखपुर के चरगांवा ब्लॉक क्षेत्र के सराय गुलरिहा स्थित कंपोजिट पूर्व माध्यमिक विद्यालय में मिड डे मील खाने से 75 बच्चे बीमार हो गए। उल्टी, चक्कर और पेट दर्द की शिकायत पर उन्हें सीएचसी, चरगांवा ले जाया गया। 15 बच्चों को मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया जबकि 51 को प्राथमिक उपचार के बाद छोड़ दिया गया। वहीं देर शाम 9 और बच्चों को डिस्चार्ज कर दिया गया। ग्रामीणों का आरोप है कि भोजन में कीड़े होने से बच्चे बीमार पड़े। उधर प्रशासन का दावा है कि वह कीड़े नहीं बल्कि राजमा के बीज का मूलांकुर है।

घटना की सूचना के बाद पहुंची दो एंबुलेंस और अन्य वाहनों में बच्चों को सीएचसी ले जाया गया। खाद्य सुरक्षा एवं औषधि विभाग द्वारा मध्याह्न भोजन और किचन में मौजूद राजमा की सैंपलिंग की गई है। राजमा का गहन निरीक्षण किया गया। प्रथम दृष्टया पाया गया कि राजमा बीज का मुलांकुर भिगोने व पकाने के दौरान राजमा से अलग होकर सब्जी की ग्रेवी में चला जाता है, जो कीड़े जैसा प्रतीत होता है। वस्तुतः राजमा के बीज का मूलांकुर है।

इस मामले में सीएमओ डॉ. आशुतोष दूबे ने बताया कि कुल 75 बच्चों को सीएचसी चरगांवा ले जाया गया था। 51 बच्चों को प्राथमिक उपचार के बाद तत्काल छोड़ दिया गया। कुल 15 बच्चे भर्ती किए गए थे, उन्हें भी बाद में डिस्चार्ज कर दिया गया। बच्चों को उल्टी, मिचली, चक्कर, पेट दर्द की शिकायत थी। खाद्य विभाग की टीम को सैंपलिंग का निर्देश दिया गया है।

बाल रोग विभाग में भर्ती नौ माह की बच्ची की मौत

गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज के बाल रोग विभाग में भर्ती नौ माह की बच्ची की मौत हो गई। जानकारी के अनुसार, सूर्यकुंड मोहल्ला निवासी वशिष्ठ सिंह की नौ माह की बेटी आर्या उर्फ बेबी को दस्त व शरीर में सूजन होने पर बुधवार को बाल रोग विभाग के 100 नंबर वार्ड पर भर्ती कराया गया। परिजनों के मुताबिक डॉक्टरों ने खून चढ़ाने के लिए कहा। खून चढ़ाया जा रहा था, लेकिन कुछ देर के लिए रुक गया। इसके बारे में परिजनों ने डॉक्टर को बताया तो उन्होंने कहा कि यह हमारा काम नहीं है। वार्ड की सिस्टर से बात कीजिए। सिस्टर ने यह कहकर टाल दिया कि दो ही स्टॉफ हैं, जब समय मिलेगा तो जाकर देख लेंगे।

परिजनों का आरोप है कि डॉक्टर ने मरीज को डिस्चार्ज कराकर नर्सिंग होम में ले जाने की सलाह दी। डेढ़ घंटे के बाद सिस्टर ने आकर देखा तो दोबारा खून चढ़ाया गया। शुक्रवार की सुबह पांच बजे तक बच्ची की तबीयत ठीक थी। बाद में उसे ऑक्सीजन लगा दिया गया। एक घंटे के बाद डॉक्टरों ने बच्ची को मृत घोषित कर दिया। इसके बाद परिजनों ने हंगामा शुरू कर दिया। वहीं इस मामले में बीआरडी मेडिकल कालेज के प्रमुख अधीक्षक डॉ. राजेश कुमार राय ने बताया, "इस मामले की कोई जानकारी नहीं है। लिखित शिकायत आने पर जांच कराई जाएगी। यदि कोई दोषी पाया गया तो कार्रवाई की जाएगी।"

डिलीवरी के बाद प्रसूता की मौत

शाहजहांपुर में डिलीवरी के बाद एक महिला की इलाज के दौरान मौत हो गई। महिला ने ऑपरेशन के बाद बेटे को जन्म दिया था। कुछ देर हालत ठीक रहने बाद उसकी तबीयत बिगाड़ गई। पति का आरोप है कि कई बार डॉक्टर को बुलाया, लेकिन डॉक्टर इलाज करने नहीं आए।

मामला थाना जलालाबाद क्षेत्र के मोहल्ला इमलिया निवासी रजनीश ने 20 साल की पत्नी रजनी को शाहजहांपुर में थाना सदर बाजार क्षेत्र के नव ज्योति प्राइवेट नर्सिंग होम भर्ती कराया था। शुक्रवार दोपहर डॉक्टर ने रजनी का आपरेशन किया। रजनी ने बेटे को जन्म दिया था। परिवार में खुशी की लहर दौड़ गई थी। शनिवार को अचानक रजनी की हालत बिगड़ने लगी। पति रजनीश ने डॉक्टर को बुलाया लेकिन डॉक्टर ने आने में देर लगा दी। आरोप है कि स्टाफ ने आकर बगैर कुछ देखे पत्नी को बोतल लगा दी। उसकी नाक की नली से तीन थैली खून भी निकाल लिया था। पति ने कहा कि उसके सामने पत्नी ने रो रोकर दम तोड़ दिया। पत्नी कह रही थी कि अस्पताल में इलाज ठीक नहीं हो रहा है। उसको यहां से लेकर जाओ। लेकिन डाक्टर बार-बार कहे रहे थे कि इलाज ठीक हो रहा है। मरीज की तबीयत में सुधार हो रहा है। उसके मरने के बाद डाक्टर ने जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ते हुए दूसरे प्राइवेट अस्पताल रेफर कर दिया। दूसरे अस्पताल में पहुंचने के बाद डाक्टर ने देखते ही मृत घोषित कर दिया। उसके बाद पति समेत अन्य रिश्तेदारों ने नव ज्योति अस्पताल के डाक्टर और स्टाफ पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए थाने में तहरीर दी है।

पति ने कहा कि, पत्नी से बढ़कर कुछ नहीं था। डाक्टर कहते तो और पैसा दे देते। पत्नी के लिए सभी खेती बेच देते लेकिन पत्नी को हर हाल में बचा लेते। पति ने कार्रवाई की मांग की है। थाना प्रभारी रविंद्र सिंह ने बताया कि महिला की इलाज के दौरान मौत हो गई। पति ने डाक्टर पर लापरवाही का आरोप लगाया है। तहरीर प्राप्त हो गई है। शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। जांच के बाद केस दर्ज किया जाएगा।

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