MP में चाँदीपुरा वायरस का अलर्ट, इंदौर के संदिग्ध मरीज का सेंपल पुणे भेजा गया, जानिए बचाव के क्या हैं उपाय?

भोपाल के जिला चिकित्सालय, हमीदिया अस्पताल और एम्स की ओपीडी में मरीजों की संख्या बढ़ गई है। इनमें ज्यादातर मरीज वायरल से ग्रस्त हैं। चांदीपुरा वायरस के लक्षण वायरल के जैसे ही है। डॉक्टर्स का कहना है, हल्की शर्दी, जुकाम या सिरदर्द जैसे लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर्स से परामर्श लें।
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भोपाल। प्रदेश में चांदीपुरा (CHPV) नामक वायरस के मरीज मिलने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने प्रदेश में एडवाइजरी जारी कर दी है। डॉक्टर्स के मुताबिक उपरोक्त एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम, विभिन्न वायरस, बैक्टीरिया, फंगस, परजीवी, स्पाईरोकेट्स, रसायन य विषाक्त पदार्थों आदि से तंत्रिका संबंधी होने वाला रोग है।

द मूकनायक से बातचीत करते हुए भोपाल के सीएमएचओ डॉ. प्रभाकर तिवारी ने बताया कि यह वायरस मच्छरों के काटने से फैलता है। जिस तरह डेंगू से बचाव किया जाता उसी तरह के उपाय इसे रोकथाम में कारगर है।

डॉक्टर प्रभाकर ने आगे कहा, "यह बीमारी कम उम्र के बच्चों में ज्यादा होती है। कह सकते है 18 वर्ष तक आयु वाले लोगों में इसका प्रभाव ज्यादा हो सकता है। इसलिए खासतौर पर बच्चे और युवा विशेष बचाव करें। इसमें 104 डिग्री तक बुखरा आता है। फीवर के साथ दौरे आना, उल्टी, सिर दर्द, सुस्ती, अंगों की गति में कमी या मानसिक स्थिति में बदलाव हो सकते हैं। कुछ प्रकरणों में पहले पतले दस्त, श्वास संबंधी समस्या होना और प्लेटलेट काउंट में कमी आना भी देखा गया है। इसलिए उक्त लक्षण होने पर तुरंत नजदीक में अस्पताल जाए या विशेषज्ञ से सलाह लें।"

ओपीडी में मरीजों की बढ़ी संख्या

भोपाल के जिला चिकित्सालय, हमीदिया अस्पताल और एम्स की ओपीडी में मरीजों की संख्या बढ़ गई है। इनमें ज्यादातर मरीज वायरल से ग्रस्त हैं। चांदीपुरा वायरस के लक्षण वायरल के जैसे ही है। डॉक्टर्स का कहना है, हल्की शर्दी, जुकाम या सिरदर्द जैसे लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर्स से परामर्श लें।

इंदौर में चांदीपुरा वायरस का मरीज मिलने से स्वास्थ्य अमला सचेत हो गया है। 22 वर्षीय इस मरीज का उपचार निजी अस्पताल में चल रहा है। मरीज की स्थिति अभी गंभीर है, उसके सैंपल जांच के लिए पुणे भेजे गए हैं। इंदौर, सीएमएचओ डॉ. बीएस सैत्या ने शनिवार को खरगोन सीएमओ को सूचना दी। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग की टीम हरकत में आई। शनिवार दोपहर टीम ने संदिग्ध युवक के घर व आसपास रहवासी क्षेत्र में सघन सर्वे भी किया। हालांकि यहां टीम को अन्य कोई संदिग्ध नहीं मिला है।

स्वास्थ्य विभाग के अनुसार युवक को बुखार आने के बाद छह अगस्त को अरबिंदो अस्पताल में भर्ती किया गया था। यहां डॉक्टरों ने जांच की, लेकिन कोई बीमारी सामने नहीं आई। इसके बाद चिकित्सकों को उसमें चांदीपुरा वायरस के लक्षण मिले। जिसके बाद डीपीएचसी लैब व आईडीएसपी शाखा इंदौर ने समन्वय स्थापित कर युवक के सैंपल लेकर जांच के लिए एनआईवी पुणे भेजे हैं। स्वास्थ्य विभाग की टीम पीपलगोन में सर्वे कार्य में जुट गई है।

क्या है चांदीपुरा वायरस?

इसका नाम सुनने में लगेगा कि कोई नया वायरस है, लेकिन ऐसा नहीं है। इसका पहला मामला 1965 में महाराष्ट्र के गांव चांदीपुरा में आया था। इसीलिए इसका नाम चांदीपुरा पड़ा। गुजरात में हर साल इस वायरस के मामले दर्ज होते हैं। इस बार मामले तेजी से बढ़े हैं। इस वायरस का संबंध बैकुलोवायरस से है। यह मच्छर, टिक और सैंड फ्लाई (रेत मक्खी) जैसे वेक्टर के काटने से फैलता है।

यह है बचाव के उपाय-

• नियमित रूप से साबुन और पानी से हाथ धोना चाहिए। विशेष रूप से जानवरों को छूने के बाद और दूषित वातावरण में जाने के बाद हाथ धोएं।

• जंगली जानवरों और उनके आवासों के साथ संपर्क कम से कम रखें।

• संभावित रूप से संक्रमित जानवरों या उनके ऊतकों को संभालते समय, संक्रमण के जोखिम को कम करने के लिए दस्ताने और मास्क जैसे उपयुक्त सुरक्षात्मक उपकरण पहनें।

• वायरस के संचरण में कीटों की संभावित भूमिका को देखते हुए, कीट निरोधक और मच्छरदानी का उपयोग करने से जोखिम को कम करने में मदद मिल सकती है।

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