2023 के अध्ययन में विश्वभर में हृदय संबंधी मौतों में चिंताजनक वृद्धि, जानिए एक्सपर्ट इसके कारण और उपाय पर क्या कहते हैं?

वैश्विक हृदय स्वास्थ्य संकट पर आए अध्ययन ने हृदय संबंधी मौतों में चिंताजनक वृद्धि से लोगों को आगाह किया. मामले के जानकारों के अनुसार अगर मनुष्य ने दैनिक लाइफस्टाइल पर ध्यान नहीं दिया तो बड़ी आबादी को भुगतने होंगे गंभीर परिणाम.
वैश्विक हृदय स्वास्थ्य संकट: अध्ययन में महाद्वीपों में हृदय संबंधी मौतों में चिंताजनक वृद्धि का पता चला.
वैश्विक हृदय स्वास्थ्य संकट: अध्ययन में महाद्वीपों में हृदय संबंधी मौतों में चिंताजनक वृद्धि का पता चला.ग्राफिक- द मूकनायक
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नई दिल्ली: एक व्यापक अध्ययन से पता चलता है कि पूरे एशिया, यूरोप, अफ्रीका और मध्य पूर्व के क्षेत्र हृदय संबंधी बीमारियों में वृद्धि से जूझ रहे हैं, जिनमें उच्च रक्तचाप, उच्च कोलेस्ट्रॉल, आहार जोखिम और वायु प्रदूषण के कारण मृत्यु दर में वृद्धि शामिल है। वाशिंगटन विश्वविद्यालय में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ और इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन (आईएचएमई) के विशेषज्ञों द्वारा किए गए शोध में 21 क्षेत्रों के डेटा का विश्लेषण किया गया, जिससे पता चला कि हृदय रोग से संबंधित मौतों में 1990 में 12.4 मिलियन से 2022 में 19.8 मिलियन तक की चिंताजनक वृद्धि हुई है।

अमेरिकन कॉलेज ऑफ कार्डियोलॉजी के जर्नल में प्रकाशित अध्ययन, हृदय रोगों (सीवीडी) के वैश्विक प्रभाव पर प्रकाश डालता है और चिंताजनक मृत्यु दर में योगदान देने वाले रोकथाम प्रिवेंटिबल मेटाबोलिक, पर्यावरण और व्यवहार संबंधी जोखिमों की भूमिका पर जोर देता है। शोधकर्ताओं ने 2015 और 2022 के बीच अध्ययन किए गए 204 स्थानों में से 27 में हृदय से संबंधित मौतों में उल्लेखनीय वृद्धि देखी।

अमेरिका में नेशनल हार्ट, लंग और ब्लड इंस्टीट्यूट (एनएचएलबीआई) के निदेशक जॉर्ज ए मेन्सा ने हृदय-स्वस्थ समुदायों के लिए कार्यों का मार्गदर्शन करने के लिए स्थानीय रूप से प्रासंगिक डेटा का उपयोग करने के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन के रूप में 2023 कैलेण्डर के महत्व पर जोर दिया। शोध दल ने वैश्विक सीवीडी मृत्यु दर के प्रमुख कारण के रूप में इस्केमिक हृदय रोग की पहचान की, जिसमें प्रति 100,000 जनसंख्या पर लगभग 110 मौतों की आयु-मानकीकृत दर है, इसके बाद मस्तिष्क रक्तस्राव (brain hemorrhage) और इस्कीमिक स्ट्रोक होता है।

अध्ययन में उच्च मृत्यु दर वाले विशिष्ट क्षेत्रों पर भी प्रकाश डाला गया, जिसके लिए मध्य एशिया, पूर्वी यूरोप, उत्तरी अफ्रीका और मध्य पूर्व को उच्च सिस्टोलिक रक्तचाप के लिए जिम्मेदार ठहराया गया। इसी तरह, मध्य एशिया, ओशिनिया और उत्तरी अफ्रीका और मध्य पूर्व के कुछ हिस्सों में हृदय रोग के बोझ में आहार संबंधी जोखिमों का महत्वपूर्ण योगदान पाया गया।

पेपर के वरिष्ठ लेखक और आईएचएमई के एसोसिएट प्रोफेसर ग्रेगरी ए. रोथ ने हृदय रोगों की लगातार चुनौती पर चिंता व्यक्त की, जिससे बड़ी संख्या में समय से पहले और रोके जा सकने वाली मौतें हो रही हैं। पूर्वी यूरोप में प्रति 100,000 जनसंख्या पर 553 मौतों के साथ कुल सीवीडी मृत्यु दर सबसे अधिक दर्ज की गई, जबकि ऑस्ट्रेलिया में प्रति 100,000 लोगों पर 122.5 मौतों की दर सबसे कम दर्ज की गई।

रोथ ने लागत प्रभावी उपचारों के अस्तित्व, जोखिम कारकों की पहचान और उपचार, और समग्र स्वास्थ्य में सुधार के लिए सरल, स्वस्थ विकल्पों को बढ़ावा देने पर जोर दिया। शोधकर्ताओं, ग्लोबल बर्डन ऑफ कार्डियोवस्कुलर डिजीज सहयोग का हिस्सा, ने 2023 प्रकाशन को 2022 ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज (जीबीडी) अध्ययन के अपडेट के रूप में प्रस्तुत किया। कैलेण्डर, 204 देशों और क्षेत्रों के डेटा को शामिल करते हुए, परिवर्तनीय हृदय जोखिम कारकों, बीमारी के बोझ पर उनके प्रभाव और रोकथाम में हाल की प्रगति में अंतर्दृष्टि प्रदान करता है।

डायबिटीज, हाइपरटेंशन, कार्डिक और हार्ट सर्जन डॉ. गौरव विवेक सचान (एमडी मेडिसिन), वैश्विक स्तर पर ह्रदय सम्बंधित चिंताओं के बारे में द मूकनायक को बताते हैं कि, आज कल बहुत कम उम्र के बच्चों में हार्ट अटैक या दिल का दौरा पड़ रहा है. इसके पीछे बहुत सारी वजहें हैं. वर्तमान समय की लाइफस्टाइल में लोगों में तनाव काफी हद तक बढ़ चुका है, और तनाव की वजह से आपकी बॉडी में जो हार्मोन्स होते हैं, उनका असंतुलन हो जाता है. इससे हार्ट के मायोकार्डियम (myocardium) लेयर (हार्ट के तीन लेयर्स - epicardium, myocardium, और endocardium में से एक) में सूजन आ जाता है. जो ह्रदय की गंभीर बीमारियों का कारण बनता है. 

डॉ. गौरव विवेक सचान बताते हैं कि, फास्ट फूड कल्चर बढ़ता जा रहा है। स्पाईसी फूड, और तला-भुना चीज लोग ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं. इसके अलावा स्मोकिंग और अल्कोहल भी ह्रदय की समस्याओं का कारण बनती हैं। इन सब की वजह से आपके ब्लड में जो कोलेस्ट्रॉल का लेवल होता है वो एक नॉर्मल रेंज से ज्यादा हो जाता है। जब कोलेस्ट्रॉल का लेवल ब्लड में बढ़ता है तो आपकी नसों में कोलेस्ट्रॉल का जमाव होने लगता है. इससे नसें मोटी होने लगती हैं. नतीजन, हार्ट को पम्प करने में ज्यादा काम करना पड़ता है. इससे हार्ट अटैक का रिस्क बढ़ जाता है. 

लोगों में बढ़ती हार्ट समस्या के एक कारण के रूप में उन्होंने लोगों का फिजिकली एक्टिव न होना भी बताया. उनका मानना है कि लोगों का शारीरिक श्रम बहुत कम हो गया है. इससे कोलेस्ट्रोल बढ़ जाता है और हार्ट अटैक की संभावनाएं बढ़ जाती हैं.

“Post-Corona वायरस भी इसका एक कारण है. Corona की चपेट में लगभग कर कोई आया. इसने शरीर के हर अंग पर असर डाला. इससे कुछ लोगों की मौत भी हो गई। कुछ ठीक भी हो गए. जो Corona से ठीक हो गए हैं उनमें post-covid कॉम्प्लीकेशन्स आ रहे हैं. Covid का असर आज भी हम मरीजों में देखते हैं जो हमारे पास, साँस फूलने, हार्ट और लंग्स से सम्बंधित समस्याओं को लेकर आते हैं”, डॉ. सचान हार्ट की समस्याओं का कारण Covid महामारी को भी मानते हैं.

इसके रोकथाम के रूप में डॉ. सचान सुझाव देते हैं कि, आपके खानपान में बैलेंस डाइट होना चाहिए. आजकल शुगर बहुत कॉमन हो गया, जो लोगों में रोगों से लड़ने की क्षमता घटा देता है. इसलिए दैनिक खानपान पर विशेष ध्यान दें. स्मोकिंग और एल्कोहल का प्रयोग न करें. जहां तक हो सके फ़ास्ट-फूड बहुत कम खाना चाहिए, इन्सान को घर का बना भोजन खाना चाहिए. आदमी को फिजिकली एक्टिव होना चाहिए. सभी को 25 से 30 मिनट पैदल चलना चाहिए, या आप जिम भी कर सकते हैं. यह सब आपके वेट को दुरुस्त रखेंगे. इससे आप हार्ट की समस्याओं से बच सकते हैं.

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