गुजरात। राज्य सरकार द्वारा पोषण को नियंत्रित करने के लिए 811 करोड़ रुपये की योजनाओं की घोषणा के बाद भी गुजरात राज्य में कुपोषित बच्चों की बढ़ती संख्या चिंताजनक है। राज्य सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, पिछले 30 दिनों में 18,819 कुपोषित बच्चे सामने आए हैं और 5,881 कम वजन वाले बच्चों का पंजीकरण किया गया है।
बनासकांठा जिले में सबसे ज्यादा कुपोषित बच्चे (1535) दर्ज किए गए हैं। नवसारी जिले में अब तक पंजीकृत कुपोषित बच्चों की सबसे कम संख्या 93 है। सबसे कम 80 बच्चे नर्मदा जिले में दर्ज किए गए हैं। अहमदाबाद नगर निगम क्षेत्र से घूमते हुए गंभीर रूप से कुपोषित 1445 बच्चों का पंजीकरण किया गया है। जबकि सबसे कम 112 बच्चों का पंजीकरण गांधीनगर नगर निगम क्षेत्र में हुआ है।
राष्ट्रीय पोषण मिशन (National Nutrition Mission) के तहत पिछले 3 वर्षों में केंद्र सरकार द्वारा 29976.16 लाख रुपये की राशि आवंटित की गई है। इसमें से तीन साल में आंगनबाडी सेवा योजना (Anganwadi Service Scheme) के तहत 99,395 लाख रुपये और पूरक पोषण कार्यक्रम (supplementary nutrition programme) के लिए 89,389.74 लाख रुपये आवंटित किए गए। वित्तीय वर्ष 2020-21 के दौरान 1 अप्रैल, 2020 तक गुजरात सरकार के पास 14,779.16 लाख रुपये की राशि उपलब्ध थी। इसलिए केंद्र सरकार ने अनुदान आवंटित नहीं किया। अत्यधिक कुपोषित उन बच्चों को माना जाता है जो बाल विकास मानक-3SD से नीचे Z स्कोर में आते हैं। आयु वर्ग के अनुसार बच्चों का वजन और कद बहुत कम होता है।
पिछले 30 दिनों में राज्य में कम वजन के 5,881 बच्चों का जन्म हुआ है। सबसे ज्यादा 328 बच्चे मेहसाणा जिले में दर्ज किए गए हैं। सबसे कम 26 मामले जूनागढ़ शहर में दर्ज किए गए हैं। LBW वाले बच्चों में 723 (1.74%) बच्चे गंभीर स्थिति में हैं। 5159 (12.46%) बच्चे मध्यम वर्ग में आते हैं। प्रदेश के 23 जिलों में कुपोषित बच्चों यानी जन्म से ही कम वजन वाले बच्चों की संख्या बढ़ती जा रही है।
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