राजस्थान: मौसम की मार से अमरूद की खेती बर्बाद, किसानों की जमा-पूंजी डूबी

मौसम की मार से अमरूद की खेती बर्बाद [फोटो- अब्दुल माहिर, द मूकनायक]
मौसम की मार से अमरूद की खेती बर्बाद [फोटो- अब्दुल माहिर, द मूकनायक]
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देश के कोने-कोने में स्वादिष्ट अमरूद की मिठास बिखेरने वाले राजस्थान के अमरूद उत्पादन करने वाले किसानों के सामने बड़ी चुनौती। लाखों टन अमरूद समय से पहले पक कर खराब हुए। अमरूद की फसल के भारी नुकसान से किसानों के जीवन में आई कड़वाहट।

जयपुर। राजस्थान के सवाईमाधोपुर के अमरूद की मिठास इसे देश भर में पैदा होने वाले अमरूदों से अलग करती है। लेकिन इस सीजन क्लाईमेट परिवर्तन से यह फसल समय से पूर्व पक कर गिरने लगी है। इस नुकसान से किसानों के जीवन में कड़वाहट देखी जा रही है। बीते दिनों बे-वक्त बादलों के छाने से तापमान बढ़ा तो अमरूद का फल समय से पहले पक कर नीचे गिरने लगा। यहां के किसानों की माने तो बीते एक सप्ताह में सवाईमाधोपुर जिले में लाखों टन अमरूद पक कर खराब हुए हैं। तापमान में वृद्धि के साथ ही इस फल के दाम गिरने लगते हैं।

सवाईमाधोपुर जिले के शेषा गांव में मौसम परिवर्तन के साथ तापमान बढ़ा तो अमरूद का फल पक कर नीचे गिर गया। [फोटो- अब्दुल माहिर, द मूकनायक]
सवाईमाधोपुर जिले के शेषा गांव में मौसम परिवर्तन के साथ तापमान बढ़ा तो अमरूद का फल पक कर नीचे गिर गया। [फोटो- अब्दुल माहिर, द मूकनायक]

बादल छाने से एक ही रात में पक कर खराब हो जाता है अमरूद

सवाईमाधोपुर जिले के शेषा गांव के किसान इस्लामुद्दीन ने अपने खेतों में अमरूद का बगीचा लगा रखा है। बीते एक सप्ताह से मौसम प्रतिकूल नही है। इस्लामुद्दीन ने द मूकनायक से बात करते हुए कहा कि, "बादलों के साथ तापमान बढ़ता है। शाम को फल हरा रहता है। सुबह आकर देखते हैं तो पक कर नीचे गिर जाता है। फल सड़ जाता है।"

राजस्थान के सवाईमाधोपुर जिले के शेषा गांव में अमरूद की खेती करने वाले किसान इस्लामुद्दीन [फोटो- अब्दुल माहिर, द मूकनायक]
राजस्थान के सवाईमाधोपुर जिले के शेषा गांव में अमरूद की खेती करने वाले किसान इस्लामुद्दीन [फोटो- अब्दुल माहिर, द मूकनायक]

मौसम खराब होने से नीचे गिरा फल दिखाते हुए इस्लामुद्दीन ने कहा कि, "काफी नुकसान हो रहा है। सरकार भी हमारी कोई मदद नही करती। महंगी दवाई डालते हैं। अभी बगीचों में 70 प्रतिशत तक नुकसान हुआ है।" उन्होंने द मूकनायक से कहा कि "आप आए हैं तो यह देख लीजिए। हमारी बात सरकार तक पहुंचाओ। हम बर्बाद हो चुके हैं।"

राजस्थान के सवाईमाधोपुर जिले के शेषा गांव में अमरूद की खेती करने वाले किसान अफसार [फोटो- अब्दुल माहिर, द मूकनायक]
राजस्थान के सवाईमाधोपुर जिले के शेषा गांव में अमरूद की खेती करने वाले किसान अफसार [फोटो- अब्दुल माहिर, द मूकनायक]

'नहीं मिल रहा पर्याप्त दाम, 1200 के माल का मंडी तक ले जाने में 600 रुपये लग जाता है किराया'

इसी गांव के अफसार खान भी अमरूद की खेती करते हैं। बीते शुक्रवार को अफसार ने भी अन्य किसानों के साथ फरीदाबाद की सब्जी मंडी में 4 कैरेट (80) किलो अमरूद बेचने के लिए अमरूद वाहन में लोड कर भेजे थे। अफ़सार ने बताया, "मंडी में पहुंचने के बाद 80 किलो अमरूद 1200 रुपए के बिके। 5 रुपये प्रति नग मंडी में अनलोडिंग मजदूरी ली गई। वाहन चालक को 140 रुपये प्रति कैरेट के हिसाब से 560 रुपये किराया लगा। 80 किलो अमरूद के उसे 620 रुपये मिले। इसमें अमरूद तोड़ कर कैरेट में जमाने, अखबार की रद्दी व उसकी मजदूरी अलग से है। फरीदाबाद सब्जी मंडी में ले जाकर अमरूद बेचने पर उसे 7.75 पैसे प्रति किलो मिला है। इस बार अमरूद की खेती घाटे का सौदा साबित हो रही है।"

किसानों से 6 रुपए प्रति किलो के भाव से अमरूद खरीदता बिचौलिया [फोटो- अब्दुल माहिर, द मूकनायक]
किसानों से 6 रुपए प्रति किलो के भाव से अमरूद खरीदता बिचौलिया [फोटो- अब्दुल माहिर, द मूकनायक]

अमरूद की फसल को हरा सोना कहा जाता था

एक समय तक सवाईमाधोपुर जिले में अमरूद की फसल को (हरा सोना) के नाम से भी जाना जाता था। पांच वर्ष पहले तक प्रति पेड़ एक हजार रुपये किसान की आमद (आमदनी) हुआ करती थी, लेकिन अब उत्पादन के साथ ही अमरूद के भाव भी गिर गए हैं। इसके पीछे जलवायु परिवर्तन का कारण बताया जा रहा है। विशेषज्ञ बताते हैं कि, अमरूद साल में दो बार फल देता है, लेकिन अच्छी क्वॉलिटी व क्वांटिटी के लिए किसान सर्दी के मौसम में अमरूद की फसल लगाते हैं। बीते कुछ वर्षों से मौसम में परिवर्तन देखा जा रहा है। बेमौसम बारिश व बादल छाने से अमरूद में रोग लगाने के साथ ही उत्पादन क्षमता भी कम हुई है। इसकी गुणवत्ता में भी फर्क आने लगा है। नतीजतन अब दाम भी कम मिल रहे हैं।

अमरूद की खेती करने वाले किसान शमशुद्दीन खान [फोटो- अब्दुल माहिर, द मूकनायक]
अमरूद की खेती करने वाले किसान शमशुद्दीन खान [फोटो- अब्दुल माहिर, द मूकनायक]

खराब मौसम ने पेड़ काटने पर मजबूर किया

भारजा गद्दी गांव में 20 साल पहले से अमरूद की खेती कर रहे निवर्तमान शिक्षक शमसुद्दीन खान भी धीरे-धीरे अमरूद के पेड़ों को हटा कर गेहूं की खेती करने लगे हैं। इस वर्ष उन्होंने लगभग अमरूद के पांच सौ से अधिक पेड़ नष्ट कर गेहूं की बुवाई कर दी है। खान बताते हैं कि जलवायु परिवर्तन से अन्य सालों के मुकाबले आधा फल भी नहीं आया है। लोग अब समरूद की खेती से परेशान होने लगे हैं। "बहुत कम भाव मिल रहा है। इसलिए अमरूद हटाकर दूसरी फसल के लिए जमीन तैयार की है। क्लाइमेट अच्छा होता तो फल भी अच्छा लगता। मौसम खराब होने की वजह से किसान परेशान हैं," खान ने कहा।

उत्पादन प्रभावित होने के कारण किसानों ने अमरूद के पेड़ों को काटा [फोटो- अब्दुल माहिर, द मूकनायक]
उत्पादन प्रभावित होने के कारण किसानों ने अमरूद के पेड़ों को काटा [फोटो- अब्दुल माहिर, द मूकनायक]

सूरवाल में कृषि अधिकारी के पद पर कार्यरत विजय जैन बताते हैं कि सवाईमाधोपुर जिले में लगभग 18 हजार हेक्टियर भूमि में अमरूद की खेती है। अब इसमें किसानों का रुझान धीरे-धीरे कम होने लगा है। इस वर्ष अमरूद के नए पेड़ लगाने में भी किसानों में अरुचि देखी गई। वर्तमान में यहां लगभग 20 हजार से अधिक कृषक परिवारों की आजीविका सीधे तौर पर अमरूद की खेती से जुड़ी है। इनके अलावा व्यापारी, वाहन चालक, बिचौलिया व मजदूर वर्ग के हजारों परिवार भी इस खेती से जुड़े हैं। बीते कुछ वर्षों से मौसम में बदलाव देखा जा रहा है। असमय बरसात हो रही है। गर्मी में बारिश व सर्दी में गर्मी का अहसास हो रहा है। सर्दी के मौसम में बादल छाने व तापमान में वृद्धि अमरूद के लिए घातक है। इस मौसम में गर्मी से अमरूद असमय पक कर खराब हो जाता है। जिले में अमरूद के बगीचे काटने की जानकारी भी मिल रही है।

मंडी में लाया गया अमरूद [फोटो- अब्दुल माहिर, द मूकनायक]
मंडी में लाया गया अमरूद [फोटो- अब्दुल माहिर, द मूकनायक]

देश के सभी प्रदेशो में पहुंचता है सवाईमाधोपुर का अमरूद

राजस्थान में सवाईमाधोपुर का अमरूद देश के हिमाचल व जम्मू कश्मीर तक पहुंचता है। इनके अलावा दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश व महाराष्ट्र तक अमरूद पहुंचता है। राजस्थान में अमरूद की खेती सवाईमाधोपुर के अलावा करौली, टोंक, बूंदी व भीलवाड़ा जिले में भी प्रमुखता से होती है। इन दिनों यहां के किसान भी खराब मौसम की मार झेल रहे हैं।

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