विद्युत आपूर्ति नहीं होने, महंगा डीजल व नहरी तंत्र के फेल होने से फसलों की नहीं हो पा रही सिंचाई
लखनऊ। आजादी के 75 सालों में हुआ तकनीकी विकास भी फसलों की सिंचाई के लिए मानसून पर निर्भरता कम नहीं कर पाया है। इस बार यूपी में मानसून के कमजोर रहने से किसानों के सामने फसलों की सिंचाई का संकट खड़ा हो गया है। खेतों में खड़ी खरीफ की फसलें सूख रही हैं। हालातों का जायजा लेने के लिए द मूकनायक टीम ने लखनऊ से सटे सीतापुर जिले का दौरा कर जमीनी हकीकत की पड़ताल की। इस दौरान किसानों ने बताया कि सिंचाई के अभाव में सूख रही फसल को चारे के रूप में इस्तेमाल कर रहे है। वहीं कृषि अधिकारियों का कहना है कि पर्याप्त सिंचाई नहीं होने से फसलों के उत्पादन में 30 से 40 प्रतिशत तक की कमी आएगी।
गन्ने को चारे की तरह खिला रहे
सीतापुर के मिश्रिख विकास खंड के नौतनवा गांव निवासी किसान रामविलास ने बताया कि तीन हैक्टेयर में धान की बुवाई की थी। सिंचाई का साधन नहीं हो पाया इसलिए फसल सूख गई। मेरा बहुत नुकसान हो गया है। इधर, गन्ने की खेती के लिए सबसे ज्यादा जरूरत पानी की होती है। बिजली कटौती की वजह से किसान गन्ने की फसल को पर्याप्त पानी नहीं दे पा रहे हैं। इसलिए उनकी फसल लगातार खराब हो रही है। अप्रैल में अमरोहा जिले के दीपपुर गांव के किसान ने बिजली कटौती से परेशान होकर अपने 14 बीघे की गन्ने की फसल को आग लगा दी थी। सीतापुर के सिधौली ब्लॉक निवासी किसान रामचरण ने बताया कि गन्ने की फसल की सिंचाई नहीं हो पाई है। सूख रहे गन्ने को चारे की तरह जानवरों को खिला रहे है।
महंगा डीजल बढ़ा देता है लागत
महमूदाबाद निवासी किसान रमेश गौतम ने बताया कि पेट्रोल-डीजल महंगा हो चुका है। जनरेटर के डीजल में प्रति एकड़ के हिसाब से महीने की सिंचाई का करीब 6 हजार का अतिरिक्त खर्च आता है। गांवों में 9 से 10 घंटे की कटौती हो रही है। जब लाइट रहती है तो वोल्टेज कम होता है, इसलिए ट्यूबवेल लोड नहीं ले पाता। एक साथ कई ट्यूबवेल चलने की वजह से लाइन ट्रिप हो जाती है और हमें और भी ज्यादा कटौती का सामना करना पड़ता है। फसल खराब होती है, इससे किसानों को नुकसान तो झेलना ही पड़ता है।
यूपी में 62 जिलों की मांगी रिपोर्ट
इधर, राज्य सरकार ने सूबे के 62 जिलों को सूखाग्रस्त घोषित करने की कवायद शुरू कर दी है। वहीं 14 सितम्बर तक जिला कलक्टर को फसल खराबें की रिपोर्ट सौंपने के आदेश दिए है। इधर, द मूकनायक की पड़ताल में ये सामने आया कि सीतापुर के कई ब्लॉकों में कृषि अधिकारियों-कर्मचारियों ने किसानों से सूखे से हुए नुकसान की जानकारी तक एकत्र नहीं की है। ऐसे में सभी किसानों को फसल खराबे का मुआवजा मिल पाएगा। इसपर भी संशय बना हुआ है।
सूखाग्रस्त घोषित होने से मिलेगी राहत
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