नई दिल्ली: इस माह अप्रैल की शुरुआत में देश के उन वैकल्पिक मीडिया समूह के यूट्यूब चैनलों को बंद करने के नोटिस प्राप्त हुए हैं जिनके वीडियो या खबरें सबसे अधिक दलित, पिछड़े, आदिवासी और हाशिए के समुदाय के लोग देखते और सुनते थे. इन चैनलों को मिले नोटिस की कार्रवाई के अंतर्गत एक यूट्यूब चैनल को बंद भी किया जा चुका है, जबकि दूसरा अन्य चैनल कभी भी बंद हो सकता है.
3 और 4 अप्रैल की रात “Bolta Hindustan” यूट्यूब चैनल के ईमेल पर मिले नोटिस में बताया गया कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय (एमआईबी) के दिशा निर्देशों के अनुसार आपके चैनल को हटा दिया गया है. बोलता हिंदुस्तान के यूट्यूब चैनल पर 2,97,891 सब्सक्राइबर्स थे.
आपको बता दें कि, बोलता हिंदुस्तान एक ऑनलाइन हिंदी समाचार समूह है. जो जनहित मुद्दों पर लगातार सत्ता से सवाल करता रहा है. बोलता हिन्दुस्तान के संपादक समर राज ने द मूकनायक को बताया कि, “अगर हमसे कोई तकनीकी गड़बड़ी हुई होती, या हमने यूट्यूब की गाइडलाइन का उलंघन किया होता तो हम यूट्यूब से बात करते. लेकिन यहां सरकारी निर्देश का मुख्य लक्ष्य ही यही था कि चैनल को डिलीट करना है.”
“पिछले 3 सालों में हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने तीन बड़े फैसले दिए हैं. वह उन चैनलों के नाम ले लेकर बताएं हैं कि इनके डिबेट नफरत फैलाते हैं और देश में दंगे का माहौल बना रहे हैं, इसपर तुरंत रोक लगाई जाए. इसके बावजूद किसी भी चैनल पर कोई कार्रवाई नहीं की गई. जबकि बोलता हिन्दुस्तान के खिलाफ एक FIR तक नहीं हुई है, और इस पर कार्रवाई कर दी गई”, समर ने कहा.
समर बताते हैं कि, “हम लोग हर वह कंटेंट डालते हैं जिसमें सरकार से सीधे सवाल होते हैं. लेकिन हमें मिले नोटिस के आधार पर यह हम कैसे जान पाएंगे कि हमारे किस कंटेंट के खिलाफ कार्रवाई की गई है.”
कार्रवाई के बारे में वह अनुमान लगाते है कि, “हाल ही में सबसे अधिक हमारी वीडियो इलेक्टोरल बांड पर हुई है. अगर यह सरकार को उसपर हमला लगती है तो आप सोच सकते हैं कि यह कितना खतरनाक है.”
Youtube चैनल ब्लॉक करने के लिए एक ऐसा ही नोटिस उसी दिन 3 अप्रैल को नेशनल दस्तक के Youtube चैनल के ईमेल पर भी प्राप्त हुआ है. हालांकि, यह चैनल अभी चल रहा है.
16 सितम्बर 2015 को शुरू हुए नेशनल दस्तक यूट्यूब चैनल पर वर्तमान में 9.41M सब्सक्राइबर हैं. विशेष रूप से दलित, आदिवासी, पिछड़े, महिलाओं, किसानों, अल्पसंख्यकों और शोषितों की आवाज बुलंद करने वाला यह देश का सबसे बड़ा ऑनलाइन बहुजन प्लेटफार्म है जिसके यूट्यूब चैनल पर देश के सभी बहुजन यूट्यूब चैनलों से अधिक सब्सक्राइबर हैं.
क्या आपको लगता है कि यह किसी एक कंटेंट की वजह से ऐसा नोटिस आया, द मूकनायक के सवाल पर नेशनल दस्तक के मुख्य संपादक शम्भू कुमार सिंह ने कहा कि, यूट्यूब ने हमें कुछ बताया ही नहीं कि हमने कोई गलत कंटेंट या वायलेशन वाला वीडियो अपलोड किया है. हमें सिर्फ यूट्यूब की तरफ से यह बताया गया है कि Ministry of information and Broadcasting की ओर से आपके चैनल को हटाने के दिशा निर्देश मिले हैं.
“नेशनल दस्तक देश के दलित, पिछड़ों और हाशिए के लोगों की आवाज उठता है. उनके मुद्दों पर हम खबर करते हैं. इससे सरकार को दिक्कत है”, शम्भू कुमार सिंह ने कहा.
दलित, पिछड़ों और हाशिए के लोगों की आवाज उठाने वाले यूट्यूब चैनलों को बंद करने के मामलों के बीच खुद को लोकतांत्रिक मूल्यों को समर्पित, न्याय, समता और स्वतंत्रता के लिए आवाज उठाने वाला प्लेटफॉर्म बताने वाले ऑनलाइन मीडिया समूह “आर्टिकल 19 इंडिया” के यूट्यूब चैनल को भी नोटिस प्राप्त होने की कथित जानकारी सामने आई है, जिसके यूट्यूब पर 2.8M subscribers हैं. द मूकनायक टीम ने आर्टिकल 19 के यूट्यूब चैनल को किसी तरह के नोटिस मिलने की पुष्टि के लिए यूट्यूब चैनल के फाउंडर नवीन कुमार से संपर्क किया.
नवीन कुमार ने द मूकनायक के साथ फोन वार्ता पर बताया कि उन्हें उनके चैनल के लिए कुछ तो नोटिस के ईमेल आए हैं, लेकिन यह अभी जानकारी नहीं दे सकते कि ईमेल में क्या कहा गया है. हालांकि, उन्होंने मेटा द्वारा आर्टिकल 19 इंडिया के फेसबुक पेज को बंद करने का जिक्र जरूर किया.
नेशनल दस्तक के ईमेल पर प्राप्त हुए यूट्यूब नोटिस में कहा गया है, “हमें सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय (एमआईबी) से एक नोटिस मिला है जिसमें आपके चैनल URL https://www.youtube.com/channelUC7IdArS3MibBKFsqckq8GhQ को सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 654 के साथ सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम 2021 के नियम 15(2) के अनुसार ब्लॉक करने का निर्देश दिया गया है। नोटिस स्वयं गोपनीय है इसलिए हम इस समय इसे आपके साथ साझा करने में असमर्थ हैं। एमआईबी द्वारा शीघ्र ही उपरोक्त यूआरएल के संबंध में अंतिम आदेश पारित करने की संभावना है. आप अपनी उपरोक्त सामग्री की वैधता के संबंध में एमआईबी को jsona-molb@gov.in पर कोई भी प्रतिक्रिया दे सकते हैं। स्थानीय कानूनों का अनुपालन करने के हमारे दायित्वों के अनुसार, हम बिना किसी पूर्व सूचना के ऐसे आदेश का अनुपालन कर सकते हैं।”
इस ईमेल से यह जाहिर है कि यूट्यूब बिना किसी पूर्व सूचना के सरकार के निर्देश पर कोई भी यूट्यूब चैनल (जो भारत में संचालित है) बंद करा सकती है.
ज्ञात हो कि सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 के नियम 2 में कहा गया है कि मध्यस्थों (सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म) को यह सुनिश्चित करना होगा कि उपयोगकर्ता नियमों का उल्लंघन करने वाली सामग्री को साझा या प्रसारित करने के लिए अपने मंच का उपयोग न करें।
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