12 साल की एक्टिविस्ट सरकार से इतनी खफा — लिखा कि मोदी 'सबसे घृणित नेता' और पूर्वोत्तर भारत के लिए 'आपदा'

वीडियो और पोस्ट्स की एक श्रंखला में लिसिप्रिया ने मोदी पर विदेश यात्राओं और चुनावी रैलियों में व्यस्त रहने का आरोप लगाया, जबकि मणिपुर रोजाना रॉकेट, मिसाइल और ड्रोन हमलों से झेल रहा है।
 लिसिप्रिया दुनिया की सबसे युवा जलवायु कार्यकर्ता में एक अग्रणी नाम हैं जो दुनिया भर में लाखों लोगों को प्रेरित कर रही हैं.
लिसिप्रिया दुनिया की सबसे युवा जलवायु कार्यकर्ता में एक अग्रणी नाम हैं जो दुनिया भर में लाखों लोगों को प्रेरित कर रही हैं.
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नई दिल्ली- मणिपुर में बढ़ती हिंसा के बीच, दुनिया की सबसे युवा जलवायु कार्यकर्ता में से एक, लिसिप्रिया कंगुजम, ने भारत के नेतृत्व पर कड़ा हमला बोला है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पहले ट्विटर) पर एक वीडियो पोस्ट में, लिसिप्रिया ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मणिपुर में चल रही हिंसा पर उदासीनता की तीखी आलोचना की। उनके शब्दों में गुस्सा और निराशा साफ झलकती है, जो मणिपुर के उन नागरिकों की आवाज़ है जो खुद को अपने नेताओं द्वारा छोड़ा हुआ महसूस कर रहे हैं।

वीडियो और पोस्ट्स की एक श्रंखला में लिसिप्रिया ने मोदी पर विदेश यात्राओं और चुनावी रैलियों में व्यस्त रहने का आरोप लगाया, जबकि मणिपुर रोजाना रॉकेट, मिसाइल और ड्रोन हमलों से झेल रहा है।

कुकी -मैतई समुदायों के बीच मई 2023 में शुरू हुए हिंसक संघर्ष में प्रदेश में अब तक 300 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं और 70,000 से ज्यादा लोग, जिनमें 30,000 बच्चे भी शामिल हैं, पिछले 16 महीनों से राहत शिविरों में रह रहे हैं। इसके बावजूद प्रधानमंत्री ने एक बार भी मणिपुर का दौरा नहीं किया।

लिसिप्रिया ने कहा, "आप ढोल बजाने और विदेशी यात्राओं में व्यस्त हैं, जबकि मणिपुर जल रहा है। मणिपुर के लोगों के प्रति आपकी यह उपेक्षा सबसे शर्मनाक है।" उन्होंने मोदी पर आरोप लगाया कि वे मणिपुर को देश का हिस्सा नहीं, बल्कि किसी और राष्ट्र का हिस्सा मानते हैं।

अपने एक और तीखे पोस्ट में, लिसिप्रिया ने मोदी को "इतिहास का सबसे घृणित नेता" कहा और उन पर मणिपुर में चल रही हिंसा को नज़रअंदाज करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि मोदी अपने देश में शांति नहीं ला पा रहे हैं, जबकि यूक्रेन में शांति के प्रयासों में लगे हुए हैं।

मोदी को संबोधित एक पोस्ट में लिसीप्रिया ने लिखा - " आप इतिहास के सबसे घृणित नेता हैं, जो अपने ही लोगों की सुरक्षा करने में विफल रहे। आप मणिपुर में सालभर से चल रहे संघर्ष में शांति नहीं ला सके, लेकिन यूक्रेन में शांति लाने की कोशिश कर रहे हैं। आप मणिपुर में पिछले 16 महीनों से जारी संघर्ष की तुलना में यूक्रेन युद्ध को ज्यादा गंभीरता से लेते हैं, जबकि मणिपुर आपका अपना राज्य है।चार दिन पहले, एक युवा मां को इम्फाल में कुकी द्वारा ड्रोन हमले में उसकी नाबालिग बेटी के सामने मार दिया गया, और कई अन्य लोग घायल हो गए। आपने अब तक उनके खिलाफ क्या कार्रवाई की है?

और परसों, मोइरंग में पूर्व मुख्यमंत्री के निवास पर एक हिंदू भगवान सेवारी (अरंगफाम) को कुकी द्वारा बैलिस्टिक मिसाइल से मारा गया।

और कल, एक निर्दोष बूढ़े आदमी को जिरीबाम में सोते समय मार दिया गया, जब कुकी आतंकवादी म्यांमार से आकर हमला कर रहे थे। वे भारत को तोड़कर 'कुकिलैंड' नामक एक नया देश बनाने की लड़ाई लड़ रहे हैं। लेकिन जब इम्फाल में कुकी का अपमान हुआ, तो आपने तुरंत उनके लिए प्रतिक्रिया दी।" लिसीप्रिया ने नाराजगी भरे अंदाज में मोदी को पूर्वोत्तर भारत के लिए 'आपदा' ( Disaster for North East India) तक की संज्ञा दी.

मणिपुर के राज्यपाल पर सीधा हमला

लिसिप्रिया की आलोचना केवल प्रधानमंत्री तक सीमित नहीं रही। उन्होंने मणिपुर के राज्यपाल पर भी जमकर हमला बोला। एक पोस्ट में उन्होंने लिखा, "मणिपुर के राज्यपाल इम्फाल से भागने की तैयारी कर रहे हैं, जबकि उन्हें दोनों पक्षों को मिलाकर शांति स्थापित करने का प्रयास करना चाहिए।" उन्होंने राज्यपाल को "निर्बल व्यक्ति" बताया और कहा, "मणिपुर को ऐसे कमजोर लोगों से आज़ादी चाहिए।"

यह आरोप तब लगाया गया जब राज्य सरकार पहले से ही दोनों समुदायों के बीच शांति स्थापित करने में नाकाम साबित हो रही थी। अधिकारियों के इस तरह राज्य छोड़ने की बातें मणिपुर के लोगों में और गुस्सा भर रही हैं।

इंटरनेट बैन पर भी लिसिप्रिया ने सरकार की कड़ी आलोचना की। व्यंगात्मक अंदाज में किये एक पोस्ट में लिसिप्रिया ने स्पेसएक्स के सीईओ एलन मस्क से मणिपुर में स्टारलिंक सैटेलाइट इंटरनेट सेवा उपलब्ध कराने की अपील की। सरकार द्वारा बार-बार इंटरनेट बंद किए जाने को लिसिप्रिया ने लोगों की आवाज़ को दबाने का प्रयास बताया। "हमें मणिपुर में तुरंत स्टारलिंक सेवा की ज़रूरत है क्योंकि वर्तमान शासन ने आज से इंटरनेट बंद कर दिया है। हमें भारत में भी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता चाहिए," लिसिप्रिया ने ट्वीट किया।

मणिपुर में बार-बार इंटरनेट बंद होने से लोगों की संचार सुविधाएं ठप हो गई हैं, जिससे वे हिंसा और अत्याचार की जानकारी साझा नहीं कर पा रहे हैं। लिसिप्रिया की यह अपील इस बात की ओर इशारा करती है कि सरकार की ओर से अभिव्यक्ति की आजादी को किस तरह रोका जा रहा है।

लिसिप्रिया का यह अभियान केवल आलोचना तक सीमित नहीं है। उन्होंने मणिपुर में शांति की पुरजोर अपील की है। उन्होंने केंद्र सरकार से तुरंत हिंसा को खत्म करने और शांति बहाल करने की मांग की। उनके बयानों से स्पष्ट है कि राज्य के लोग अब न्याय और शांति की मांग कर रहे हैं।

मेइती समुदाय से ताल्लुक रखने वाली लिसिप्रिया ने मेइती और कुकी-जो समुदायों के बीच जारी हिंसा पर गहरा दुःख व्यक्त किया है। अपने समुदाय पर हुए दिल दहला देने वाले हमलों के बावजूद, उन्होंने जोर देकर कहा कि हिंसा किसी भी समस्या का समाधान नहीं है।

अपने एक पोस्ट में उन्होंने लिखा, "एक-दूसरे को मारना कोई समाधान नहीं है," साथ ही यह भी स्वीकार किया कि यह पहली बार है जब उन्होंने कुकी पक्ष से किसी पूर्व सैनिक के मणिपुर में मारे जाने की खबर सुनी है। उन्होंने यह भी बताया कि 30 से अधिक मेइती, जिनमें स्कूल की लड़कियां और बच्चे शामिल हैं, पीएम मोदी द्वारा बनाई गई बफर ज़ोन को गलती से पार करने के बाद मारे गए। उनका मानना है कि यह बफर ज़ोन भारत के अंदर समुदायों को विभाजित करने के लिए बनाई गई है।

कौन है लिसिप्रिया

लिसिप्रिया ने छह साल की उम्र से जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ते हुए पर्यावरण की सुरक्षा, संरक्षण और देखभाल के लिए अपना अभियान शुरू किया। वह दुनिया की सबसे युवा जलवायु कार्यकर्ताओं में से एक हैं और उन्होंने 2019 में मैड्रिड, स्पेन में आयोजित संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन (COP25) में विश्व नेताओं को संबोधित किया, जिसमें उन्होंने तुरंत जलवायु कार्रवाई करने का आह्वान किया ताकि पृथ्वी और भविष्य को बचाया जा सके।

उन्होंने 2022 में संयुक्त राष्ट्र महासभा के 77वें सत्र में भी भाग लिया। लिसिप्रिया एक मुखर युवा नेता और जलवायु परिवर्तन के खिलाफ आवाज उठाने वालों में से एक अग्रणी नाम हैं जो दुनिया भर में लाखों लोगों को प्रेरित कर रही हैं.

वह अपने "चाइल्ड मूवमेंट" अभियान के लिए भी जानी जाती हैं, जिसका उद्देश्य बच्चों को जलवायु परिवर्तन के खिलाफ कदम उठाने के लिए सशक्त बनाना और दूसरों को इस आंदोलन में शामिल होने के लिए प्रेरित करना है।

लिसिप्रिया ने जून 2022 में प्रतिष्ठित ताजमहल को प्लास्टिक प्रदूषण मुक्त स्मारक में बदलने का काम किया। दिल्ली विश्वविद्यालय ने उनकी लंबे समय से लंबित मांग के तहत यह अनिवार्य कर दिया कि हर छात्र को अंतिम परीक्षा पास करने के लिए हर साल कम से कम एक पेड़ लगाना होगा। उनकी अपील के बाद अब शून्य से हजारों स्कूलों में जलवायु शिक्षा पढ़ाई जा रही है।

15 अक्टूबर 2020 को, लिसिप्रिया ने दिल्ली में वायु प्रदूषण संकट के खिलाफ भारत के राष्ट्रपति भवन के सामने एक सप्ताह तक अकेले रात भर प्रदर्शन किया।

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