भोपाल। पिछले 10 दिनों से भोपाल के गैस पीड़ित संगठनों द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पोस्टकार्ड के माध्यम से चिट्ठी भेजने की मुहिम ज़ोरों पर है। इस मुहिम का उद्देश्य है कि गैस त्रासदी के पीड़ितों को न्याय दिलाया जा सके और उन्हें उचित मुआवजा मिले।
4 सितंबर को पुरानी विधानसभा के पास स्थित गैस प्रभावित बस्तियों (कुम्हारपुरा और यादवपुरा) में बड़ी संख्या में महिलाएं और पुरुष इकट्ठा हुए। सभी ने प्रधानमंत्री को पोस्टकार्ड भेजे, जिसमें मांग की गई कि 25,000 रुपये का मुआवजा पाने वाले प्रत्येक गैस पीड़ित को सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार भारत सरकार द्वारा कम से कम 5 लाख रुपये मुआवजा दिया जाए।
इस मौके पर गैस पीड़ितों की एक सभा का भी आयोजन किया गया। इसमें गैस पीड़ित पेंशन भोगी संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष बालकृष्ण नामदेव, पीड़ित महिला एवं पुरुष संघर्ष मोर्चा की अध्यक्ष नसरीन खान, भोपाल ग्रुप फॉर इनफॉरमेशन एंड एक्शन की प्रतिनिधि रीना किरार और गैस पीड़ित महिला स्टेशनरी कर्मचारी संघ की श्रीमती रशीदा प्रमुख वक्ता रहे। सभी ने गैस पीड़ितों को इंसाफ की इस लड़ाई में शामिल होने की अपील की, ताकि मुआवजे की लड़ाई में सभी की आवाज़ बुलंद हो।
बालकृष्ण नामदेव ने सभा को संबोधित करते हुए कहा, "हर हाल में हमें हमारे अधिकार के रूप में मुआवजा मिलना चाहिए। यह न्याय की लड़ाई है, और हम इसे पूरा करने तक रुकने वाले नहीं हैं।" उन्होंने कहा कि पीड़ितों ने 1984 में हुई गैस त्रासदी में अपने परिवार के सदस्य खोए हैं, और उनका दर्द आज भी उतना ही ताजा है।
नसरीन खान ने कहा, "गैस पीड़ितों को जो 25,000 रुपये का मुआवजा मिला था, वह बिल्कुल नाकाफी है। हमें हमारे हक का पूरा मुआवजा चाहिए, और इसके लिए हम पूरी ताकत से संघर्ष करेंगे।" उन्होंने महिलाओं से भी इस संघर्ष में सक्रिय रूप से भाग लेने की अपील की।
गैस पीड़ित संगठनों की इस मुहिम के तहत अब तक हज़ारों पोस्टकार्ड प्रधानमंत्री को भेजे जा चुके हैं, जिनमें गैस पीड़ितों की तरफ से उनकी आर्थिक हालत और स्वास्थ्य पर हुए गंभीर प्रभावों का उल्लेख किया गया है। इन पोस्टकार्डों के माध्यम से मांग की गई है कि सभी 25,000 रुपये का मुआवजा पाने वाले पीड़ितों को तत्काल 5 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए, जिससे उनके जीवन में कुछ स्थिरता आ सके।
सभा में मौजूद महिलाओं ने बताया कि वे कई वर्षों से अपने हक की लड़ाई लड़ रही हैं, लेकिन अब तक उन्हें न्याय नहीं मिला है। उनका कहना है कि अगर उन्हें जल्द ही मुआवजा नहीं मिला, तो वे अपने आंदोलन को और तेज़ करेंगी और सरकार को मजबूर करेंगी कि वे उनकी मांगों को मानें।
1984 में भोपाल में हुई यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से निकली जहरीली गैस ने हज़ारों लोगों की जान ले ली थी और कई लोग आज भी इस त्रासदी के प्रभावों से जूझ रहे हैं। भोपाल गैस कांड को दुनिया की सबसे बड़ी औद्योगिक आपदाओं में गिना जाता है। सरकार द्वारा पीड़ितों को मुआवजा देने की घोषणा की गई थी, लेकिन आज भी कई लोग मानते हैं कि उन्हें समुचित मुआवजा नहीं मिला है।
गैस पीड़ित संगठनों का कहना है कि वे इस मुहिम को और तेज़ करेंगे और जरूरत पड़ी तो दिल्ली जाकर धरना-प्रदर्शन भी करेंगे। अगर सरकार ने उनकी मांगों को अनसुना किया, तो वे उग्र प्रदर्शन की ओर बढ़ सकते हैं। उन्होंने सरकार से अपील की है कि पीड़ितों की मांगों पर तुरंत ध्यान दिया जाए और उन्हें न्याय दिलाने का काम किया जाए। बालकृष्ण नामदेव ने द मूकनायक प्रतिनिधि से बातचीत में कहा, "हम तब तक शांत नहीं बैठेंगे, जब तक हमें हमारा पूरा हक नहीं मिल जाता। यह लड़ाई केवल मुआवजे की नहीं, बल्कि हमारे सम्मान और न्याय की भी है।"
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