MP: मजदूर की गुहार पर कलेक्टर का एक्शन, बुक स्टोर से साठगांठ के मामले में स्कूल की मान्यता रद्द

स्कूल शिक्षा विभाग और लोक शिक्षण संचनालय द्वारा प्रदेश के सभी कलेक्टर और जिला शिक्षा अधिकारियों को प्राइवेट स्कूलों की मनमानी पर एक्शन लेने के निर्देश जारी हुए थे।
कलेक्टर ऑफिस भिंड
कलेक्टर ऑफिस भिंड इंटरनेट
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भोपाल। कलेक्टर ऑफिस पहुँचकर एक मजदूर ने अपने बच्चे की किताबें और बिल दिखातें हुए कलेक्टर से कहा, "साहब स्कूल ने मेरे बेटे की किताबें लाने के लिए पर्ची दी थी, जिसपर बुक स्टोर का नाम लिखा था। जब दुकान पर गया तो बेटे की कक्षा दो की किताबें 2 हजार 130 रुपए की आई। यह किताबें अन्य किसी दुकान पर उपलब्ध नहीं थी। दुकानदार से मोल-भाव भी किया लेकिन उसने एक पैसा कम नहीं किया। स्कूल ने कॉपी लेने को भी कहा था, जो पांच सौ रुपये की थी। इतने पैसे नहीं थे सो कॉपी नहीं खरीदी।"

आपको बता दें कि मध्य प्रदेश में स्कूलों की मनमानी पर प्रशासन शख्त है। हाल ही में प्रदेश के भिंड में एक मजदूर की शिकायत पर कलेक्टर ने स्कूल द्वारा महंगी दरों पर, बुक स्टोर से साठगांठ कर बेची जा रही किताबों के मामले में स्कूल की मान्यता रद्द की है।

जानकारी के मुताबिक, भिंड शहर के हलवाई खाना इलाके में रहने वाले एक मजदूर का कक्षा दो में पढ़ने वाले अपने बच्चे की किताबें लेकर सोमवार को दोपहर में कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव के पास पहुंच गया। इसने किताबें और उनका बिल दिखाते हुए बताया कि उसे यह किताबें 2 हजार 130 रुपए में दी गई हैं। इसके बाद कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव ने डीपीसी को निर्देश दिए कि संबंधित स्कूल की मान्यता को निलंबित किया जाए।

बच्चे का पिता इमदाद अहमद ने बताया कि वह फर्नीचर की दुकान पर मजदूरी करते हैं। उनका बच्चा कक्षा दो में भिंड के ही एक निजी स्कूल में पढ़ता है। इस स्कूल के प्रबंधन ने किताबें खरीदने के लिए पर्ची दी, जिस पर सुविधा बुक स्टोर का नाम लिखा था।

यह किताबें दूसरी किसी दुकान पर उपलब्ध नहीं थीं। पुस्तक बाजार में संचालित इस दुकान से जब किताबें खरीदी, तो दुकानदार ने 2130 रुपए मांगे। मैंने इतनी अधिक कीमत सुनकर जब मोलभाव का प्रयास किया, तो दुकानदार ने साफ इंकार कर दिया। इतना ही नहीं, कॉपियों के लिए 500 रुपए और मांगे गए। लेकिन मेरे पास पूरे रुपए न होने की वजह से कॉपियां नहीं खरीद पाया। बताया जा रहा है, मजदूर द्वारा खरीदी गई इन किताबों में एनसीईआरटी की एक भी किताब नहीं थी।

मजदूर युवक की शिकायत सुनने के बाद कलेक्टर श्रीवास्तव ने डीपीसी व्योमेश शर्मा को फोन किया। उन्होंने निर्देश दिए कि एक ही दुकान से अधिक दाम पर किताबें खरीदने के लिए बाध्य करने वाले सानिध्य विद्या निकेतन स्कूल की मान्यता को तुरंत सस्पेंड किया जाए।

सभी कलेक्टरों को निर्देश हुए थे जारी

बता दें कि बीते माह मई में ही, स्कूल शिक्षा विभाग और लोक शिक्षण संचनालय द्वारा प्रदेश के सभी कलेक्टर और जिला शिक्षा अधिकारियों को प्राइवेट स्कूलों की मनमानी पर एक्शन लेने के निर्देश जारी हुए थे। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने अधिकारियों को निर्देश दिए थे कि मनमाने ढंग से मोटी फीस बसूलने वाले स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।

जबलपुर के 11 स्कूलों पर की गई थी कार्रवाई

बीते 27 मई को जबलपुर कलेक्टर दीपक आर्य ने 11 प्राइवेट स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए इन स्कूल के संचालकों समेत 51 लोगों पर एफआईआर दर्ज की थी। साथ ही, ऐसे स्कूलों से अभिभावकों को 81.30 करोड़ रुपए की फीस वापस करने के आदेश दिए थे। इन स्कूलों पर 22 लाख रुपए की पेनाल्टी भी लगाई गई थी। 20 लोगों को गिरफ्तार किया गया। कलेक्टर का दावा है कि 240 करोड़ की वसूली का खेल उजागर हुआ है। फिलहाल यह मामला हाईकोर्ट जबलपुर में विचाराधीन है।

हरदा में 9 स्कूलों पर भी हुई कार्रवाई

जबलपुर के बाद हरदा कलेक्टर आदित्य सिंह ने बीते महीने मनमानी फीस लेने वाले 9 प्राइवेट स्कूलों पर दो-दो लाख रुपए का जुर्माना लगाया था। जिले में अब तक कुल 15 निजी स्कूलों पर हो जुर्माना लगाया जा चुका है। सभी स्कूल संचालकों को 15 दिन में अतिरिक्त फीस वापस करने के निर्देश गए हैं। साथ ही अन्य स्कूलों की भी जांच की जा रही है।

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