भोपाल। मध्य प्रदेश की निशा बांगरे डिप्टी कलेक्टर के पद से इस्तीफा देने के बाद अब पुनः सेवा में आना चाहती हैं। नौकरी छोड़ राजनीति में आईं निशा का कहना है कि परिवार का प्रेशर है, कांग्रेस ने चुनाव में वादा किया लेकिन टिकट नहीं दिया इसलिए उन्होंने मुख्य सचिव को पत्र लिखकर सेवा में आने का अनुरोध किया है।
आपको बता दें कि बीते 8 फरवरी को निशा बांगरे ने भाजपा नेता और प्रदेश के पूर्व गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा से मुलाकात की थी। इस मुलाकात के बारे में निशा का कहना था कि यह अनौपचारिक भेंट थी। द मूकनायक ने जब निशा बांगरे की नरोत्तम मिश्रा से इस मुलाकात के बारे में पूछा, तो निशा बताती हैं कि, वह नौकरी के संबंध में ही पूर्व गृहमंत्री से मिली थी। भाजपा में शामिल होने या आयोग, निगम मंडल में जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि फिलहाल इस तरह का कोई भी ऑफर नहीं है। यदि प्रस्ताव मिला तो विचार करेंगे।
निशा ने कहा, "मेरा लक्ष्य सिर्फ समाजसेवा है। भले वह नौकरी में रहकर हो या राजनीति में जाकर हो। मैं तो राजनीति करना चाहतीं हूँ, मगर परिवार का दवाब भी है, परिवार के लोगों का कहना है कि वह डिप्टी कलेक्टर रहते हुए राष्ट्र सेवा कर सकती हैं, इसलिए मुख्य सचिव को पत्र लिख कर सेवा में पुनः वापसी का अनुरोध किया है। अभी सरकार की ओर से कोई उत्तर नहीं मिला है।"
इधर, कांग्रेस ने बीते माह कांग्रेस के मीडिया विभाग का गठन किया है। 27 मार्च को मध्य प्रदेश कांग्रेस के मीडिया विभाग में बड़ा बदलाव किया गया था। मुकेश नायक को नया मीडिया विभाग का अध्यक्ष बनाया गया था। वहीं, 9 मुख्य प्रवक्ता और 22 प्रवक्ता मनोनित किए गए हैं. इन्हीं 9 मुख्य प्रवक्ता में पूर्व डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे के नाम की भी कांग्रेस से घोषणा की थी।
निशा बांगरे ने कहा कि, "कांग्रेस ने मुझे लोकसभा टिकट देने का वादा किया था, लेकिन पार्टी अपने वादे से मुकर गई।" यह पूछे जाने पर कि क्या ऑफर मिलने पर वह बीजेपी में शामिल होंगी, उन्होंने कहा, ‘मुझे बीजेपी से कोई ऑफर नहीं मिला है। मैंने जनवरी में ही सामान्य प्रशासन विभाग को मुझे सेवा में वापस लाने के लिए लिखा था। मुझे वापस लेने का मेरा आवेदन सरकार के पास पेंडिंग है।’
निशा बांगरे पिछले साल नवंबर में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस के टिकट पर आमला सीट से चुनाव लड़ना चाहती थीं। हालांकि, जब तक सरकार ने उनका इस्तीफा स्वीकार किया, कांग्रेस ने इस सीट से एक और उम्मीदवार की घोषणा कर दी थी।
निशा ने कहा, "मेरा परिवार चाहता है कि मैं सेवा में वापस आ जाऊं। मध्य प्रदेश सेवा नियम में इसका प्रावधान है। ऐसे भी उदाहरण हैं जहां सरकारी कर्मचारियों ने इस्तीफा दे दिया, चुनाव लड़ा और चुनाव हारने के बाद सेवा में वापस आ गए।"
छतरपुर जिले के लवकुश नगर की एसडीएम रही बांगरे ने विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए 23 जून, 2023 को इस्तीफा दे दिया था, लेकिन जीएडी ने उनका इस्तीफा स्वीकार करने से इनकार कर दिया था, इसके बाद वह हाईकोर्ट गई थीं। सरकार ने उनका इस्तीफा मंजूर किया पर वह चुनाव नहीं लड़ सकीं।
अक्टूबर 2023 में डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे इस्तीफा स्वीकार करने की मांग को लेकर मुख्यमंत्री आवास के सामने आमरण अनशन करने जा रही थीं। इसके बाद राजधानी के बोर्ड ऑफिस चौराहे से जैसे ही वह आगे बढीं, वहां भारी संख्या में मौजूद पुलिस ने उन्हें रोक लिया। पुलिस ने जबरन उन्हें गाड़ी में बैठाने का प्रयास किया। जिसके बाद निशा बांगरे और उनके साथ मौजूद समर्थक सड़क पर बैठ गए। पुलिस की खींचतान से उनके हाथों में डॉ. आंबेडकर की फोटो भी टूट गई थी। पुलिस ने उनके समर्थकों को घसीटते हुए पुलिस बैन में बंद कर दिया। इस दौरान उनके कपड़े भी फट गए थे.
प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने करीब एक दर्जन समर्थकों को हिरासत में लिया था जिन्हें शाम को छोड़ दिया लेकिन पुलिस ने निशा बांगरे पर धारा 151, 107 और 116 में कार्रवाई की शाम को उन्हें पुलिस कमिश्नर ऑफिस ले जाया गया जहाँ जमानत की प्रक्रिया पूरी नहीं होने के कारण लालघाटी स्थित केंद्रीय जेल भेज दिया गया।
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