MP: EWS आरक्षण मांग की याचिका खारिज, हाईकोर्ट ने कहा- "सिर्फ अनारक्षित सीटों पर 10 फीसदी देना चाहिए रिजर्वेशन"

कुल पदों में से 10 प्रतिशत पद ईडब्ल्यूएस वर्ग के लिए आरक्षित करना भारत के संविधान के अनुच्छेद 16 (6) के प्रावधान से असंगत है। केवल अनारक्षित पदों में से 10% पदों को ईडब्ल्यूएस के लिए आरक्षित किया जाना चाहिए।
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट.
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भोपाल। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने इकोनॉमिकली वीकर सेक्शन (ईडब्ल्यूएस) के तहत सरकारी भर्तियों में दिए जाने वाले दस फीसदी आरक्षण पर बड़ा फैसला दिया है। जबलपुर हाईकोर्ट ने ये साफ किया है कि ईडब्ल्यूएस आरक्षण, भर्तियों के अनारक्षित पदों के दस फीसदी पदों पर ही दिया जा सकता है। कोर्ट ने कहा-"अलग से आरक्षण का लाभ लेने वाले एससी/एसटी और ओबीसी वर्ग को ईडब्लूएस आरक्षण का लाभ नहीं दिया सकता और बचे हुई अनारक्षित वर्ग के पदों से ही दस फीसदी आरक्षण ईडब्लूएस वर्ग को देना होगा। यह टिप्पणी करते हुए हाईकोर्ट ने कुल पदों पर दस फीसदी ईडब्लूएस आरक्षण की मांग करने वाली याचिकाएं खारिज कर दी हैं।

दरअसल, मध्यप्रदेश में लैब टैक्नीशियन्स की भर्तियों में ईडब्लूएस आरक्षण को लेकर कुछ याचिकाएं दायर की गईं थीं, इनमें मांग कि गई थी जब कुल 219 पदों पर भर्तियां होनी हैं तो इनमें से 22 पद ईडब्लूएस वर्ग के लिए आरक्षित किए जाएं। सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि 219 में से एससी, एसटी, ओबीसी आरक्षित सीटों को घटाकर सिर्फ अनारक्षित सीटों पर ही दस फीसदी ईडब्लूएस आरक्षण दिया जाना चाहिए। याचिका ख़ारिज करते हुए जबलपुर हाईकोर्ट के जज विवेक अग्रवाल ने यह फैसला सुनाया है।

आरक्षण मामलों मे मध्य प्रदेश सरकार के विशेष अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने द मूकनायक प्रतिनिधि से बातचीत करते हुए कहा- "ईडब्लूएस आरक्षण के मामले में कोर्ट ने अहम फैसला दिया है। ईडब्ल्यूएस लागू किए जाने में की जा रही अनियमितताओं के सम्बंध में हाईकोर्ट में अनेक याचिकाएं दायर है तथा हाईकोर्ट ने समस्त भर्तियों को उक्त याचिकाओं के निर्णय के अधीन किया है।"

बता दें मध्य प्रदेश शासन के सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा दिनांक 19 दिसंबर 2019 को एक रोस्टर जारी करके 10% ईडब्ल्यूएस आरक्षण का प्रावधान किया था। इस रोस्टर के अनुसार कुल रिक्त पदों में से 10% पद ईडब्ल्यूएस के लिए आरक्षित किए जाते हैं।

इस मामले में हाई कोर्ट ने माना कि इकोनॉमिकली वीकर सेक्शन (ईडब्ल्यूएस) आरक्षण का लाभ पहले से आरक्षित जातियों को नहीं दिया गया है। इसलिए कुल पदों में से 10 प्रतिशत पद ईडब्ल्यूएस वर्ग के लिए आरक्षित करना भारत के संविधान के अनुच्छेद 16 (6) के प्रावधान से असंगत है। केवल अनारक्षित पदों में से 10% पदों को ईडब्ल्यूएस के लिए आरक्षित किया जाना चाहिए। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर एवं विनायक प्रसाद शाह ने तर्क प्रस्तुत किए थे।

उदाहरण से समझिए क्या है कोर्ट का फैसला

यदि सरकार ने किसी विभाग में कुल 100 रिक्त पदों पर नियुक्ति के लिए भर्ती प्रक्रिया शुरू की है तो उसमें से अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित पदों यानि 16 पद SC को, 20 पद ST को, और 14 पद ओबीसी के घटाने के बाद बाद जो अनारक्षित 50 पद शेष रह जाते हैं उसका 10% यानि 5 पद ईडब्ल्यूएस के लिए आरक्षित किया जाना चाहिए। जबकि वर्तमान में 100 रिक्त पदों में से 10% यानी 10 पद ईडब्ल्यूएस के लिए आरक्षित किए जाते हैं। इसके अलावा 27% ओबीसी आरक्षण विवाद के चलते जो 13% पद होल्ड किए जा रहे हैं उसका भी समाधान करना होगा।

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