भोपाल। "मेरा जन्म यहीं हुआ और शादी भी यहीं हुई थी। मेरी उम्र 70 साल है, मेरे पति और बेटी की मौत हो चुकी है। मैं अपना गुजारा आस-पास के लोगों के यहाँ घरों में झाड़ू, बर्तन करके करती थी। इस बस्ती में मेरा एक छोटा सा कमरा था, उसी में रसोई थी और उसी में रहकर अपने बुढ़ापे को काट रही थी। रविवार की सुबह अचानक पुलिस और प्रशासन के लोग आए और मकान तोड़ने शुरू कर दिए। हम रोते हुए उन्हें रोकते रहे पर उन्होंने किसी की नहीं सुनी, अब इस उम्र में कहाँ जाऊंगी?"
भोपाल के पिपलानी खजूरी झुग्गी की रहवासी 70 वर्षीय कोकिला पाटिल ने द मूकनायक से बिलखते हुए अपना दर्द साझा किया। दरअसल, नगर निगम और जिला प्रशासन ने भारी पुलिस बल की मौजूदगी में पिपलानी से खजूरी को जोड़ने वाली 100 क्वार्टर रोड से करीब सौ झुग्गियों पर बुलडोजर चलाया। सड़क चौड़ीकरण के चलते इन्हें हटाया गया है। लोगों ने आरोप लगाए कि बिना किसी सूचना के उन्हें बेघर कर दिया गया। जबकि प्रशासन का कहना है कि सिर्फ 84 झुग्गियों पर ही कार्रवाई की गई है।
कार्रवाई के दौरान प्रशासन ने मीडिया पर पाबंदी लगा दी थी। रोड के आधा किलोमीटर पहले ही बैरिकेडिंग कर रोका गया था। यहां प्रशासन के अलावा अन्य किसी को भी अंदर आने की अनुमति नहीं दी गई थी। द मूकनायक की टीम मौके पर पहुँची, लेकिन तब तक यहां के घर मलबे के ढेर में तब्दील हो चुके थे। कुछ लोग अपने गृहस्थी के सामान को निकाल रहे थे। तो कुछ लोग मलबे से ईंट निकाल रहे थे। लोगों का आरोप है कि प्रशासन ने बिना सूचना के कार्रवाई की, जिसके कारण वह घर का सामान तक नहीं निकाल सके।
पिछले महीने ही भोपाल की भदभदा झुग्गी बस्ती में प्रशासन ने 386 घरों पर बुलडोजर चलाया था। अब पिपलानी झुग्गी बस्ती के सौ घरों को तोड़ दिया गया। बीते दो साल के भीतर प्रशासन ने भोपाल की करीब आधा दर्जन बस्तियों पर बुलडोजर चलाकर घरों को जमीदोंज कर दिया, लेकिन इन परिवारों को विस्थापित नहीं किया गया।
द मूकनायक से बातचीत करते हुए स्थानीय निवासी प्रियंका जाधव ने बताया कि वह वर्षों से इस जगह पर रह रही हैं। प्रशासन ने नोटिस दिए बिना ही यह कार्रवाई की है। हमें घरों से सामान निकालने तक का वक्त नहीं दिया गया। प्रियंका ने कहा, "हमें बताया गया था कि यहां से रोड को चौड़ा करना है, जिसके लिए हमारे मकान टूटेंगे। हम यहाँ से हटने को तैयार थे। प्रशासन और हमारी विधायक कृष्णा गौर ने कहा था कि घर तोड़ने से पहले दूसरी जगह घर या जमीन की व्यवस्था की जाएगी। लेकिन हमें न जमीन दी और न मकान मिले, प्रशासन ने बुलडोजर चला कर हमें सड़क पर रहने को मजबूर कर दिया।"
एक और रहवासी शायदा बी ने बताया कि इस वक़्त बच्चों के एग्जाम चल रहे हैं। प्रशासन को इसकी पूरी जानकारी है, बावजूद इसके बच्चों के एग्जाम के समय में भी सरकार ने हम पर दया नहीं दिखाई। शायदा ने कहा, "मोदी की गारंटी थी कि किसी को बेघर नहीं किया जाएगा। आज उन्हीं की सरकार में हमारे सिर से छत छिन गई।"
4 अप्रैल 2023 को भोपाल में खजूरी रोड के भूमिपूजन के कार्यक्रम में गोविंदपुरा विधानसभा सीट की तत्कालीन विधायक और वर्तमान में डॉ. मोहन सरकार की राज्य मंत्री कृष्णा गौर ने झुग्गीवासियों से लुभावने वादे किए थे। अस्थाई रूप से झुग्गियो में रह रहे इन लोगों से कृष्णा गौर ने अपने भाषण में मंच से कहा था "इस रोड के निर्माण में आप सबके सहयोग की जरूरत है, हम किसी को बेघर नहीं करेंगे। सरकार मकान के बदले मकान, और दुकान के बदले दुकान देगी।"
मंत्री गौर ने लोगों से वादा किया था कि लोगों के पुनर्वास के पुख्ता इंतजाम किया जाएगा। झुग्गी के रहवासियों का आरोप है कि जब बुलडोजर की कार्रवाई शुरू हुई तो कृष्णा गौर ने फोन तक नहीं उठाया।
बस्ती पर बुलडोजर की कार्रवाई के बाद खजूरी कला रोड झुग्गी के रहवासी मंगलवार को मंत्री कृष्णा गौर के बंगले पर पहुँचे, लेकिन उन्हें कोई ठोस आश्वासन नहीं मिला। झुग्गी रहवासी सुनील ने बताया कि वह सभी लोग मंत्री के आवास पर गए थे, और उनसे दूसरी जगह पुनर्वास के लिए कहा, लेकिन मंत्री के ओर से कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला। द मूकनायक प्रतिनिधि ने मंत्री कृष्णा गौर से टेलीफोनिक चर्चा करने के लिए उनके मोबाइल नम्बर पर कॉल किया, पर मंत्री ने फोन रिसीव नहीं किया।
इधर, एसडीएम रवीश श्रीवास्तव ने बताया कि पिपलानी से खजूरी को जोड़ने वाली रोड का चौड़ी कारण किया जा रहा है। इसमें करीब 84 झुग्गियां सड़क की सीमा में थी, उन्हें नोटिस भेजा गया था। इसके बाद कार्रवाई की गई। दोपहर तक सभी अतिक्रमण हटा दिए गए। हमने अस्थायी तौर पर भेल के क्वार्टर में परिवारों को शिफ्ट किया है। जो रह गए है, उनकी भी व्यवस्था कर रहे हैं। जो भी चाहेंगे उन्हें नियमानुसार पीएम आवास योजना के तहत मकान दिए जाएंगे।"
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