फैक्ट चेकिंग के लिए PIB यूनिट को अधिकृत करने पर पत्रकारों ने बताया अपना हैरान करने वाला अनुभव?

जब द मूकनायक ने उस पत्रकार से बात की जिनके सोशल मीडिया पोस्ट को PIB ने भ्रामक या असत्य बताया था, तब चौंकाने वाली बात सामने आई. जिसमें बताया गया कि PIB ने उस सोशल मीडिया पोस्ट को भ्रामक या असत्य बताया था जो सरकार की नीतियों या व्यवस्थाओं की पोल खोल रहा था.
PIB की फैक्ट चेकिंग
PIB की फैक्ट चेकिंगग्राफिक- द मूकनायक
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नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव 2024 से ठीक पहले फैक्ट चेकिंग के लिए पत्र सूचना कार्यालय (PIB) की एक यूनिट को बुधवार को अधिकृत करने की अधिसूचना जारी की गई है. पीआईबी के तहत तथ्यों की जांच करने वाली इकाई केंद्र सरकार के लिए तथ्य जांच इकाई (एफसीयू) होगी. इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की ओर से बुधवार को जारी अधिसूचना में यह जानकारी दी गई है. हालांकि, दूसरे दिन फ़ैक्ट-चेक यूनिट को लेकर केंद्र की अधिसूचना पर सर्वोच्च न्यायालय ने रोक लगा दिया. न्यायालय ने कहा कि, ये अभिव्यक्ति की आजादी से जुड़ा मामला है.

वाशिंगटन पोस्ट की स्तंभकार और चर्चित गुजरात फाइल्स किताब की लेखक राणा अय्यूब द मूकनायक को बताती हैं कि, “जब सरकार में प्रवक्ताओं और शीर्ष नेताओं सहित कई लोगों की अक्सर तथ्यों की जांच की जाती रही है, जब सत्तारूढ़ दल के सदस्य खुद समुदायों में अलगाव वाली कहानियां फैलाते पाए गए हैं, जब मुख्यधारा के समाचार चैनल सरकारी प्रचार के तंत्र बन गए हैं, तो केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय के तहत गठित फैक्ट-चेकिंग इकाई सच्चाई और दुष्प्रचार के बीच की खाई को और पाट सकती है।”

“इस मामले में, सरकार 'सच्चाई' और 'तथ्यों' का निर्णय करने वाली अंतिम मध्यस्थ बन जाएगी। यह किसी भी आलोचना या असहमति पर दंडित करने के लिए तथ्य जांच इकाई का उपयोग कर सकता है जिसे राज्य द्वारा प्रचार या नकली समाचार के रूप में लेबल किया जा सकता है। यह सच और फ्री स्पीच की सबसे अधिक हानि होगी”, पत्रकार राणा अय्यूब ने कहा.

कोविड महामारी के भयावह दौर को याद करते हुए एक उत्तर प्रदेश के पत्रकार उस घटना को याद करते हैं जब उनके एक पोस्ट को इसी पीआईबी फैक्ट चेकिंग टीम ने भ्रामक या असत्य बताया था. नाम न उजागर करने की शर्त पर वह द मूकनायक को बताते हैं कि कोविड के दौरान उन्होंने घर लौट रहे श्रमिक-मजदूरों द्वारा ट्रेन के टॉयलेट के पानी से प्यास बुझाने की जानकारी अपने सोशल मीडिया पर साझा की थी, जिसे खुद उन यात्रियों में से एक ने रिकॉर्ड करके भेजा था. लेकिन ट्विटर (अब एक्स) पर यह वीडियो वायरल होने के बाद पीआईबी के फैक्ट चेकिंग ट्विटर हैंडल ने इस वीडियो को असत्य या भ्रामक बताया था.

कोविड की घटना को याद करते हुए, PIB की यूनिट को फैक्ट चेकिंग के लिए अधिकृत करने की अधिसूचना जारी करने पर पत्रकार ने कहा कि, “किसी तथ्य का फैक्ट चेक सिर्फ इस तरह नहीं होना चाहिए कि कुछ लोग अगर उस तथ्य से असहमत हों तो उसे असत्य या भ्रामक बता दिया जाए. फैक्ट चेकिंग में शेयर किये गए तथ्य को भ्रामक या असत्य बताने वाले तथ्य को भी सार्वजनिक करना चाहिए जो यह पुष्टि करता हो कि हमारे द्वारा साझा किया गया तथ्य गलत है.”

“मेरे मामले में, लॉकडाउन के समय ट्रेन से जाते समय एक व्यक्ति टॉयलेट का पानी पी रहा था. दूसरे व्यक्ति ने उसका वीडियो बना कर मुझे भेज दिया. उस समय ट्रेन में खाने और स्वच्छ पानी की किल्लत की यह समस्या सामने आई थी. मेरे इस बारे में किये गए पोस्ट पर उन्होंने (PIB फैक्ट चेकिंग) सीधे कह दिया कि यह झूठी खबर है. जबकि जिसने मुझे वह वीडियो भेजा था उसका नंबर भी मेरे पास था. मैंने PIB फैक्ट चेकिंग द्वारा मेरे पोस्ट को झूठी खबर बताने वाले पोस्ट पर उन्हें जवाब भी दिया था कि आप उस व्यक्ति से सीधे बात कर सकते हैं”, पत्रकार ने समझाया कि इस वीडियो से कोविड के समय सरकार की जवाबदेही को लेकर व्यवस्थाओं की पोल खुल रही थी और उनकी फजीहत हो रही थी इसलिए उस वीडियो को एक सिरे से झूठा बता दिया गया. जबकि फैक्ट चेकिंग टीम के पास पोस्ट को झूठा बताने का कोई तथ्य मौजूद नहीं था. 

“ऐसा सिर्फ एक बार नहीं, कई बार हो चुका है. इनका एक मात्र उद्देश्य यही है कि जहाँ भी इन्हें लगता है कि किसी की खबर या सोशल मीडिया पोस्ट से सरकार की छवि धूमिल हो रही है, उसे भ्रामक या झूठा बता दिया जाए. उनकी (PIB) फैक्ट चेकिंग टीम को अभी बहुत काम करने और सीखने की जरूरत है”, पत्रकार ने कहा.

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