भोपाल। बीते 30 अप्रैल को प्रदेशभर के अतिथि शिक्षकों की सेवा 9 माह की अवधि में ही समाप्त कर दी गई थी। कहा जा रहा था कि जून 2024 में शुरू हो रहे नए सत्र में पुनः भर्ती की जाएगी लेकिन अब एक माह से ज्यादा का समय बीतने के बाद भी 70 हजार के करीब अतिथि शिक्षकों के भर्ती का कोई अता-पता नहीं है। फिलहाल शासकीय स्कूलों में अतिथियों की भर्ती के लिए कोई आदेश जारी नहीं हुआ है। हजारों की संख्या में वर्षों से शासकीय स्कूलों में अस्थाई सेवाएं दे रहे अतिथि शिक्षक आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं।
द मूकनायक से बातचीत करते हुए विदिशा जिले के मोहती गाँव के अतिथि शिक्षक अरविंद प्रजापति ने बताया कि वह साल 2008 से अतिथि शिक्षक के पद पर सेवाएं देते हुए स्कूली बच्चों को पढ़ा रहे हैं। लेकिन ऐसा पहली बार हुआ है, जब अतिथि शिक्षकों की भर्ती के लिए आदेश जारी नहीं किए गए। अरविंद ने कहा, "हम आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं। बेरोजगारी के कारण खेतों में मजदूरी कर रहे हैं। अप्रेल में ही सेवाएं समाप्त हो चुकी है, मगर घर चलाने के लिए कुछ तो करना पड़ेगा। अब सरकार के आदेश का इंतजार है।"
दतिया जिले के निवासी राहुल कुमार बतातें हैं कि वह अतिथि शिक्षक भर्ती के आदेश के लिए इंतजार कर रहे हैं। राहुल पिछले पांच वर्षों से अतिथि शिक्षक के रूप में शासकीय स्कूलों में सेवाएं देते आए हैं। राहुल ने द मूकनायक से बताया, "पिछली साल जून में स्कूल शिक्षा विभाग का आदेश आया था और 12 जुलाई तक सभी की भर्ती हो चुकी थी। मगर इस बार आदेश जारी ही नहीं हुआ। हमारे पास रोजगार का कोई अन्य साधन नहीं है इसलिए अब परिवार का पालन-पोषण करने की चिंता है।"
प्रदेश के सरकारी स्कूलों में 70 हजार से अधिक अतिथि शिक्षक पदस्थ हैं। इसमें से कई अतिथि शिक्षकों को स्कूलों में सेवाएं देते हुए 15 साल तक का समय हो चुका है। इसे लेकर प्रदेश के कई अतिथि शिक्षकों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर नियमित करने की मांग की थी। अतिथि शिक्षकों का कहना था कि वे शिक्षक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण हैं और डीएड-बीएड प्रशिक्षित हैं।
मध्य प्रदेश शासकीय प्राथमिक/माध्यमिक और उच्चतर स्कूलों में पिछले 15 वर्षों से करीब 70 हजार अतिथि शिक्षक अस्थाई सेवाएं दे रहे हैं। यह भी कहना ठीक ही है कि अतिथि शिक्षकों के भरोसे ही प्रदेश की स्कूली शिक्षा व्यवस्था सुचारू संचालित है। लेकिन नए सत्र की शुरुआत को एक माह से ज्यादा बीत चुका पर सरकार ने अतिथि शिक्षकों की भर्ती नहीं की।
अतिथि शिक्षकों का कहना है कि उन्हें तीन वर्ष से लेकर 15 वर्षों तक लगातार अतिथि शिक्षक के रूप में पढ़ाने का अनुभव है। अन्य राज्यों में भी अतिथि शिक्षकों को नियमित किया गया है। इस आधार पर मध्य प्रदेश में भी अतिथि शिक्षकों को नियमित किया जाए। हाईकोर्ट ने स्कूल शिक्षा विभाग को नियमानुसार कार्यवाही के निर्देश दिए थे। जिसके बाद डीपीआई ने नियमों का हवाला देकर कहा कि अतिथि शिक्षकों को नियमित नहीं किया जा सकता है।
संयुक्त अतिथि शिक्षक संघ के प्रांतीय अध्यक्ष मनोज कुमार मिश्रा ने द मूकनायक को बताया कि वह लगातार सरकार से बात करते आए है। उन्होंने कहा, "प्रशासनिक अधिकारियों से लगातार बात हो रही है, भर्ती आदेश जारी होने की संभवनाएं जल्द ही है।"
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