नई दिल्ली। लगातार बारिश के कहर से बिहार में पुलों के ढहने का सिलसिला थम नहीं रहा है। सारण जिले में गुरुवार को एक और पुल के ढहने के बाद प्रदेश में पिछले 16 दिन के दौरान यह 12वीं घटना है। इन घटनाओं की बजह से खासतौर पर ग्रामीण इलाकों से आवागमन बुरी तरह प्रभावित हुए हैं।
लगातार हो रही घटनाओं को देखते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य में सभी पुराने पुलों का सर्वेक्षण और मरम्मत की जरूरत वाले पुलों की पहचान कर, इस संबंध में तत्काल नीति तैयार करने के निर्देश दिए हैं। पुलों के बहने के मामले पर राजद नेता तेजस्वी लगातार प्रदेश और केंद्र सरकार पर निशाना साध रहे हैं।
सारण के जिलाधिकारी अमन समीर ने बताया कि पिछले 24 घंटे के भीतर सारण में पुल ढहने की तीसरी घटना है। उन्होंने कहा कि जिले में छोटे पुलों के ढहने के कारणों का पता लगाने के लिए उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए गए हैं। उन्होंने बताया कि 15 वर्ष पूर्व स्थानीय प्रशासन के द्वारा इस पुल को निर्माण किया गया था जो गुरुवार की सुबह गिर गया। हालांकि, इस घटना में किसी के हताहत होने की कोई सूचना नहीं है। गंडकी नदी पर बनयपुर प्रखंड में स्थित यह छोटा पुल सारण के कई गांवों को पड़ोसी सिवान जिले से जोड़ता था।
एक दिन पहले बुधवार को सारण जिले में जनता बाजार क्षेत्र और लहलादपुर क्षेत्र में दो छोटे पुल ढह गए थे। स्थानीय लोगों ने आशंका जताई है कि पिछले कुछ दिनों से लगातार हो रही भारी बारिश के कारण छोटे पुलों के ढहने की घटनाएं हो रही हैं।
जुलाई में अब तक चार पुल ढहने की घटनाएं होने के बाद संख्या बढ़कर 12 हो गई हैं। बिहार में पुल गिरने की हालिया घटनाओं पर उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने गुरुवार को कहा कि मुख्यमंत्री ने संबंधित अधिकारियों को राज्य में सभी पुराने पुलों का सर्वेक्षण करने और तत्काल मरम्मत की जरूरत वाले पुलों की पहचान करने का स्पष्ट निर्देश दिए हैं।
मुख्यमंत्री ने संबंधित विभागों को पुलों के रखरखाव संबंधी नीति तत्काल तैयार करने को भी कहा है। उधर, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव ने गुरुवार को 'एक्स' पर लिखा कि, “बिहार में 18 जून से अब तक 12 पुल गिर चुके हैं।”
उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दोनों ही बिहार में हुई इन घटनाओं पर चुप हैं। सुशासन और भ्रष्टाचार मुक्त सरकार के दावों का क्या हुआ। ये घटनाएं बताती हैं कि राज्य सरकार के हर विभाग में भ्रष्टाचार किस तरह व्याप्त है।”
बिहार में बारिश के चलते पुलों के बहने का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। वकील ब्रजेश सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर सभी कमजोर पुलों को गिराने का निर्देश देने की मांग की है। ब्रजेश सिंह ने अपनी याचिका में कहा है कि बिहार में पुलों के बेहद दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से टूटने के संबंध में याचिका दाखिल होने तक अररिया जिले में छह पुलों के टूटने की खबर है।
याचिका में सीवान, मधुबनी, किशनगंज और अन्य जगहों पर पुल टूटने की घटनाओं का जिक्र है। पिछले 15 दिन में राज्य में छोटे-बड़े मिलाकर 12 पुल अब तक टूट चुके हैं। याचिका में छोटे-बड़े पुलों के सरकारी निर्माण का 'स्ट्रक्चरल आडिट' कराने का आदेश देने की गुहार लगाई गई है।
याचिका में सुप्रीम कोर्ट से मामले में समुचित आदेश या निर्देश जारी करने की अपील की गई है। इसमें बिहार को राज्य में सभी कमजोर मौजूदा पुलों और निर्माणाधीन पुलों का आडिट करने और ध्वस्त करने का निर्देश देने की मांग की गई है। साथ ही निर्मित, पुराने और निर्माणाधीन पुलों की वास्तविक समय निगरानी के लिए उचित नीति या तंत्र बनाने का निर्देश देने की मांग की गई है।
याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट बिहार के क्षेत्र में आने वाले पुलों के लिए सेंसर का उपयोग कर पुलों की मजबूती की निगरानी के लिए एक अनिवार्य दिशानिर्देश जारी करे। कोर्ट से अपील की गई है कि एक कुशल स्थायी निकाय बनाने का निर्देश दिया जाए।
इसमें, मुख्य सचिव के माध्यम से बिहार राज्य को पक्षकार बनाया गया है। पथ निर्माण विभाग के अपर मुख्य सचिव, बिहार राज्य पुल निर्माण निगम लिमिटेड, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय सचिव और भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण को पक्षकार बनाया गया है।
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