किसानों की हुई जीत, सरकार को वापस लेना पड़ा कृषि कानून

किसानों की हुई जीत, सरकार को वापस लेना पड़ा कृषि कानून
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पीएम मोदी ने तीनों विवादित कृषि क़ानूनों को वापस लेने की घोषणा की है, देशभर में किसान एक साल से अधिक समय से इनके ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे थे. इस दौरान संयुक्त किसान मोर्चा ने पीएम मोदी की घोषणा का स्वागत किया लेकिन उन्होंने ये भी कहा कि वो चल रहे आंदोलन को तुरंत वापस नहीं लेंगे. उनका कहना था उनको लिखित में इसकी जानकारी चाहिए साथ ही जो एमएसपी है उसको लेकर भी विचार किया जाना चाहिए इस दौरान किसानों के लिए दुगोनी खुशी थी एक तो प्रकाश पर्व दुसरा तीन कृषि क़ानूनों को वापस लेने की घोषणा..

बीते साल 26 नवंबर को दिल्ली के गाजीपुर, सिंघु व टीकरी बॉर्डर पर शुरु हुए आंदोलन के साथ किसान पंजाब व हरियाणा से अपने साथ बड़ी-बड़ी ट्रॉलियाों में पहुंचे बॉर्डर के फुटपाथ व सड़क को ही रसोईघर और अपने रहने लायक घरों में तब्दील कर पहले दिन से ही लंगर सेवा शुरू कर दी गई थी। वहीं जहां सर्दी में मक्के की रोटी व सरसों के साग ने आंदोलन में स्वाद बनाये रखा। वहीं, गर्मी में बढ़ते तापमान को लस्सी, छाछ, शरबत, ठंडाई व शिकंजी कंट्रोल में रखा। इस दौरान किसानों ने बॉर्डर पर सारे मौसम देखे.. बॉर्डर पर बढ़ती आंदोलनकारियों की भीड़ के साथ आटा गूंथने से लेकर रोटी व चावल बनाने की मशीन का भी इंतजाम किया गया।

इस आंदोलन ने कई अहम पड़ाव देखे
17 सिंतबर 2020
तीन कृषि बिल लोकसभा में मंजूर, हरसिमरत का इस्तीफा
20 सिंतबर 2020
हंगामे के बीच कृषि बिल राज्यसभा में पास
27 सिंतबर
कृषि कानून पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के दस्तखत, कानून बने
14 अक्टूबर 2020
पहले दौर की बातचीत, बैठक में कृषि सचिव पहुंचे.
किसानों ने बहिष्कार किया
24 नवंबर 2020
500 से अधिक किसान संगठनों ने बनाया संयुक्त किसान मोर्चा
25 नवंबर 2020
आंदोलन शुरु, पंजाब-हरियाणा के किसानों ने दिल्ली कूच किया
26 नवंबर 2020
हजारों की संख्या में किसान दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर जुटे
11 दिसंबर 2020
कृषि कानूनों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची भारतीय किसान यूनियन
26 जनवरी को इस आंदोलन ने यू टर्न लिया.
15 मई 2021
26 मई का दिन काला दिवस के रूप में मनाने की घोषणा
22 मई 2021 किसानों ने मोदी को लिखा खत, आंदोलन तेज करने की धमकी
700 से ज्यादा किसानों की मौत

इस दौरान किसानों को कभी बड़ी मीडिया कवरेज मिली तो कभी मीडिया ने खाली टैंटों को दिखाकर किसानों पर सवाल खड़े किए.. वहीं किसानों को पाकिस्तानी, खालिस्तानी औऱ आतंकवादी भी बताया गया.. लेकिन अब देश के प्रधानमंत्री ने जिस तरह से तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की बात कही है वह कई सावल खड़े करता है, क्या यह राजनीति का हिस्सा है, क्या उत्तर प्रदेश और पंजाब में होने वाले चुनावों को मद्देनजर रखकर ये फैसला लिया गया है…

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