सेमीफाइनल में चंपारण मटन, दलित निर्देशक की शॉर्ट फिल्म ऑस्कर जीतने की राह पर

पढ़िए निर्देशक और कलाकारों से द मूकनायक की खास बातचीत और फिल्म से जुड़े कुछ अनछुए पहलू
सेमीफाइनल में चंपारण मटन, दलित निर्देशक की शॉर्ट फिल्म ऑस्कर जीतने की राह पर
Published on

नई दिल्ली। शॉर्ट फिल्म श्चंपारण मटनश्ए जो इन दिनों काफी चर्चा में है। बिहार से जुड़ी इस फिल्म की चर्चा इसलिए हो रही है। क्योंकि ये ऑस्कर के सेमीफाइनल तक पहुंच गई है। यह एक शॉर्ट फिल्म है जो ऑस्कर के स्टूडेंट अकेडमी अवॉर्डश् की नैरेटिव कैटगरी के सेमीफाइनल तक पहुंच गई है। इस साल भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान की तीन फिल्मों को इंटरनेशनल अवॉर्ड में भेजा गया था, लेकिन चंपारण मटन ही वो फिल्म है जो सेमीफाइनल तक पहुंची है। द मूकनायक ने चंपारण के निर्देशक रंजन उमाकृष्ण, अभिनेता चंदन रॉय और अभिनेत्री फलक खान से बातचीत की है।

फिल्म के निर्देशक रंजन उमाकृष्ण से वीडियो इंटरव्यू के दौरान द मूकनायक ने सवाल किया कि इस फिल्म का नाम चंपारण मटन क्यों रखा गया?

फिल्म के डायरेक्टर रंजन उमाकृष्ण ने बताया कि उनका बचपन चंपारण में बीता है। उनकी माँ भी चंपारण की है जो बहुत अच्छा मटन बनाती हैं। रंजन ने कहा कि कहानी चंपारण की थी तो चंपारण मटन से अच्छा दूसरा कोई नाम नहीं हो सकता था, इसलिए यह नाम तय किया गया। रंजन ने कहा यह मेरा ड्रीम प्रोजेक्ट था। मुंबई में जब हम फिल्म की शूटिंग कर रहे थे तब क्रू मेंबर्स ने भी चंपारण मटन को चखा था। सभी उसके स्वाद से प्रभावित थे।

सेमीफाइनल में चंपारण मटन, दलित निर्देशक की शॉर्ट फिल्म ऑस्कर जीतने की राह पर
आदिवासी सप्ताह विशेष: उत्तर प्रदेश की थारू जनजाति; कबीलों को स्थायी आवास और आजीविका स्रोत की दरकार

फिल्म के अभिनेता चंदन रॉय ने द मूकनायक को बताया कि जब फिल्म के लिए डायरेक्टर रंजन उमाकृष्ण का फोन आया था। बिहार की स्टोरी होने कारण भी भावनात्मक रूप से जुड़ा और जब डायरेक्टर ने कहानी सुनाई तो और भी प्रभावी थी। उन्होंने बताया फिल्म में क्षेत्रीय बोली वज्जिका का उपयोग भी किया गया है। कहानी इतनी रियल है कि फिल्म से जुड़ा। जब कहानी सुन रहा था तो फिल्मी न लगकर सभी किरदार एक एक सच्ची कहानी की तरह लगे। कहानी में कास्ट, परिवार की आर्थिक स्थिति, लॉकडाउन का प्रभाव सभी चीजें शामिल थीं।

फिल्म की अभिनेत्री फलक खान ने बातचीत में बताया कि उन्होंने नहीं सोचा था कि फिल्म ऑस्कर तक पहुँचेगी। उन्होंने कहा हमारे लिए गर्व की बात है। फलक ने बताया कि जब उन्होंने स्टोरी सुनी तो उन्हें काफी इंटरेस्टिंग और रियल लगी।

डायरेक्टर ने चंदन रॉय को किया था मैसेज

डायरेक्टर रंजन उमाकृष्ण ने बताया कि वह अपने डिप्लोमा फिल्म को बनाने की तैयारी कर रहे थे। वह चाहते थे। पंचायत वेबसीरिज फेम चंदन रॉय उनकी फिल्म में अभिनय करें। रंजन ने कहा कि उन्होंने पहले चंदन रॉय को इंग्लिश में मेसेज भेजा था फिर उसे डिलीट कर हिंदी में फिर से मैसेज भेजा था। उन्होंने मैसेज लिखा कि वह एफटीआईआई के स्टूडेंट् है और बिहार की अपनी ही भाषा में फिल्म बना रहे है। वह चाहते है कि फिल्म में चंदन रॉय अभिनय करें।

आज के दौर में जातिगत भेदभाव दुर्भाग्यपूर्ण

फिल्म चंपारण मटन की कास्ट ने जातिगत ढांचे पर खुलकर बात की है। फिल्म की अभिनेत्री फलक खान ने कहा आज के इस दौर में जातिगत भेदभाव होना दुर्भाग्यपूर्ण है। जब कोई राइटर अपना करियर की शुरुआत करता है तो वह कोशिश करता है कि वह अपनी आपबीती या उसने जो देखा वह अपनी कहानी में शामिल करें। जातिगत भेदभाव बिहार में होता है। लोग आज भी कास्ट सिस्टम को मानते है तो यह समाज का विकास कैसे हुआ। वहीं अभिनेता चंदन रॉय ने कहा कि बिहार के हमारे गांव में हमने बचपन में देखा है कि वहाँ सामूहिक भोज में अलग-अलग जातियों की अलग कतार लगाकर भोज कराया जाता था। साथ ही फिल्म निर्देशक रंजन उमाकृष्ण ने कहा की समाज में हर एक गलत चीज से उन्हें तकलीफ होती है चाहे वह कास्ट सिस्टम हो या अन्य किसी भी तरह की प्रताड़ना।

द मूकनायक की प्रीमियम और चुनिंदा खबरें अब द मूकनायक के न्यूज़ एप्प पर पढ़ें। Google Play Store से न्यूज़ एप्प इंस्टाल करने के लिए यहां क्लिक करें.

The Mooknayak - आवाज़ आपकी
www.themooknayak.com