उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान। "फसल को बच्चों जैसे पाला, इतना ओला गिरा की सब मिट्टी में मिल गया। एक मेरा ही नहीं, हजारों किसानों का नुकसान है। मैं तो बर्बाद हो गया, मालूम नहीं क्या खाएंगे, क्या करेंगे?" यह पीड़ा है मध्यप्रदेश के पन्ना जिले के आदिवासी किसान मेवाराम की है। उनकी डेढ़ एकड़ में बोई मटर, चना, सरसों और गेहूं की फसल बर्बाद हो गई।
इसीप्रकार उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले के कोथांवा ब्लॉक निवासी दलित किसान पंकज कुमार ने बताया कि बेमौसम बारिश व तेज हवा से दो एकड़ में बोई गेहूं की फसल गिर गई। सरसों का भी नुकसान हुआ है।
उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान के किसानों के लिए बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि आफत बन गई है। पिछले तीन दिनों से राज्यों के अलग-अलग इलाको में तेज आंधी, बारिश और भारी ओलावृष्टि के कारण किसानों की रबी की फसलें बर्बाद हो गई है। एमपी से एक वीडियो भी वायरल हुआ है, जिसमें किसान अपने खेत में खड़े होकर बिलखता हुआ दिखाई दे रहा है।
बेमौसम बारिश से फसल खराबा के साथ जनजीवन अस्तव्यस्त हो गया है। यूपी में रविवार को बारिश और ओलावृष्टि के दौरान आकाशीय बिजली गिरने से 4 लोगों की मौत होने की खबर सामने आई। उत्तरप्रदेश के लखीमपुर खीरी, हरदोई, सीतापुर और शाहजहांपुर में आकाशीय बिजली से एक-एक लोग के मरने की सूचना राहत आयुक्त कार्यालय द्वारा दी गई है। इसके अलावा आगरा, शाहजहांपुर व सीतापुर में आकाशीय बिजली गिरने से पशुओं की मौतें हुई हैं।
यूपी के 11 जिलों बस्ती, उन्नाव, शाहजहांपुर, बहराइच, बाराबंकी, गोंडा, श्रावस्ती, प्रतापगढ़, सिद्धार्थनगर, लखीमपुर खीरी और महोबा अधिक बारिश हुई है। इसके अलावा फर्रुखाबाद, कन्नौज, मुजफ्फरनगर, जालौन, झांसी, कानपुर देहात, ललितपुर, सहारनपुर, लखनऊ, सीतापुर और झांसी में बारिश के साथ ओलावृष्टि हुई हुई। बारिश और भारी ओलावृष्टि के कारण किसानों की फसलें 80 फीसदी तक खराब हो गईं।
राजस्थान में भी आकाशीय बिजली गिरने से 6 लोगों की मौत हुई जबकि कुछ लोग झुलस गए। ओलावृष्टि से कई जिलों में किसानों की फसलें चौपट हो गई। मौसम विज्ञान केंद्र के मुताबिक अब पश्चिमी विक्षोभ का असर खत्म हो गया है। लेकिन तीन दिनों के इस तूफान ने किसानों को चौपट कर दिया है।
शनिवार और रविवार को जयपुर सहित राजस्थान के करीब 21 जिलों में बारिश हुई। सर्वाधिक बारिश बीकानेर और चूरू जिले में 19 एमएम दर्ज की गई थी, दौसा जिले के लालसोट में भी 17 एमएम बारिश दर्ज की गई। हनुमानगढ़, श्रीगंगानगर, चूरू सहित उत्तरी पश्चिमी राजस्थान के कुछ जिलों में जोरदार ओलावृष्टि होने से खेतों में सफेद चादर बिछ गई। ओलावृष्टि से चना, इसबगोल जीरा औरगें गेहूं की फसल को भारी नुकसान हुआ है। इधर, मध्य प्रदेश में भी बारिश और ओलावृष्टि से हजारों एकड़ खेत में तैयार खड़ी फसल चौपट हो गई। प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र के जिलों में ओलावृष्टि से तबाही का मंजर दिखा यहां, निवाड़ी, टीकमगढ़, छतरपुर, पन्ना में करीब 90 प्रतिशत किसानों की फसलें प्रभावित हुई हैं।
सवाई माधोपुर जिला कृषि विभाग ने 21860 हैक्टियर में फसल खराबा माना है, जबकि गेहूं में कम नुकसान की बात कही गई है। इनके अलावा चना, मसूर व अन्य फसलों में भी नुकसान हुआ है। सवाई माधोपुर सहित गंगापुर सिटी, करौली, धौलपुर, भरतपुर, अलवर, जयपुर, कोटा, बूंदी, बारां, झालावाड़, सीकर, नागौर, बीकानेर, भीलवाड़ा आदि जिलों में भी नुकसान हुआ है।
भीलवाड़ा जिले में बरसात के साथ तेज हवा चलने से गेहूं की फसल बिछ गई। इसी तरह सांचौर जिले में बे मौसम बारिश हुए फसल खराबे की मुआवजे की मांग को लेकर विधायक जीवाराम चौधरी ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है। नागौर जिले में तेज बारिश के साथ ओलावृष्टि से जीरा, चना, इसबगोल, सौंफ, मेथी, गेहूं आदि की फसलों में नुकसान हुआ है। बीकानेर जिले में 50 से 60 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चली हवाओं से खेतों में कटी पड़ी फसल उड़ गई। यहां सर्वाधिक सरसों फसल में नुकसान हुआ है।
मध्य प्रदेश में अलग-अलग स्थानों पर बनी तीन मौसम प्रणालियों के प्रभाव से मध्य प्रदेश के विभिन्न शहरों में वर्षा होने का सिलसिला जारी है। इसी क्रम में पिछले 24 घंटे के दौरान रविवार को प्रदेश के 21 शहरों में वर्षा दर्ज की गई। नौगांव में सबसे ज्यादा 34 मिलीमीटर वर्षा दर्ज की गई तो ग्वालियर में 24.4, दतिया में 17.2, टीकमगढ़ में 11, गुना में 8.4, उमरिया में 7.6, सीधी में 5.8, पचमढ़ी में 4.6, सतना में 3.8, नरसिंहपुर एवं सिवनी में तीन मिलीमीटर वर्षा हुई। 12 जिले छतरपुर, टीकमगढ़, अशोकनगर, गुना, शिवपुरी, मुरैना, दतिया, ग्वालियर, श्योपुरकलां, रायसेन, निवाड़ी एवं पन्ना में कहीं-कहीं ओलावृष्टि भी हुई जिसके कारण फसलों को नुकसान हुआ है। मध्य प्रदेश में गेहूं, चना, मसूर, सरसों की फसल पर नुकसान हुआ है।
द मूकनायक से बातचीत करते हुए निवाड़ी के तरीचर गाँव के किसान बलदेव परिहार ने बताया कि रविवार को तेज बारिश के साथ खेत में लगभग पक चुकी गेहूँ फसल 90 प्रतिशत तक नुकसान हुआ है। ओलावृष्टि के कारण गेहूं की बाल टूट कर खेतों में बिखर गई है। पानी पड़ने के कारण बची हुई फसल के दाने या तो सड़ जाते है या फिर काले पड़ने लगते हैं।
किसान बलदेव परिहार ने कहा- "हमने 6 एकड़ जीमन पर सिर्फ गेहूं बोया था, फसल तैयार थी। बस 10 से 12 दिन में कटाई का काम शुरू करना था। गेहूँ के दाने भरकर तैयार थे, धूप लगनी थी। लेकिन ओलावृष्टि के कारण सब चौपट हो गया। पिछले साल 150 क्विंटल गेहूँ निकाला था, अब दस क्विंटल निकलना मुश्किल लग रहा है।"
मौसम विज्ञान केंद्र से मिली जानकारी के मुताबिक, वर्तमान में पश्चिमी विक्षोभ उत्तरी पाकिस्तान के पास हवा के ऊपरी भाग में चक्रवात के रूप में बना हुआ है। इसके प्रभाव से पंजाब एवं उससे लगे पाकिस्तान पर बना प्रेरित चक्रवात अब कम दबाव के क्षेत्र में परिवर्तित हो गया है। इसके अतिरिक्त दक्षिण-पश्चिमी मध्य प्रदेश से लेकर कर्नाटक तक एक द्रोणिका बनी हुई है। जिसके कारण बारिश और ओलावृष्टि हुई है।
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