चंडीगढ़। पंजाब-हरियाणा के शंभू बॉर्डर पर किसान अपनी मांगों को लेकर डटे हुए हैं। आज आंदोलन का पांचवा दिन है, शुरुआती 2 दिनों के मुकाबले अब यहां का माहौल शांतिमय बना हुआ है। अब अर्धसैनिक बलों द्वारा किसानों पर हमले नहीं किए जा रहे हैं। फिलहाल, प्रदर्शन कर रहे किसान भी आगे बढ़ने की कोशिश नहीं कर रहे हैं और रविवार (18 फरवरी) को होने वाली मीटिंग के निर्णय का इंतजार कर रहे हैं।
वहीं, केंद्र सरकार और किसानों के बीच गुरुवार (15 फरवरी) को देर रात तक चली बैठक भी बेनतीजा रही। यह बैठक चंडीगढ़ में रात करीब डेढ़ बजे तक चली लेकिन सरकार और किसानों के बीच कोई सहमति नहीं बन पाई।
गुरुवार को हुई इस बैठक में पंजाब के मुख्यंत्री भगवंत मान के साथ केंद्र सरकार की तरफ से केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल, अर्जुन मुंडा और नित्यानंद राय शामिल हुए। इससे पहले आठ और 12 फरवरी को भी किसानों और सरकार के बीच बहुत लंबी बातचीत हुई थी, जिसका भी कोई नतीजा नहीं निकला था। किसानों का कहना है कि सरकार बस समय बर्बाद करना चाहती है। उनका हमारी मांगों को मानने का कोई इरादा नहीं है।
किसानों का कहना है कि हम आगे आंदोलन जारी रखेंगे, हम पीछे नहीं हटेंगे। वहीं इस बैठक में मौजूद केन्द्र सरकार के प्रतिनिधियों का कहना था कि न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी पर सरकार 'हड़बड़ी में' कोई क़ानून नहीं बनाना चाहती है।
गुरुवार देर रात तक चली इस बैठक में मंत्रियों ने एमएसपी समेत किसानों की दूसरी मांगों पर भी चर्चा की, लेकिन किसानों और सरकार के बीच कोई सहमति नहीं बन पाई। इस मीटिंग में, किसानों और सरकार के बीच चौथे दौर की बैठक को लेकर सहमति बनी है। इस बैठक के लिए रविवार (18 फरवरी) का दिन तय किया गया है। शंभू बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे किसानों का कहना है कि वे आगे का निर्णय इसी बैठक के आधार पर लेंगे।
पंजाब-हरियाणा शंभू बॉर्डर पर किसानों की गाड़ियों की लंबी लाइन
पंजाब-हरियाणा शंभू बॉर्डर पर किसान ट्रैक्टर, ट्रॉली, ट्रक और गाडियां लेकर पहुंचे हैं। यहां किसानों की गाड़ियों की तीन से चार किलोमीटर लंबी लाइन लगी है। शंभू बॉर्डर पर हर दिन लगातार किसान इक्कठे हो रहे हैं। वे यहां पूरी तैयारी के साथ आए हैं। किसान यहां महीनों का राशन लेकर पहुंचे हैं। आंदोलन में शामिल बलविंदर सिंह अपने साथियों के साथ ट्रक में बैठे हैं। मेरे यह पूछने पर कि आप यहां कब तक रहेंगे, वे सामान दिखाते हुए कहते हैं― "हमारे पास साल भर का राशन है। आटा, दाल और प्याज के साथ साथ सारी जरूरी चीजें हम इस गाड़ी में भर कर लाए हैं। हमारी मांगें जबतक नहीं मानी जाएगी, हम यहीं पड़े रहेंगे।"
फोर्स द्वारा किए गए हमले पर बात करते हुए यहीं बैठे एक किसान कहते हैं, सरकार हम पर जुल्म कर रही है। मीडिया भी सरकार का पक्ष ले रही है, इसलिए हम मीडिया का बॉयकॉट भी करते हैं। हम तो अपनी पुरानी मांगों को लेकर ही यहां आंदोलन कर रहे हैं। केंद्र की मोदी सरकार ने जो वादे किए थे वो पूरे नहीं किए गए। सरकार ने हमारे साथ वादाखिलाफी की है।
बता दें कि आंदोलन कर रहे किसानों की मांगों में कर्ज़ माफ़ी, स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करना, दिल्ली में चले पिछले किसान आंदोलन के दौरान मारे गए लोगों के परिवार में किसी एक के लिए नौकरी, लखीमपुर खीरी में विरोध प्रदर्शन के दौरान घायल हुए किसानों के लिए मुआवज़े की व्यवस्था और किसानों के ख़िलाफ़ दर्ज मामले वापिस लेना शामिल है।
"हम अन्नदाता हैं, हम सबके लिए अन्न उगाते हैं"
वहीं प्रदर्शन कर रहे एक किसान हरविंदर सिंह कहते हैं, "हमें आतंकवादी कहा जा रहा है, हमें बहुत से नाम दिए जा रहे हैं। लेकिन हमें ये नहीं कहा जा रहा है कि हम हक के लिए लड़ते हैं, हम देश के लिए लड़ते हैं।" आगे वे जोड़ते हैं, "हम इस देश के वासी हैं। हम मजलूमों के साथ खड़े होने वाले हैं। हम अन्नदाता हैं, हम सबके लिए अन्न उगाते हैं।"
पंजाब-हरियाणा की शंभू बॉर्डर पर डटे हुए हैं किसान
आपको बता दें कि किसानों का यह आंदोलन 13 फरवरी को शुरू हुआ था। सोमवार (12 फरवरी) को चंडीगढ़ में केंद्र सरकार और किसानों के बीच देर रात तक चली बैठक में कोई सहमति नहीं बन पाई थी जिसके बाद किसानों ने 'दिल्ली कूच' का निर्णय लिया था। पहले ही दिन किसानों ने पंजाब-हरियाणा सीमा पर पुलिस द्वारा लगाए बैरिकेड तोड़ कर दिल्ली की तरफ मार्च करने की कोशिश की थी। लेकिन अर्धसैनिक बलों के बड़ी फोर्स ने आंसू गैस के गोले, रबर बुलेट और प्लास्टिक बम चलाकर किसानों को आगे बढ़ने से रोक दिया था।
पुलिस द्वारा की गई इस कार्रवाई से भारी संख्या में किसान घायल हुए थे। घायल हुए किसानों का इलाज राजपुरा हॉस्पिटल में चला। वहीं, कुछ किसान जिनकी हालात गंभीर थी उन्हें चंडीगढ़ रैफर कर दिया गया था।
वहीं, गुरुवार को मीटिंग के बाद मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा था, "दोनों पक्षों के बीच अच्छे माहौल में सकारात्मक चर्चा हुई है। किसान संगठनों ने जिस विषयों पर ध्यान आकर्षित किया है, उसे संज्ञान में लेते हुए हमने बैठक की अगली तारीख तय की है।" रविवार शाम छह बजे हम इस चर्चा को आगे जारी रखेंगे। हमें उम्मीद है कि हम सब मिलकतर शांतिपूर्ण तरीके से इस मुश्किल का हल निकालेंगे।"
इस मीटिंग के बारे में बात करते हुए किसान मज़दूर मोर्चा के संयोजक सरवन सिंह पंढेर ने कहा था, "सरकार ने कहा कि हमें समय चाहिए क्योंकि हम हवा में बातचीत नहीं करना चाहते। उनकी कोई कांफ्रेंस है और फिर उन्हें मंत्रिमंडल से बात करनी है। एमएसपी का क़ानून, लागत का डेढ़ गुना और कर्ज़ माफ़ी जैसी हमारी मांगों पर लंबी चर्चा चली है।"
सरकार द्वारा किसान नेताओं और पत्रकारों के सोशल मीडिया बंद किए जाने पर सरवन सिंह पंढेर ने कहा "सोशल मीडिया पन्ने बंद करना या इंटरनेट बंद करना कोई तरीका नहीं हुआ। ड्रोन हम पर आंसू गैस के गोले बसरा रहे हैं। हमने उस पर भी अपनी बात दमदार तरीके से की है। हम नहीं चाहते कि इतना बलप्रयोग हो, हम कौन से पाकिस्तान के रहने वाले हैं? हम आपके देश के किसान हैं। लगता है कि इधर भी बॉर्डर है, उधर भी बॉर्डर है।"
"हम चाहते हैं कि बातचीत से हल निकल जाए, हम टकराव नहीं चाहते लेकिन दिल्ली की तरफ कूच करने की योजना तो अपनी जगह है। इस पर हम शुक्रवार को अपने साथियों के साथ भी विचार विमर्श करेंगे।"
एक तरफ जहां सरकार किसानों से बार-बार मीटिंग कर उनसे चर्चाएं कर रही है, वहीं दूसरी तरफ किसान नेताओं और पत्रकारों के सोशल मीडिया अकाउंट्स लगातार बंद कर उनके आवाज को दबा रही है। गुरुवार को हुई मीटिंग में सरकार ने बंद अकाउंट को खोलने की भी बात की थी लेकिन आज आंदोलन में मुख्य भूमिका निभा रहे किसान मजदूर मोर्चा (KKM) का ट्विटर(एक्स) हैंडल बंद कर दिया गया।
दिल्ली कूच करने वाले किसान आज शनिवार, पांचवे दिन भी पंजाब-हरियाणा की शंभू बॉर्डर पर डटे हुए हैं। हालांकि, शुरुआत के दो दिनों की तुलना में तीसरा, चौथा और पांचवा दिन शांत रहा।
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