राजस्थान: फसल बीमा पॉलिसी के लिए युद्धस्तर पर क्यों जुटा विभाग?

बीमा में मनमाने फसल चयन से बीमा क्लेम का दावा हो जाता है खारिज।
राजस्थान के एक किसान अपने खेत की रखवाली करते।
राजस्थान के एक किसान अपने खेत की रखवाली करते। फोटो- अब्दुल माहिर, द मूकनायक
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जयपुर। राजस्थान में कृषि विभाग ‘मेरी पॉलिसी मेरे हाथ’ अभियान के तहत शिविर आयोजित कर प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत किए गए फसल बीमा पॉलिसी की हार्ड कॉपी किसानों को दे रहा है। अब सवाल यह है कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि कृषि विभाग ग्राम पंचायत स्तर पर शिविर आयोजित कर किसानों को फसल बीमा पॉलेसी की हार्ड कॉपी दे रहा है।

आपकों बता दें कि, 13 जनवरी 2016 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने फसल बीमा योजना में बदलाव कर प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) शुरू की थी। इस नई फसल बीमा योजना में खेती के लिए ऋण लेने वाले किसानों पर प्रीमियम का बोझ कम किया गया था। योजना का संचालन कर रहे कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अनुसार सभी खरीफ फसलों के लिए केवल 2 प्रतिशत, रबी फसलों के लिए 1.5 प्रतिशत तथा बागवानी फसलों के लिए 5 प्रतिशत प्रीमियम लिया जाता है। शेष प्रीमियम राशि केन्द्र व राज्य सरकारें बराबर-बराबर वहन करती हैं।

इससे पहले तक क्या होता था?

सवाईमाधोपुर संयुक्त निदेशक कृषि विस्तार रामराज मीणा ने बताया कि, इससे पहले तक बैंक ऋणी किसानों का प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत बीमा कर खाते से पॉलिसी जमा कर लेती थी। इस बीमा के बारे में किसानों को कोई जानकारी नहीं होती थी। जबकि फसल बीमा योजना के अलावा व्यक्तिगत बीमा या वाहन बीमा की पॉलिसी की कॉपी दी जाती है। इससे बीमा क्लैम करने में आसानी होती है।  

उन्होंने कहा कि, किसानों को यह भी पता नहीं होता था कि उनकी कितनी खातेदारी भूमि के किस खसरा नंबर में किस फसल का बीमा किया गया है। फसल खराब होने पर किसान निर्धारित समयावधि में क्लेम नहीं कर पाता था। इससे उन्हें प्रीमियम जमा होने के बावजूद योजना का क्लेम नहीं मिल पाता था, और फसल खराब होने पर नुकसान की भरपाई नहीं हो पाती थी।

अब किसान को सब पता होगा!

संयुक्त निदेशक कृषि विस्तार रामराज मीणा ने कहा कि, अब कृषि विभाग प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत किए गए बीमा पॉलिसी की हार्ड कॉपी किसानों को दे रहा है। इससे किसान फसल खराब होने पर निर्धारित समयावधि में क्लेम का दावा कर सकेगा। मौसम आधारित फसल खराब होने पर किसानों को क्षतिपूर्ति हो सकेगी।

उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत रबी फसल 2023-24 में जिले में बैंकों द्वारा 83 हजार ऋणी किसानों का बीमा 31 दिसंबर 2023 तक किया गया। 15 जनवरी 2024 तक पॉलिसी का निर्माण किया गया। बैंकों द्वारा निर्मित पॉलिसियां बीमा कंपनी एआईसी के सहयोग से 29 फरवरी तक सभी पटवार मंडलों के ग्राम पंचायत भवन में शिविर आयोजित कर किसानों को उनकी बीमा पॉलिसी सौंपी जाएगी।

कृषि अधिकारी ने बताया कि, ग्राम पंचायत वार आयोजित होने वाले शिविरों के संबंध में विस्तार से कार्यक्रम जारी किया जाएगा। फसल बीमा सभी श्रेणी के कृषकों के लिए खरीफ 2022 से स्वैच्छिक कर दी गई थी। इसमें ऋणी कृषकों को योजना से पृथक होने के लिए योजना से जुड़ने के अंतिम तिथि से सात दिन पूर्व लिखित में संबंधित बैंक को आवेदन किया जाना आवश्यक है।

‘मेरी पॉलिसी मेरे हाथ’ अभियान का कलक्टर ने किया आगाज

‘मेरी पॉलिसी मेरे हाथ’ अभियान का सवाईमाधोपुर जिला कलक्टर खुशाल यादव ने आगाज करते हुए कहा कि इस अभियान का मुख्य उद्देश्य प्रतिकूल मौसम सूखा, तूफान, बेमौसम बारिश, बाढ़, ओलावृष्टि, कीट प्रकोप, चक्रवात जैसी प्राकृतिक आपदाओं से किसानों के फसल खराबे से हुए नुकसान की समय पर भरपाई करवाना है। कृषकों को समय पर बीमा पॉलिसी की हार्ड कॉपी नहीं मिलने से फसल खराब होने पर फसल की जानकारी एवं किसानों को बीमा के प्रति जागरुक करने के लिए पूरे प्रदेश में ग्राम पंचायत मुख्यालय पर शिविर लगाकर पॉलिसियों का वितरण 2 फरवरी से 29 फरवरी तक किया जा रहा है। जो किसान इन शिविरों में पॉलिसी प्राप्त करने से वंचित रह जाते हैं, वे अपनी फसल बीमा पॉलिसी संबंधित कृषि पर्यवेक्षक से प्राप्त कर सकेंगे।

कैसे कर सकते हैं दावा क्लेम?

प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना के बीमाधारित किसान मौसम आधारित फसल खराबा होने पर 72 घंटे में संबंधित बीमा कंपनी के टोल फ्री नंबर पर कॉल करकर या फिर कंपनी को लिखित में तथा ईमित्र के माध्यम से फसल खराबे की शिकायत के साथ क्लेम का दावा कर सकता है। दावे के साथ किसान को बीमा पॉलिसी नंबर, केसीसी ऋण का खाता नंबर, खसरा नंबर के साथ कितनी भूमि किस फसल का बीमा किया गया है, यह जानकारी देगा। इसके बाद संबंधित कृषि अधिकारी के साथ बीमा कंपनी का प्रतिनिधि दावे की सत्यता जांचने के लिए फसल खराबे का आंकलन करेगा। सर्वे में फसल खराबे के आंकलन के खराबे के अनुपात में क्लेम राशि का भुगतान किया जाएगा। 

बैंकों की मनमानी से होता फसल का चयन, क्लैम में दावा खारिज

राजस्थान किसान सभा जिलाध्यक्ष कानजी ने मीना ने कहा कि, "किसानों को बीमा पॉलिसी की हार्ड कॉपी दी जा रही है। यह अच्छी बात है। लेकिन बीमा कंपनियां बीमा प्रीमियम जमा करने से पहले किसानों को इस बारे में कोई जानकारी नहीं देती हैं कि किस खसरा नंबर में किस फसल का बीमा किया गया है। ना बैंक या बीमा कंपनी यह जानने की कोशिश करता है। बैंक मनमाने तरीके से फसल व रकबे का चयन कर प्रीमियम जमा कर लेता है।"

उन्होंने कहा कि, इस तरह की शिकायतें उनके संगठन को पहले भी मिलती रही है। फसल खराबा होने पर जब किसान क्लेम का दावा करता है तो बीमा पॉलिसी में कोई और फसल होती है। जबकि मौके दूसरी फसल मिलती है। सर्वे में बीमा कंपनी इसे आधार बनाकर क्लेम के दावे को खारिज कर देती है। सरकार को चाहिए कि बीमा कंपनी व संबंधित बैंकों को पाबंद किया जाए कि बीमा करने से पहले किसान से पूछा जाए कि उसकी किस खसरा नंबर में कौन सी फसल है। बैंक किसानों के मोबाइल नंबर पर मैसेज देकर पूछ सकती है।

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