सवाईमाधोपुर (राजस्थान)। रक्त जमा देने वाली ठंड। किट-किट करते दांत। हर तरफ कोहरे की चादर। काली घनी रात। जंगल में रात के सन्नाटे को चीरती, आगी रो...। देख...। कानजी भाग.. भाग...। घुसगी... निकाल की आवाजें। जी हां, इन दिनों खेतों से रात भर इस तरह की आवाजें सुनाई देती है। यह आवाजें किसानों की है, जो रातभर खुले आकाश तले जाग कर आवारा जानवरों से फसलों को बचाने की जुगत कर रहा है। किसानों के इसी दर्द को समझने द मूकनायक की टीम राजस्थान की राजधानी जयपुर से 125 किलोमीटर दूर सवाईमाधोपुर जिले के ग्रामीण इलाकों में पहुंची। इन इलाकों में सर्वाधिक आदिवासी व मुस्लिम वर्ग के लोग ही खेती किसानी से जुुड़े हैं।
द मूकनायक की टीम आधी रात को खेतों की तरफ निकली। इस दौरान कई रास्ते में जगह-जगह एक हाथ में लाठी तो दूसरे में टॉर्च लिए किसान मिले। भाड़ौती-मथुरा मेगा हाइवे स्थित माणोंली गांव के पास कुछ किसान अलाव जला कर सर्दी से बचने का प्रयास करते मिले। द मूकनायक की टीम ने यहां रुक कर किसानों से बात की।
हाइवे किनारे माणोंली गांव के पास आदिवासी किसान कानजी मीना से जब रात में इस तरह खुले आकाश तले रुकने का कारण पूछा तो बताया कि फसल की सुरक्षा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आवारा गौवंश आकर खेती को चर जाते हैं। पास के कस्बे में गौशाला है, लेकिन उसमें गायों को नहीं रखते हैं। किसान परेशान है। सरकार गायों को रोक कर रखे तो किसान भी घर सो सकता है।
यहीं अलाव ताप रहे माणोंली गांव के ही रहने वाले किसान जितेन्द्र मीना ने बताया कि सर्द रात है, लेकिन किसानों को रात में बिजली मिल रही है। बिजली रात में मिलेगी तो फसल की सिंचाई भी रात में होगी। किसान की मजबूरी है। इसे कोई नहीं समझता। एक तरफ आवारा जानवरों का दबाव दूसरी तरफ फसल सिंचाई के लिए रात में बिजली सप्लाई। यह किसानों के साथ अन्याय नहीं तो क्या है।
गजानन्द मीणा ने कहा कि आप रात में बिजली सप्लाई दे रहे हो। दी जीए, लेकिन हमारी मांग है कि सरकार अपने अधिकारियों को भी रातभर फील्ड में रहने के लिए पाबंद करे। अधिकारी घरों में रजाइयों में दुबके रहते हैं। किसान रात भर ठंडी में पानी में खड़ा रहता है। हमें दिन के समय बिजली क्यों नहीं दी जाती। उन्होंने कहा कि किसान चौबीस घंटे सर्दी, गर्मी बरसात में रहकर फसल पैदा करता है। इसके बाद दो जून की रोटी मिलती है।
द मूकनायक की टीम ने कुछ इलाकों में दिन के समय भी फसलों का जायजा लिया। भूखा रोड स्थिति एक खेत में किसान बैठा मिला। किसान लईक खान ने बताया कि आवारा गौवंश से गेहूं की फसल बचाने के लिए रातभर जागते रहे। सुबह घर गए तो पीछे से आकर गाय गेहूं की फसल को चट कर गई। इससे हमारा काफी नुकसान हुआ है। उन्होंने फसल अपने भाई कदीर की बताई।
लईक खान ने बताया कि वह निर्वाचित पंचायत समिति सदस्य भी है। मलारना डूंगर कस्बे में गौशाला के लिए 10 बीघा भूमि पर तारबंदी की हुई है, लेकिन कोई भी इसमें गायों को नहीं रखता है। फसल के सीजन में गौवंश को गौशाला में रखा जाए। सरकार को इस और भी ध्यान देने की जरूरत है। किसान चौबीस घंटे खेतों की मेढ पर सैनिक की तरह खड़ा रहता है तब जाकर फसल बच पाती है। इस इलाके में गौवंश के साथ ही सुअरों का आतंक भी है।
द मूकनायक की प्रीमियम और चुनिंदा खबरें अब द मूकनायक के न्यूज़ एप्प पर पढ़ें। Google Play Store से न्यूज़ एप्प इंस्टाल करने के लिए यहां क्लिक करें.