जयपुर। संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर शुक्रवार को राजस्थान भर में विभिन्न किसान व मजदूर संगठनों ने सड़कों पर उतर कर किसानों व मजदूरों की मांगों के समर्थन में विरोध प्रदर्शन किया। सवाईमाधोपुर सहित विभिन्न जिलों में किसानों ने हाइवे जाम कर विरोध प्रदर्शन किया। डीडवाना जिले में व्यापारियों ने भी अपने प्रतिष्ठान बंद रख किसानों की मांगों का समर्थन किया। राजस्थान के अलावा मध्य प्रदेश में भी भारत बंद का मिला जुला असर दिखा।
सवाई माधोपुर जिले में राजस्थान किसान सभा के बैनर तले किसानों ने शुक्रवार सुबह मलारना चौड़ कस्बे में लालसोट-कोटा मेगा हाईवे जाम कर विरोध प्रदर्शन किया। राजस्थान किसान सभा जिलाध्यक्ष कानजी मीना के नेतृत्व में सैकड़ों किसान हाईवे पर जमा हो गए। जहां किसानों ने हाईवे पर अवरोधक लगा कर जाम कर दिया। जाम की सूचना पर मौके पर पहुंचे पुलिस अधिकारियों ने किसानों ने हाईवे खोजने की समझाइश की। करीब दो घंटे बाद किसानों ने हाईवे खोल दिया। इस दौरान किसानों ने मौके पर मौजूद पुलिस अधिकारियों को मांग पत्र सौंपा।
मोरेल बांध मुख्य नहर जल वितरण समिति चेयरमैन कानजी मीना ने बताया कि उन्होंने सभी फसलों की गारंटी शुदा खरीद के लिए स्वामीनाथन किसान आयोग की सिफारिश सी 2+50 प्रतिशत के आधार पर कानून बनाने, किसानों व खेतिहर मजदूरों का कर्ज माफ करने, लखीमपुर खीरी कांड के दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने तथा केन्द्रीय मंत्री अजय टेनी को मंत्री पद से बर्खास्त करने, श्रमिक विरोध कालू कानून तथा आईपीसी में किए संशोधन रद्द करने, नौकरियों में ठेका प्रथा बंद करने, न्यूनतम मासिक वेतन 26 हजार रुपए करने, भूमि अधिग्रहण कानून 2013 लागू करने, आदिवासी क्षेत्रों के निवासियों के जमीन, घर के पट्टे देने, बबेदखलियां बंद करने, आदिवासियों के जल, जंगल और जमीन के अधिकार सुरक्षित करने, किसानों, खेतिहर मजदूरों तथा ग्रामीण दस्तकारों सामाजिक सुरक्षा के तहत दस हजार रुपए मासिक पेंशन देने, तथा प्रधानमंत्री आवास योजना की राशि पांच लाख रुपए करने, किसान हित में फसल बीमा योजना में बदलाव करने की प्रमुख मांगों का ज्ञापन सौंपा है।
इसी तरह विभिन्न मांगों को लेकर हरियाणा- पंजाब शंभू बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन के समर्थन में संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर शुक्रवार को भारत बंद आंदोलन पूर्णतया सफल रहा। किसान व मजदूर संगठनों के आह्वान पर शहर के सभी बाजार बंद रहे। बड़े व्यापारियों के साथ ही चाय, पान, फल, सब्जी विक्रेताओं ने भी समर्थन में दुकानें बंद रखी। दवाइयां और दूध जैसी आवश्यक सेवाओं को बंद से बाहर रखा गया। भारत बंद बंद के दौरान किसान नेताओं ने कहा कि मोदी सरकार ने एक साल पहले चले किसान आंदोलन के दौरान तीन काले कृषि कानूनों को वापस लेने का वादा किया था, लेकिन अभी तक काले कानूनों को वापस नहीं लिया गया है। इसके अलावा एमएसपी को भी कानून का दर्जा नहीं दिया गया है। इन मांगों के साथ ही विभिन्न मांगों को लेकर किसान लंबे समय से आंदोलनरत है, लेकिन मोदी सरकार उनकी कोई सुनवाई नहीं कर रही। इसलिए संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा संपूर्ण ग्रामीण भारत बंद बुलाया गया है।
बंद के दौरान किसान संगठनों ने जिला कलेक्ट्रेट के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान आंदोलनकारी कॉरपोरेट लूट खत्म करो-किसान बचाओ, भारत बचाओ का नारा लगाते हुए कलेक्टर कार्यालय पहुंचे। जहां राष्ट्रपति के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा। किसान सभा के लोगों ने कहा कि केन्द्र सरकार ने किसानों के साथ किए गए समझौते को अभी तक लागू नहीं किया है।
संयुक्त किसान मोर्चा के भारत बंद आंदोलन के समर्थन में अनूपगढ़ जिले के घड़साना उपखंड मुख्यालय पर किसान - मजदूर - व्यापारी व कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन किया। केंद्र सरकार पर किसानों से वादा खिलाफी का आरोप लगते हुए किसान संगठनों से जुड़े लोग अनाज मंडी से पैदल मार्च कर एसडीएम कार्यालय पहुंचे। यहां एसडीएम को संयुक्त किसान मोर्चा की मांगों का ज्ञापन सोंपा। प्रदर्शन में शामिल अनूपगढ़ विधायक शिमला नायक ने किसानों के ऊपर ड्रोन से आंसू गैस के गोले गिराने पर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार किसानों की पीड़ा सुनने की बजाय उन पर आंसू गैस व रबड़ गोलियां चला रही है। यह सरकार की हठधर्मिता की पराकाष्ठा है। सरकार को किसानों की बात सुनना चाहिए।
इसी तरह खेतड़ी में केटीएसएस यूनियन के कामगारों, श्रम संघ एवं किसानों के साथ भारत बंद आंदोलन में भाग लिया। बंद आंदोलन के दौरान श्रमिकों ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा शुक्रवार को भारत बंद का आह्वान किया है। उनके समर्थन में केटीएसएस यूनियन भी संयुक्त किसान मोर्चा की मांगों सहित स्थानीय मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रही है।
बूंदी जिले के करवर में किसान सम्मेलन हुआ। किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट सहित प्रदेशभर से पहुंचे किसान नेताओं ने न्यूनतम समर्थन मूल्य के आंदोलन के संबंध में जयपुर एवं दिल्ली ट्रैक्टर से कूच की रणनीति बनाई। आगामी 21 फरवरी को 500 ट्रैक्टरों के साथ दिल्ली कूच करने पर विचार किया गया।
जोधपुर जिले में भी संयुक्त किसान मोर्चा के भारत बंद आंदोलन का समर्थन करते हुए केंद्रीय मज़दूर संगठनों ने जोधपुर के नई सड़क चौराहे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पुतला फूंक कर केंद्र सरकार की मज़दूर - किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ प्रदर्शन कर केन्द्र सरकार के खिलाफ नारे लगाए। नॉर्थ वेस्टर्न रेलवे एम्पलाइज यूनियन जोधपुर मंडल सचिव मनोज परिहार ने बताया कि केंद्रीय मजदूर संगठनों द्वारा केंद्र सरकार की मजदूर-किसान विरोधी नीतियों एवं भारतीय रेलवे समेत अन्य सार्वजनिक क्षेत्रों के निजीकरण की नीति के खिलाफ प्रधानमंत्री का पुतला दहन कर विरोध प्रदर्शन किया।
गौरतलब है कि, केंद्र सरकार द्वारा देश में लागू 44 श्रम कानूनों को 4 लेबर कोड में बदला जा रहा है। ताकि पूंजीपतियों को फायदा मिल सके। भारत का किसान वर्ग फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर लगातार आंदोलनरत है, लेकिन केंद्र सरकार उनकी मांगों को अनसुना कर आंसू गैस के गोले एवं रबर की गोलियों की बौछार कर रही है। मजदूर संगठन भी मजदूरों को न्यूनतम वेतन 26 हजार एवं 10 हजार रुपये मासिक पेंशन देने, पेट्रोल- डीजल एवं अन्य दैनिक उपयोगी वस्तुओं की बढ़ती कीमतों पर रोक लगाने, पुरानी पेंशन योजना बहाल करने, जीवनदायिनी दवाइयों एवं चिकित्सा उपकरणों पर लगाई गई 18 प्रतिशत जीएसटी हटाते हुए बेहतरीन एवं किफायती चिकित्सा व्यवस्था करने जैसी मांग कर रहे हैं।
राजस्थान इंटक के उपाध्यक्ष मंडल दत्त जोशी ने कहा कि मोदी सरकार की नीतियां मजदूर विरोधी होने के साथ ही पूंजीपतियों की पोषक हैं। उन्होंने कहा कि, पब्लिक सेवाओं बिजली, पानी, रोडवेज, चिकित्सा का भी निजीकरण कर आम जनता के जीवन को दूभर कर दिया गया है। जोधपुर में विरोध प्रदर्शन के दौरान राजस्थान सीटू के जिला अध्यक्ष कामरेड ब्रज किशोर, सीटू जिला उपाध्यक्ष कामरेड मुकेश सक्सेना ने भी संबोधित किया। इस दौरान जिला महामंत्री कामरेड महिपाल, जिला सचिव कामरेड नदीम खान, बद्रीनारायण परिहार, प्रांतीय अध्यक्ष राजस्थान विद्युत प्रसारण मजदूर कांग्रेस (इंटक) पुखराज सांखला, ब्रजेश व्यास, अवतार किशन, राजेश, घनश्याम सिंह, दिनेश, वहीदुद्दीन, रमेश नाथ, हबीब खान, परमानंद गुर्जर, अनोप सिंह, ओमा राम, विक्रम सिंह मंगलिया, मोहन, हनवंत सिंह, वकील अहमद, असलम खान, मनोहर, दिलिप, अरुण चौधरी, शिव चौधरी, अनूप त्रिवेदी, एडवोकेट किशन मेघवाल, एडवोकेट पी.आर. मेघवाल, एडवोकेट लाल चंद पंवार, भीयाराम मेघवाल, समेत केंद्रीय मजदूर संगठनों के अनेक कार्यकर्ता उपस्थित रहे।
मध्य प्रदेश में किसान आंदोलन का फिलहाल कोई असर नहीं दिख रहा है। संयुक्त किसान मोर्चा ने एमएसपी समेत अन्य मांगों को लेकर शुक्रवार को यानी आज 'भारत बंद' का आह्वान किया है। विपक्षी दल कांग्रेस ने भी इसे अपना समर्थन दिया है। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल समेत प्रदेश के ज्यादातर जिलों में फिलहाल बंद का असर नजर नहीं आ रहा। जबलपुर, कटनी, दमोह में अभी भारत बंद बेअसर है। कटनी में बंद का कोई असर नहीं है। न ही बंद को लेकर पहले से किसी संगठन ने सूचना दी है। सागर, ग्वालियर, इंदौर, धार, रतलाम, नर्मदापुरम, दमोह, टीकमगढ़ आदि जगहों पर भी बंद का कोई असर नहीं है।
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