जयपुर। पूर्वी राजस्थान के सवाईमाधोपुर जिले के मलारनाडूंगर निवासी दलित किसान बृजमोहन बैरवा परेशान है। उनकी तीन हैक्टेयर में बोई सरसों की फसल को पाला मार गया है। सहकारी बैंक से ऋण लेकर सरसों की बुवाई करने वाले किसान को उत्पादन कम होने की चिंता अभी से सताने लगी है। बृजमोहन की तरह आस-पास के जिलों के सैकड़ों किसानों को रबी की फसल का उत्पादन घटने की आशंका ने आकर घेर लिया है।
राजस्थान में तापमान में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है। पश्चिम व पूर्वी राजस्थान में स्थिति नाजुक है। दर्जनों जिलों में सर्दी को लेकर अलर्ट जारी किया गया है। विशेष कर सब्जी वाली फसलों पर पाले का असर अधिक है। रबी फसलों को पाले से बचाने के लिए कृषि विभाग ने भी दिशा-निर्देश जारी कर फसलों को पाले से बचाने के किसानों को उपाय बताए हैं।
राजस्थान के कृषि आयुक्त कन्हैयालाल स्वामी ने एडवाइजरी जारी कर बताया कि शीतलहर व पाले से फसलों को नुकसान होने की सम्भावना रहती है, जिससे पौधों की पत्तियां व फूल झुलसकर झड़ जाते हैं। पौधों की फलियों-बालियों में दाने नहीं बनते हैं या फिर सिकुड़ जाते हैं। उन्होंने बताया कि रबी की फसलों में फूल व बालियों के समय पाला पड़ने पर सर्वाधिक नुकसान की संभावना रहती है। इस समय किसानों को सतर्क रहकर फसलों की सुरक्षा के उपाय अपनाने चाहिए।
स्वामी ने बताया कि फसलों को पाले से बचाने के लिए गंधक के तेजाब का 0.1 प्रतिशत अर्थात एक हजार लीटर पानी में एक लीटर सान्द्र गंधक का तेजाब का घोल तैयार कर फसलों पर छिडकाव करें। घुलनशील गंधक के 0.2 प्रतिशत घोल का छिड़काव भी कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि नकदी सब्जी वाली फसलों में भूमि के तापमान को कम होने से बचाने के लिए फसलों को टाट, पॉलीथिन अथवा भूसे से ढक देना चाहिए। पाले के दिनों में फसलों में सिंचाई करने से भी पाले का असर कम होता है तथा पाले के स्थाई समाधान के लिए खेतों की उत्तर-पश्चिम दिशा में मेढ़ों पर घने ऊंचे वृक्ष लगाएं।
उल्लेखनीय है कि जब आसमान साफ हो, हवा न चल रही है और तापमान काफी कम हो जाए तब पाला पड़ने की संभावना बढ़ जाती है। दिन के समय दोपहर में पहले ठण्डी हवा चल रही हो व हवा का तापमान अत्यन्त कम होने लग जाए और दोपहर बाद अचानक हवा चलना बंद हो जाए। तब पाला पड़ने की आंशका बढ़ जाती है। पाले के कारण पौधों की कोशिकाओं में उपस्थित जल जमने से कोशिका भित्ति फट जाती है, जिससे पौधों की पत्तियां, कोंपले, फूल एवं फल क्षतिग्रस्त हो जाते हैं। इससे फसल के उत्पादन में कमी होती है।
पूर्वी में प्रमुख रबी फसलों में सरसों व गेंहू शामिल है। इसके अलावा चना भी बहुतायत मात्रा में बोया जाता है। सवाईमाधोपुर जिले के कृषि निदेश रामराज मीणा ने बताया कि इस वर्ष जिले में एक लाख 70 हजार हैक्टेयर में सरसों की बुवाई हुई है। 88 हजार हैक्टेयर में गेहूं व 35 हजार हैक्टेयर में चने की फसल की बुवाई की गई है। इनके अलावा अन्य दलहनी व नकदी सब्जी की फसलों की बुवाई भी की जाती है।
मीणा ने बताया कि सरसों, गेहूं व चने में जब तक दाना नहीं बनता पाला पड़ने का खतरा कम रहता है। वर्तमान में कोहरे के साथ शीत लहर चल रही है। ऐसे में इन फसलों में पाला पड़ने का आशंका कम है। उन्होंने कहा कि जिन क्षेत्रों में रबी फसलों की अगेती बुवाई हुई है। सरसों में फलियां बनने लगी है। चने में भी दाने बनने लगे हैं। उन इलाकों में पाला पड़ने की संभावना हो सकती है। वर्तमान में गेहूं के लिए सर्दी मुफीद साबित होगी।
मीणा ने कहा कि शीत लहर से सब्जी वाली फसलों में नुकसान हो सकता है। ऐसे में किसान फसलों को फूस, पॉलीथिन से ढक कर भी पाले से बचा सकते हैं। बागवानी से जुड़े अधिकारी बृजेश मीना ने बताया कि शीत लहर अमरूद के लिए फायदेमंद साबित हो रही है। अमरूद कम तापमान में अच्छा पकता है। जल्दी खराब नहीं होता। इस पर चमक बनी रहती है। इससे किसानों को अच्छा भाव मिलता है।
द मूकनायक की प्रीमियम और चुनिंदा खबरें अब द मूकनायक के न्यूज़ एप्प पर पढ़ें। Google Play Store से न्यूज़ एप्प इंस्टाल करने के लिए यहां क्लिक करें.