भोपाल। मध्य प्रदेश में पिछले चार दिनों से लगातार बारिश ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। प्रदेश के महाकौशल क्षेत्र के साथ राज्य के विभिन्न जिलों से धान की कटी हुई फसलों के खराब होने की जानकारी मिल रही है। छोटे किसानों के लिए बे मौसम बारिश आफत बन गई है।
बेमौसम हो रही बारिश से आम आदमी जहां खुश है तो वहीं किसान परेशान है। दरअसल अभी तक धान खरीदी शुरू न होने की वजह से किसान इतने परेशान हो गए हैं कि उन्हें अब विरोध करने नारेबाजी करनी पड़ रही है। जबलपुर, बालाघाट, सिवनी, अनूपपुर, डिंडोरी, मंडला सहित तमाम जिलों के अनेक गांवों में धान की फसल कटकर खेतों में पड़ी है, लेकिन खरीदी शुरू न हो पाने के चलते किसानों की मेहनत पर पानी फिरता जा रहा है।
खासकर छोटे रकवा वाले किसान अपनी फसल खराबा को लेकर अधिक चिंतित रहते हैं। वह अपनी सारी जमा पूंजी और कर्ज लेकर खेती में लगा देता है। लेकिन प्रकृति की मार के कारण फसल खराब होने के वजह से कर्ज में डूब जाता है।
मध्य प्रदेश में वर्ष 2023 में धान की बुवाई करीब 30 लाख हेक्टेयर में की गई थी। लेकिन पिछले दिनों में लगातार बे मौसम बारिश के कारण पकी हुई फसल और खेत में कटी हुए धान के बंडल खराब हुए है। अनुमान के मुताबिक प्रदेशभर में करीब 15 प्रतिशत फसल पर बे मौसम बारिश का असर पड़ा है। वहीं मौसम विज्ञान केंद्र की चेतावनी की मुताबिक बारिश का सिलसिला जारी रह सकता है। ओले भी पड़ सकते हैं। यदि ऐसा हुआ तो नुकसान का प्रतिशत बढ़ने की पूरी संभावनाएं हैं।
कृषि वैज्ञानिक मनोज कुमार अहिरवार ने द मूकनायक से बातचीत करते हुए बताया कि प्रदेश में किसान तीन तरह की धान की बुवाई करता है। इसमें पूर्व रोपी गई धान तैयार होकर बिक चुकी है। लेकिन इसके बाद बुवाई की गई धान पक कर खेत में कटने को तैयार थी या फिर किसानों ने उसे काटकर बंडल बना कर खेत में रखा था। खेत में खड़ी धान और कटे हुए बंडल को बारिश से नुकसान हुआ है। बाकी बाद में बुवाई की गई धान में दाना नहीं आया है। जिसको किसी तरह का नुकसान नहीं हुआ है। उन्होंने बताया कि धान के बंडलों पर अधिक पानी पड़ जाना या पानी में डूबे रहने से फसल सड़ जाती है। पानी कम पड़ने से दाना काला पड़ने लगता है जिससे उसकी गुणवत्ता पर असर पड़ता है। यदि धान कुछ प्रतिशत खराब होने से बच भी गई तो भी उसका दाम कम हो जाएगा।
किसानों का कहना है कि खेत में कटाई की गई धान की फसल और धान के बोझे (बंडल) पूरी तरह से पानी में भीग गए हैं। कुछ जगहों पर कटी हुई फसल पानी में डूब चुकी है। जिससे फसल खराब होने का खतरा बढ़ गया है। इसको लेकर किसान काफी परेशान नजर आ रहे हैं। किसानों ने बताया कि अगले कुछ दिनों तक मौसम का यही हाल रहा तो धान अंकुरण होने की स्थिति में आ जायेगा। भीगे हुए धान का कलर बदल जायेगा, जिससे किसान को अपनी फसल का उचित दाम नहीं मिलेगा। कई किसान अपनी फसल को व्यापारियों के हाथों औने-पौने दाम में बेच भी चुके हैं। खरीदी का कोई अता-पता नहीं है। लिहाजा किसान अपनी फसल को बर्बाद होते देखने को मजबूर हैं।
जबलपुर पाटन के तिलगवां गांव में किसानों ने अब प्रशासन से गुहार लगाई है कि जल्द से जल्द धान खरीदी शुरू हो। किसानों ने कहा है कि प्रशासन के नजरअंदाज की वजह से खेतों में किसानों की धान पड़ी हुई है। हाल यह है कि इन दिनों पूरा प्रशासन का अमला चुनाव में व्यस्त हैं। उनकी परेशानी को सुनने वाला भी नहीं हैं। किसानों ने आरोप लगाया कि फसल खरीदने को लेकर प्रशासन ने अब तक कोई कदम नहीं उठाया है। किसानों का कहना है कि प्रशासन जल्द ही मामले में कोई कार्रवाई नहीं करता है तो फिर वह उग्र आंदोलन के लिए मजबूर होंगे।
इन दिनों फसल की खरीदी और इससे जुड़ी अन्य तैयारियों का खाका तक तैयार नहीं हुआ है। आलम यह है कि यह काम करने वाले अधिकारी और कर्मचारियों को मतगणना की रिहर्सल और ड्यूटी पर तैनात किया गया है। इस वजह से किसानों की परेशानी और बढ़ गई है। 3 दिसंबर को मतगणना के बाद लगभग दो से तीन दिनों तक फसल खरीदी की तैयारियां होंगी और खरीदी में दो सप्ताह लग सकते हैं। ऐसे में आने वाले दिनों में किसानों की फसल खराब होने की संभावना और बढ़ गई है।
द मूकनायक से बातचीत में भारतीय किसान संघ के प्रांत प्रचार प्रमुख राहुल धूत ने बताया कि चुनावी के कारण धान की खरीदी समय पर नहीं हुई और बे मौसम बारिश से किसानों की फसलों को नुकसान हुआ है। किसान संघ ने शासन से तुरंत खराब फसलों का सर्वे कराकर मुआवजा दिए जाने की मांग की है। हमें प्रदेशभर से धान खराबा की खबरें मिल रहीं है। बहुत बड़ी मात्रा में धान खराब हुई है।
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