मध्य प्रदेश: फसलों में फैला रस्ट वायरस, किसानों को होगा लाखों का नुकसान!

प्रदेश के जबलपुर, दमोह, नरसिंहपुर, सागर, पन्ना सहित टीकमगढ़ जिले की फसलें प्रभावित, वायरस के कारण सूख रही है मटर, मसूर की फसलें।
मध्य प्रदेश: फसलों में फैला रस्ट वायरस, किसानों को होगा लाखों का नुकसान!
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भोपाल। "हमारी चार एकड़ जमीन है, इस बार मसूर, मटर और चना खेतों में बोया था। पिछले सप्ताह से मसूर और मटर मुरझाने लगी, हमने पानी भी पर्याप्त मात्रा में दिया था, लेकिन हमें कुछ समझ नहीं आ रहा था कि ऐसा क्यों हो रहा है। बाद में पता लगा कि फसलों में कोई रोग लगा है। दो दिन के अंदर ही पूरी फसल सूख गई, फलियां काली पड़ने लगी। इस बार खेती के लिए लगाई लागत भी निकालना मुश्किल लग रहा है।"

यह चिंता दमोह जिले के शयरी गांव के आदिवासी किसान पप्पू गौंड सहित पूर्वी मध्य प्रदेश के किसानों की है। मध्य प्रदेश के जबलपुर और सागर संभाग के जिलों की फसलों में रस्ट नाम का लाइलाज रोग तेजी से फैल रहा है, इस रोग के कारण करीब 60 हजार हेक्टेयर फसल बर्बाद होने की कगार पर है। द मूकनायक से बातचीत करते हुए पप्पू गौंड ने बताया कि इस रोग के कारण उनकी 80 प्रतिशत फसल खराब हो चुकी है। पप्पू के परिवार में कुल पांच लोग है और उनके पालन-पोषण के लिए उनके पास एकमात्र सहारा खेती ही है।

इधर, दमोह के तेन्दूखेड़ा क्षेत्र के आदिवासी किसान प्रेम सिंह मरावी ने द मूकनायक प्रतिनिधि से बातचीत करते हुए बताया कि उन्होंने इस बार चना, मटर, मसूर, सरसों और धनियां बोया था, फसल बहुत अच्छी थी। मौसम भी साथ दे रहा था। लेकिन अचानक मटर और मसूर में सफेद फफूंद दिखाई दी। दो दिन में ही फसल सूखने लगी मटर के दाने काले पड़ रहे थे। हमने खेती के जानकारों को जब यह बताया तो उनका कहना था कि फसल में रोग लग गया है। प्रेम सिंह ने कहा- "दो एकड़ में से आधी जमीन पर मटर और मसूर ही बोया था, लेकिन वह फसल बर्बाद हो गई। इस बार फायदा होने की उम्मीद थी क्योंकि पिछली बार की फसल में बहुत ज्यादा मुनाफा नहीं हुआ था। अब इस बार तो फसल की लागत तक निकलना कठिन है।"

पप्पू जैविक खेती करते हैं। फसलों में रासायनिक खाद और दवाइयों की जगह जैविक खाद का इस्तेमाल करते हैं। इस बार पप्पू ने अपने चार एकड़ के खेत मे करीब 20 हजार की लागत से मटर, चना, मसूर बोया था। फसल अच्छी हो, इसके लिए गोबर का खाद खरीद कर खेतों में डाला था। लेकिन फसल में लगे रोग से उनकी मेहनत पर पानी फिर गया। पप्पू ने कहा- "उनके पास न ही किसान क्रेडिट कार्ड हैं और न ही फसलों का बीमा कराया है। अब आगे मजदूरी करके ही वह परिवार की आजीविका चलाएंगे।"

पूर्वी मध्यप्रदेश के जिलों की फसलों में फैले वायरस के कारण किसान चिंतित हैं। खासकर यह वायरस चना, मसूर और मटर पर अटैक कर रहा है। जबलपुर में बड़ी मात्रा में मटर होती है। यहां का मटर सिर्फ मध्यप्रदेश ही नहीं बल्कि महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल तक जाता है।

लेकिन बीते एक सप्ताह से फसलों को रस्ट नामक रोग के साथ झुलसन रोग ने जकड़ लिया है,  इस रोग से हजारों हेक्टेयर मटर की फसल बर्बाद होने की कगार पर है। रोग लगने के बाद मटर में सफेद दाग आ गए हैं और दो से तीन दिन में फसल मुरझा कर खराब हो जाती है। कृषि विशेषज्ञ का कहना है कि मटर में लगे रोग को रस्ट (RUST) हिंदी में गेरूआ कहते हैं। इस रोग की चपेट में करीब 60 हजार हेक्टेयर फसलें आ चुकी है, वहीं मटर की 15 हजार हेक्टेयर फसल आ चुकी है। कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक इस रोग का कोई प्रभावी इलाज नहीं है।

जबलपुर, सागर सहित इन जिलों में फैला वायरस

रस्ट वायरस बहुत तेजी से फैल रहा है, चिंता की बात तो यह है कि इसका कोई उपचार भी नहीं है। जबलपुर के बाद, दमोह, नरसिंहपुर, सागर, पन्ना, टीकमगढ़ जिले की फसल को भी इस वायरस ने चपेट में ले लिया है। जानकारी के अनुसार, दमोह, नरसिंहपुर में रस्ट से चना, मसूर को नुकसान हुआ है जबकि जबलपुर में तो करीब 15 हजार हेक्टेयर में लगी मटर की फसल सूख गई है। इधर, नरसिंहपुर, गाडरवारा में मसूर की फसल को रस्ट वायरस ने पूरी तरह से चौपट कर दिया है।

गाडरवारा के किसान मुलायम पटेल ने बताया कि उन्होंने इस बार 5 एकड़ में सिर्फ मटर बोया था। मटर का भाव ऊपर होता है, इसलिए इसे लगाने में किसान को अन्य फसल के मुताबिक दो गुना मुनाफा मिल जाता है। मुलायम ने कहा- "इस बार रोग ने पूरी फसल चौपट कर दी।"

रस्ट वायरस के लक्षण

द मूकनायक से बातचीत करते हुए कृषि वैज्ञानिक मनोज कुमार अहिरवार ने बताया कि रस्ट और झुलसन रोग फसलों में फैला है। इसके कारण एक अनुमान के मुताबिक, सागर और जबलपुर संभाग में करीब 60 हजार हेक्टेयर फसलों पर प्रभाव पड़ा है।

कृषि वैज्ञानिक मनोज कुमार के मुताबिक मटर की निचली पत्तियों में सफेद धब्बे पड़ने लगते हैं, जो कि धीरे-धीरे मोटे हो जाते हैं। इसके बाद जैसे ही ये धब्बे फटते हैं तो गेरुआ रंग का पाउडर इनसे निकलता है, बदलते मौसम के कारण यह रोग फसलों में फैला है वहीं झुलसन रोग खेतों में पानी की मात्रा अधिक होने के कारण हो जाता है। कोहरा और वायु के संपर्क में आने के बाद यह तीव्र गति से फैलता है।

सामान्य तापमान में फैलता है यह वायरस

रस्ट नामक फसलों का वायरस 17 से 27 डिग्री के तापमान में तेजी से फैलाता है। जैसे ही रस्ट फसलों में लगता है, वैसे ही फसल सूखने लगती है। फसल में अगर ये वायरस आ जाए तो फसल बर्बाद होना तय है। वायरस के कारण फसल की हरियाली समाप्त हो जाती है।

इस उपचार से होगा फायदा

कृषि वैज्ञानिक मनोज कुमार अहिरवार के मुताबिक यह रोग एक फफूंद है। जो बदलते मौसम के कारण फसलों में लग जाता है। फसल को बचाने के लिए सल्फर युक्त फफूंदनाशक दवाइयों का छिड़काव खेत में करने से फायदा हो सकता है। लेकिन किसानों के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि जब तक उन्हें ठीक से पता लगता है, तब तक यह रोग फसल को बर्बाद कर चुका होता है।

लाखों का नुकसान

जबलपुर और गाडरवाड़ा क्षेत्र में मटर और मसूर रस्ट और झुलसन रोग के कारण सबसे ज्यादा प्रभावित हुई है। यहां अधिकतर किसान मटर की फसल अपने-अपने खेतों में लगाते हैं। वर्तमान समय में करीब 15 हजार हेक्टेयर में अभी भी मटर की फसल लगी हुई है। जानकारी के मुताबिक एक एकड़ में करीब 30 से 35 क्विंटल मटर की फसल, लगभग 70 से 80 बोरा निकलती है, पर जब से रस्ट रोग मटर को लगा है तब से पैदावार आधी हो गई है। किसान ने बताया कि जब से रस्ट रोग लगा है, तब से प्रति एकड़ 30% तक फसल कम हो गई है, मटर की फसल खराब होने के कारण किसानों को लाखों का नुकसान हुआ है।

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