मध्य प्रदेश: बेमौसम बारिश के कारण फसलें बर्बाद, इन जिलों में हुआ नुकसान

राजस्थान व यूपी में भी बारिश व ओलावृष्टि, फसलों में नुकसान से किसान परेशान
मध्य प्रदेश: बेमौसम बारिश के कारण फसलें बर्बाद, इन जिलों में हुआ नुकसान
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भोपाल। मध्य प्रदेश में लगातार तीन दिनों तक बेमौसम बारिश के कारण प्रदेश के कई संभागों में फसल खराबे की जानकारी मिल रही है। बुधवार को भी ग्वालियर, मुरैना और शिवपुरी के कई इलाकों में दोपहर में बारिश हुई और ओले भी गिरे। प्रदेश के भोपाल, उज्जैन, इंदौर, ग्वालियर और चम्बल संभाग में गेहूं और चने की फसल खराब हुई है।

शिवपुरी जिले में कई स्थानों पर पिछले तीन दिनों से बारिश का दौर जारी है। यहाँ भी रुक-रुककर हो रही बारिश के कारण फसलों को नुकसान हुआ है। जिले के पिछोर ब्लॉक के करारखेड़ा, हिम्मतपुर, पहारेश्वर, कमलापुर सहित कई गांव में बारिश के साथ-साथ ओलावृष्टि हुई है। इधर, ग्वालियर के घाटीगांव क्षेत्र में तेज बारिश और आंधी के साथ ओले गिरे। गत बुधवार को सुबह से ही मौसम विभाग ने बारिश और ओले पड़ने की संभावना जताई थी। बारिश और ओले पड़ने से तापमान में गिरावट आई है। जिसके कारण आधी पकी हुई फसल को नुकसान है।

चम्बल संभाग के मुरैना जिले के अंबाह में गरज चमक के साथ कई जगहों पर बारिश हुई, साथ ही ओले गिरे। यहाँ भी कई जगहों पर फसलों को नुकसान होने की खबर है। जिले के दिमनी, रानपुर, बामोर, नूराबाद, सिकरौदा, दिखतपुरा सहित कई गांवों में ओले गिरने से सरसों की फसल को काफी नुकसान हुआ है। इसमें गेहूँ की फसल भी प्रभावित हुई है। इसके साथ धार जिले में और आगर जिले में भी बुधवार शाम कई जगहों पर तेज बारिश हुई। सोयत क्षेत्र के धोला खेड़ी, धूलिया खेड़ी सहित कुछ ग्रामीण क्षेत्र में ओलावृष्टि भी होने की जानकारी मिली। बारिश-ओलावृष्टि के कारण खेतों में खड़ी फसल और खलियान में रखी कटी हुई फसल को नुकसान होने की आशंका है। शनिवार और सोमवार को भी जिले के अनेक क्षेत्रों में बारिश के साथ ओलावृष्टि हुई थी। लगातार बारिश के कारण फसलों को काफी नुकसान पहुँचा हैं।

मध्य प्रदेश में बेमौसम बारिश किसानों के लिए आफत बनी हुईं है। भोपाल के मौसम विज्ञान केंद्र मुताबिक आंधी की रफ्तार 40 किमी प्रतिघंटा की रही। तीन दिन से लगातार हो रही बारिश के कारण प्रदेश के 15 से ज्यादा जिलों में गेहूं-चने की फसलें बर्बाद हो गई हैं। गेहूं की फसल खेतों में ही आड़ी हो गई तो चने की फसल को 40 प्रतिशत तक नुकसान पहुंचा है। मंदसौर जिले में तो 35 दिन के भीतर ही तीसरी बार ओले गिरे। इस कारण अफीम के पौधों के डोडे भी टूट गए। कई जगह खड़ी फसलें बर्बाद हो गईं।

इन जिलों में हुई ओलावृष्टि

भोपाल, ग्वालियर, इंदौर, मंदसौर, रतलाम, नर्मदापुरम, विदिशा, राजगढ़, बड़वानी, सीहोर, रायसेन, धार, हरदा, शाजापुर, छिंदवाड़ा, आगर-मालवा, खंडवा समेत 20 से ज्यादा जिलों में मौसम बदला। कहीं हल्की तो कहीं पर तेज बारिश-आंधी के साथ ओले गिरे। इस कारण गेहूं-चने की फसलें बर्बाद हो गईं।

मौसम वैज्ञानिक एचएस पांडे के मुताबिक साउथ वेस्ट राजस्थान में प्रेरित चक्रवात बना हुआ है। इसके अलावा उत्तर भारत में पश्चिमी विक्षोभ भी सक्रिय है। इस कारण एक्टिविटी हो रही है। वहीं, साउथ कोंकण से लेकर सेंट्रल छत्तीसगढ़ तक ट्रफ लाइन गुजर रही है। इसी की वजह से वेदर डिस्टर्ब हुआ है।

होली में ओलावृष्टि, किसानों की परेशानियां बढ़ी

राजस्थान के कई इलाकों में मंगलवार और बुधवार को हल्की से तेज बारिश ओलावृष्टि और अंधड़ की वजह से फसलों में खराबे की रिपोर्ट प्राप्त हुई है। जानकारी के अनुसार प्रदेश में बीकानेर, कोटा, जयपुर, जोधपुर और उदयपुर संभागों में कई जगह ओलावृष्टि और झमाझम हुई। कहीं कहीं 30-40 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से तेज हवाएं भी चली जिससे गेहूँ की फसलें आड़ी पड़ने और दाना पकने से पहले ही बिखरने की सूचनाएं मिली।

जैसलमेर, बाड़मेर, माउंट आबू, झालावाड़, भीलवाड़ा, टोंक, डूंगरपुर आदि जगहों पर तेज बारिश के साथ ओलावृष्टि हुई। 30 से 40 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से तेज हवाएं भी चली। मौसम विज्ञानियों के अनुसार राजस्थान में पश्चिमी विक्षोभ के असर के कारण कई जगहों पर अंधड़ और ओलावृष्टि के साथ बारिश का दौर रहा। यह असर गुरुवार को समाप्त होने के बाद अगले 4 दिन मौसम शुष्क रहने के बाद, एक बार फिर 13 से 14 मार्च के बीच एक नया पश्चिमी विक्षोभ राजस्थान में सक्रिय होने की जानकारी दी गई है जिसमें फिर से आंधी बारिश का दौर चलने का पूर्वानुमान है।

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मौसम की सबसे ज्यादा मार किसानों पर पड़ रही है। खेतों पर खड़ी गेहूं, चना एवं सरसों आदि की फसलों को काफी नुकसान हुआ है। इसी तरह जीरे की फसल में भी खराबे की सूचना है। डूंगरपुर से प्राप्त जानकारी के अनुसार जिले में सर्वाधिक गेहूं की फसल 16 हजार हेक्टेयर में बोई गई थी, जिसमें से 9000 हेक्टेयर में खराबे की जानकारी है। दूसरा बड़ा रकबा चने का है जिसमें भी 15 फीसदी नुकसान का आंकलन है। कृषि अधिकारियों ने बुधवार से सर्वे प्रारंभ कर दिया है।

डूंगरपुर जिले में आसपुर साबला और सागवाड़ा में किसानों को सर्वाधिक नुकसान होने का अंदेशा है। कृषि विभाग द्वारा पर्यवेक्षकों के माध्यम से खेतों में जाकर खराबे की असेसमेंट की निर्देश दिए गए हैं। मौसम विभाग के डॉ. जीपी नारोलिया की मानें तो पिछले 70 वर्षों में यह पहली बार ऐसा हुआ है कि होली के दिन ओलावृष्टि और बारिश हुई है।

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