भोपाल। प्रदेश में किसानों की समस्याओं को लेकर कांग्रेस पार्टी ने बड़ा आंदोलन छेड़ने की घोषणा की है। कांग्रेस किसानों की विभिन्न मांगों को लेकर "किसान न्याय यात्रा" के माध्यम से राज्यभर में आवाज बुलंद करेगी। इस कड़ी में 20 सितंबर को सभी जिलों में ट्रैक्टर रैली निकालकर कलेक्टर कार्यालयों का घेराव किया जाएगा। शुक्रवार को प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में आयोजित पत्रकार वार्ता में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने इस आंदोलन की विस्तृत योजना का ऐलान किया। वहीं उन्होंने सीएम डॉक्टर मोहन यादव और केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान पर किसानों से बदाख़िलाफी के आरोप लगाए।
जीतू पटवारी ने भाजपा सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि चुनाव के दौरान किसानों से किए गए वादों को सरकार ने पूरा नहीं किया। धान के लिए 3,100 रुपये और गेहूं के लिए 2,700 रुपये प्रति क्विंटल देने का वादा किया गया था, लेकिन अब सरकार अपने ही वादों से मुकर गई है। उन्होंने कहा, "सरकार ने सोयाबीन के लिए 4,892 रुपये प्रति क्विंटल का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) घोषित किया है, लेकिन बाजार में इसका भाव सिर्फ 4,000 रुपये के आसपास है। ऐसे में किसानों को उनकी लागत तक नहीं मिल पा रही है।"
किसानों की प्रमुख मांगों में न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी शामिल है। पटवारी ने कहा कि किसान छह हजार रुपये प्रति क्विंटल समर्थन मूल्य की मांग कर रहे हैं, लेकिन सरकार इस पर चुप्पी साधे हुए है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कृषि मंत्रालय ने कर्नाटक, महाराष्ट्र और तेलंगाना में प्राइज सपोर्ट स्कीम के तहत सोयाबीन की समर्थन मूल्य पर खरीदारी की घोषणा की है, लेकिन मध्य प्रदेश को इस योजना से बाहर रखा गया है। पटवारी ने इसे भाजपा की कथनी और करनी में अंतर बताते हुए राज्य के किसानों के साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार करार दिया।
कांग्रेस ने किसानों की मांगों के समर्थन में राज्यव्यापी न्याय यात्रा की घोषणा की है। यह न्याय यात्रा न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी, सोयाबीन के समर्थन मूल्य को 6,000 रुपये करने, गेहूं का समर्थन मूल्य 2,700 रुपये और धान का समर्थन मूल्य 3,100 रुपये प्रति क्विंटल देने की मांगों को लेकर निकाली जाएगी।
किसान न्याय यात्रा की शुरुआत 10 सितंबर 2024 को मंदसौर जिले के गरोठ से होगी, जो प्रदेश के विभिन्न जिलों में आयोजित की जाएगी। 13 सितंबर को यह यात्रा टिमरनी से होशंगाबाद पहुंचेगी, 15 सितंबर को आगर मालवा और 22 सितंबर को इंदौर में बड़ी रैली का आयोजन होगा। इस यात्रा का उद्देश्य प्रदेश के किसानों की आवाज को जोरदार तरीके से उठाना और उनके हक के लिए लड़ना है।
किसान न्याय यात्रा के समानांतर, 20 सितंबर को प्रदेश के सभी जिला कांग्रेस इकाइयों द्वारा ट्रैक्टर रैली निकाली जाएगी और हर जिले में कलेक्टर कार्यालयों का घेराव किया जाएगा। कांग्रेस का दावा है कि यह आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक किसानों की मांगें पूरी नहीं होतीं।
भाजपा सरकार पर लगातार दबाव बनाने की रणनीति के तहत कांग्रेस ने इस आंदोलन को आगे बढ़ाने की योजना बनाई है। हालांकि, भाजपा के नेताओं ने कांग्रेस के इस आंदोलन को राजनीतिक स्टंट करार दिया है और दावा किया है कि उनकी सरकार ने किसानों के हितों के लिए कई योजनाओं को लागू किया है। भाजपा नेताओं का कहना है कि कांग्रेस सिर्फ चुनावी फायदे के लिए किसानों को भ्रमित करने का प्रयास कर रही है।
मध्य प्रदेश में किसानों की स्थिति गंभीर होती जा रही है। खासकर सोयाबीन की फसल का गिरता बाजार भाव और अन्य कृषि उत्पादों के लिए एमएसपी की कमी किसानों को परेशान कर रही है। कई किसान कर्ज में डूबे हुए हैं और लागत से कम दाम मिलने की वजह से उन्हें नुकसान झेलना पड़ रहा है। ऐसे में कांग्रेस द्वारा किसान न्याय यात्रा को किसानों के बीच व्यापक समर्थन मिलने की संभावना जताई जा रही है।
इधर, किसान संगठनों का कहना है कि राज्य सरकार को किसानों की समस्याओं पर ध्यान देना चाहिए और तत्काल प्रभाव से सोयाबीन की खरीद को एमएसपी पर सुनिश्चित करना चाहिए। द मूकनायक प्रतिनिधि से बातचीत करते हुए भारतीय किसान संघ के मध्यभारत प्रान्त प्रचार प्रमुख राहुल धूत ने बताया कि सरकार ने किसानों की आय को बढ़ाने के लिए अभी तक कोई बड़ी योजना नहीं बनाई है। उन्होंने आगे कहा, "मध्य प्रदेश सोयाबीन स्टेट होने के बाबजूद यहां किसानों समुचित भाव नहीं मिल रहा है। किसान संघ आंदोलन शुरू कर रहा है, हम तहसील स्तर से जिला मुख्यालय पर ज्ञापन देंगे। यदि फिर भी समाधान नहीं हुआ तो प्रदेशव्यापी आंदोलन करेंगे।"
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