उत्तर प्रदेश: धान की रोपाई के लिए तैयार किसान के खेत में जेई ने उसके दर्जनों लिप्टस के पेड़ों को कटवाकर फेंकवाया

बस्ती जिले के प्रगतिशील किसानों में से एक हैं पीड़ित किसान। धान की पुरानी प्रजातियों के संरक्षण के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली द्वारा किया जा चुका है सम्मानित।
दूसरे दिन खेत में होनी थी धान की रोपाई, उससे पहले यूपी पावर ट्रांसमिशन कॉर्पोरेशन लिमिटेड के कर्मचारियों ने सारे लिप्टस के पेड़ काटकर खेत में फेंक दिए।
दूसरे दिन खेत में होनी थी धान की रोपाई, उससे पहले यूपी पावर ट्रांसमिशन कॉर्पोरेशन लिमिटेड के कर्मचारियों ने सारे लिप्टस के पेड़ काटकर खेत में फेंक दिए। फोटो- राजन चौधरी, द मूकनायक
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लखनऊ। बस्ती जिले के रुधौली तहसील क्षेत्र के पचारी कला गांव निवासी किसान विजेंद्र बहादुर पाल (70) बृहस्पतिवार शाम को जब शहर से अपने घर लौटे तो पाया कि जिस 5 एकड़ (1.96 हे.) में उन्होंने धान की रोपाई के लिए सुबह लेवा करवाया था उसमें उनके खेत की मेड़ों पर लगाए गए दर्जनों यूके लिप्टस के मोटे पेड़ काट कर यूपी पावर ट्रांसमिशन कॉर्पोरेशन लिमिटेड के कर्मचारियों ने गिरा दिया है। 

“जब लिप्टस के पेड़ काटे जा रहे थे तब मेरे बेटे ने उन्हें (विद्युत कर्मचारियों) रोकने की कोशिश की, लेकिन वह पेड़ों को काटने पर अड़े रहे, जब देर शाम मैं घर लौटा तब तक सारे लिप्टस के पेड़ काटकर मेरे तैयार खेत में गिरा दिए गए थे”, विजेंद्र बहादुर पाल ने द मूकनायक को बताया।

विजेंद्र बहादुर पाल बस्ती के प्रगतिशील किसानों में गिने जाते हैं। उन्हें पिछले साल 11 मार्च 2022 को काला नमक धान उत्पादन और पुरानी धान की प्रजातियों के संरक्षण के लिए IARI (भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली) द्वारा सम्मानित भी किया जा चुका है।

पाल ने बताया कि इससे पहले भी पावर ट्रांसमिशन कॉर्पोरेशन लिमिटेड के कर्मी खेत के मेड़ों पर लगाए गए 60-70 लिप्टस के पेड़ों को काट चुके हैं. “मैंने अधिशासी अभियंता विद्युत् प्रेषण खंड द्वितीय सिद्धार्थनगर को इस सम्बन्ध में पत्र के माध्यम से अवगत करा कर शिकायत भी की है. लेकिन उनके कर्मचारी मेरे खेतों के मेड़ों पर लगे पेड़ को काटते रहे. कल गुरुवार को मैं बस्ती शहर गया हुआ था, तभी जेई अजीज़ अहमद अपने साथ कुल्हाड़ी, टांगा, आरा आदि लेकर आये और लगभग 30 से ज्यादा पेड़ों को काटकर खेत में ही गिरा दिए”, विजेंद्र बहादुर ने बताया, “खेत को ट्रैक्टर से लेवा कराकर धान की रोपाई के लिए तैयार किया था. लेकिन अचानक शहर जाना पड़ा, और मैं बस्ती चला गया. शाम को लौटा तो लेवा लगे खेत में लिप्टस के सारे पेड़ काटकर गिरा दिए गए थे. इसे खेत से निकालना बेहद मुश्किल है. जेसीबी के बिना यह नहीं निकल सकता है।”

पीड़ित किसान के खेत के ऊपर से होकर जाती है 132 के0बी0 विद्युत लाइन।
पीड़ित किसान के खेत के ऊपर से होकर जाती है 132 के0बी0 विद्युत लाइन। फोटो- राजन चौधरी, द मूकनायक

पीड़ित किसान के खेत के ऊपर से 132 के0बी0 विद्युत लाइन होकर पूरब से पश्चिम लगभग 30 किलोमीटर ग्राम लोढ़वा, तहसील भानपुर विद्युत स्टेशन तक जाती है। किसान के खेतों की मेड़ों पर लंबे लिप्टस के पेड़ हैं, यह पेड़ विद्युत लाइन से न सटे इसलिए यूपी पवार ट्रांसमिशन कॉर्पोरेशन लिमिटेड के विद्युत कर्मी किसान के खेतों की मेड़ों पर लगे अधिकांश लिप्टस के पेड़ कई दिनों से गुपचुप तरीके से काटते चले आ रहे हैं। हालांकि, सिर्फ इन पेड़ों की टहनियों को भी काटकर मामला सुलझाया जा सकता था।

किसान ने बताया कि जब पूर्व में काटे गए लिप्टस के पेड़ों की शिकायत पावर ट्रांसमिशन कॉर्पोरेशन लिमिटेड के सिद्धार्थनगर ऑफिस में किया था तब उसी समय स्थानीय थाने पर भी इसकी शिकायत की थी। अभी हाल ही में रुधौली थानाध्यक्ष के समक्ष भी यह मामला पेश हुआ था। जिसपर थानाध्यक्ष ने जेई को सिर्फ पेड़ की टहनियाँ कटवाने की बात कही थी। लेकिन जेई ने मौका पाकर कल दिन में सारे लिप्टस के पेड़ ही काट कर उस खेत में फेंक दिए जिसमें आज धान की रोपाई होनी थी। 

पाल ने आगे कहा, “प्रधानमंत्री मोदी का नारा है खेत पर मेड़, मेड़ पर पेड़, इससे किसानों की आय दोगुनी होगी। अब आप ही देख लीजिए ये जो विद्युतकर्मियों ने किया है, इससे कैसे आय दोगुनी होगी?”

मामले में पाल ने मुख्यमंत्री जनसुनवाई पोर्टल पर ऑनलाइन शिकायत भी की है, साथ ही पुलिस अधीक्षक को लिखित शिकायत भी रजिस्टर्ड डाक के माध्यम से भेजा है। उन्होंने मांग की कि, “जेई के ऊपर मुकदमा दर्ज किया जाए और काटे गए मेरे लिप्टस के पेड़ों का मुआवजा भी दिया जाए।”

मामले में जेई अजीज अहमद का पक्ष जानने के लिए द मूकनायक ने उनके मोबाइल फोन पर कई बार कॉल किया लेकिन उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया। 

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