बेहाल अमरूद किसानों की बहाली के लिए जरूरी है स्थानीय स्तर पर बाजार की उपलब्धता। समय रहते सरकार ने ध्यान नहीं दिया तो किसान छोड़ सकते हैं अमरुद की खेती।
जयपुर। राजस्थान के सवाईमाधोपुर जिले में अमरूद से 500 करोड़ का सालाना कारोबार होता है। जिले के धरती पुत्र (किसान) ही यहां की अर्थव्यवस्था को सम्भाले हुए हैं, लेकिन किसानों को लगता है कि सरकार ने किसानों पर ध्यान देना ही बंद कर दिया है। यही वजह है कि अमरूद के सबसे बड़े उत्पादक जिले के किसानों को न तो स्थानीय स्तर पर बाजार उपलब्धता है, न ही अमरूद व्यापार को बढाने के लिए कोई कदम उठाए गए।
जानकार बताते हैं कि तीन दशक पूर्व तक राजस्थान के सवाईमाधोपुर जिले की अर्थव्यवस्था सीमेंट फैक्ट्री पर निर्भर थी। चिमनी बन्द हुई तो पर्यटन के साथ ही किसानों ने भी उद्यानिकी से जुड़ कर अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। सरकार ने पर्यटन विकास को बढ़ाने पर जोर दिया। कृषि उद्योग को हासिये पर ला दिया। जिले में 20 हजार से अधिक परिवारो की रोटी – रोजी अमरूद की खेती पर निर्भर है। जबकि पर्यटन उद्योग से केवल पूंजी पतियों को फायदा हुआ है। सरकार को चाहिए कि कृषि उन्नति के लिए चुनावी घोषणाओं को धरातल पर लाने के लिए कदम उठाए।
सरकारी बेरुखी से पिछड़ रहा सर्दी का मेवा तैयार करने वाला किसान
कारोबार को आसान करने, पारंपरिक उद्योगों को प्रोत्साहन व रोजगार की उपलब्धता बढ़ाने के लिए देश के 700 जिलों के अपने-अपने सबसे अच्छे उत्पाद के प्रसार में मदद के लिए केंद्र सरकार ने एक कार्यक्रम 'एक जिला एक उत्पाद योजना' शुरू की थी। इस योजना के तहत सभी राज्यों को साथ मिलकर काम करना है। योजना के तहत प्रत्येक जिले के पारंपरिक उद्योग को प्रोत्साहन दिया जाना है। राजस्थान के 33 जिलों में सवाईमाधोपुर जिले को अमरूद उत्पादन के लिए चुना गया। योजना की घोषणा के बाद अमरूद की खेती से जुड़े किसानों को भी तरक्की की उम्मीद की किरण नजर आई थी, लेकिन सरकारी बेरुखी से यह उम्मीद भी धूमिल होती नजर आ रही है। आज तक इस योजना पर न तो राज्य सरकार ने, न ही केंद्र सरकार ने कोई प्रयास शुरू किए हैं।
स्थानीय विधायक भी नहीं समझ रहे मामले की गभीरता
अमरूद व्यापार बढ़ाने के लिए सरकारी स्तर पर क्या कदम उठाए जा सकते हैं। इसी मुद्दे पर जयपुर राज घराने की सदस्य व सवाईमाधोपुर संस्थापक सवाईमाधोसिंह द्वितीय की वंशज तथा राजसमंद सांसद दिया कुमारी ने द मूकनायक को बताया कि सवाईमाधोपुर में अमरूद का बड़े स्तर पर उत्पादन होता है। उन्होंने कहा, "मुझे समझ नहीं आ रहा कि यहां कृषि उद्योग को आगे क्यों नहीं बढ़ाया जा रहा है। जब मैं यहां से विधायक थी तो मैंने किसानों के लिए बहुत सारे काम किए थे। विशेष कर अमरूद से जुड़े किसानों को स्थानीय स्तर पर बाजार उपलब्ध करवाने व अधिक से अधिक लाभ दिलाने के लिए जिले में सरकार के स्तर पर बड़ा फ़ूड प्रोसेसिंग प्लांट स्थापित करवाना मेरा सपना था। इसके लिए औद्योगिक क्षेत्र के लिए भूमि आवंटित भी करवाई थी। शायद अब यहां काम रुका हुआ है। मैं अभी राजसमंद से सांसद हूं। फिर भी मुझसे जितना बन पड़ेगा सवाईमाधोपुर के किसानों के हित मे काम करूंगी। यहां के लोगों से मेरा आत्मीय लगाव है। अमरूद के किसानों के लिए जरूरी है बड़े स्तर पर फ़ूड प्रोसेसिंग प्लांट लगाए जाएं।"
उन्होंने आरोप लगाया कि, "अभी राजस्थान में जो सरकार है इसको आगे बढ़ने नही दे रही है। इसके लिए स्टेट लेवल पर प्रोजेक्ट तैयार होता है। इसके बाद केंद्र सरकार इसे आगे बढ़ाएगी। जरूरत पड़ी तो मैं सरकार में बात रखूंगी। मुझे लगता है कि स्टेट लेवल पर यह लोग करना नहीं चाह रहे हैं। सवाईमाधोपुर के स्थानीय विधायक भी इस चीज को नहीं समझ रहे हैं कि यह प्रोजेक्ट किसानों के लिए कितना महत्वपूर्ण है। कृषि उद्योग को आगे नहीं बढ़ाने के पीछे कोई न कोई राजनीतिक कारण है। इसलिए यह आगे नही बढ़ा। राज्य सरकार के लिए यह बहुत आसान है। केंद्र सरकार इसके लिए आर्थिक सहयोग भी देती है। अमरूद की जिले में खपत होगी तो किसानों का ट्रांसपोर्ट खर्च बचेगा। इससे अधिक लाभ होगा।"
इस संबंध में द मूकनायक ने स्थानीय कांग्रेस विधायक दानिश अबरार का पक्ष जानने के लिए उनसे संपर्क का हर सम्भव प्रयास किया, लेकिन उनकी कोई प्रतिक्रिया नहीं आई।
अमरूद के बड़े किसान व कांग्रेस नेता डॉ. मुमताज अहमद बताते हैं कि, "जिले में बड़े पैमाने पर अमरूदों का कारोबार होता है। इसके बाद भी जिलेवासियों को फूड प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित होने का इंतजार है। यदि जिले में फूड प्रोसेसिंग यूनिट की सौगात मिले तो अधिक रोजगार की संभावनाएं भी बढ़ेगी। अमरूद का अचार, मुरब्बा, पापड़ आदि उत्पादों का होगा उत्पादन होगा। लोगों की आय तो बढ़ेगी ही साथ ही कई लोगों को रोजगार भी मिलेगा। जिले में पर्यटन व अमरूद के कारोबार से सबसे अधिक आय होती है। यहां अमरूद का कारोबार 5 अरब रुपये तक पहुंच गया है। वर्तमान में किसान अमरूद बेचने के लिए दिल्ली, आगरा, हरियाणा, पंजाब, हिमाचल तक पहुंचते हैं। ट्रांसपोर्ट में अधिक लागत आने से खर्च भी नही निकल पा रहा है। ऐसे में केंद्र सरकार को एक जिला एक उत्पाद योजना को धरातल पर क्रियान्वित करना चाहिए। मात्र घोषणाओं से काम नहीं चलता।" उन्होंने कहा कि फ़ूड प्रोसेसिंग प्लांट से जिले में अमरूद के नए उद्योग यथा पल्प प्रोसेसिंग, सोटिंग ग्रेडिंग, केन्डी, ज्यूस आदि के उत्पाद इकाई लगाई जा सकती हैं।
अहमद बताते हैं कि प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजनान्तर्गत आत्म निर्भर भारत व 'लोकल फॉर वोकल' के तहत सवाई माधोपुर के अमरूद का चयन किया गया है।
क्या बोले अमरूद से जुड़े किसान!
बागवानी खेती से जुड़े सवाईमाधोपुर जिले के बनोटा गंब के किसान गजानंद पटेल बताते हैं कि राजस्थान में सर्वाधिक 75 प्रतिशत अमरूदों की बागवानी सवाईमाधोपुर जिले में होती है। यहां के अमरूद देश भर में प्रसिद्ध हैं। काश्तकार परंपरागत खेती से हटकर अमरूदों की बागवानी कर रहे हैं। ऐसे में यदि खाद्य प्रसंस्करण स्थापित हो तो बागवानी की तस्वीर बदल सकती है।
बिलोपा गांव के किसान रामसहाय मीणा बताते हैं कि "जिले में अमरूदों का प्रचुर उत्पादन होने से हजारों लोगों की आजीविका जुड़ी है। फूड प्रोसेसिंग यूनिट लगने से अमरूदों के कई उत्पाद तैयार किए जा सकते हैं। सरकार, जनप्रतिनिधि व विधायकों को इस पर ध्यान देने की जरूरत है, ताकि किसानों को लाभ मिलेगा।"
अमरूद की खेती से जुड़े व वर्तमान में पंचायत समिति मलारना डूंगर के उपप्रधान फजरुद्दीन बताते हैं कि, जिले के किसानों को अमरूदों के कारोबार के दौरान बाजार न मिलने से घरों में ही फल खराब होकर बर्बाद हो जाता है। फूड प्रोसेसिग यूनिट लगने के बाद काश्तकार इससे बनने वाले उत्पाद बनाएंगे। ऐसे में यदि फूड प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित हो जाए तो स्थानीय स्तर पर आमदनी हो सकेगी।
सहायक निदेशक, उद्यान विभाग सवाईमाधोपुर चन्द्रप्रकाश बड़ाया ने द मूकनायक को बताया कि फूड प्रोसेसिंग यूनिट की महत्ता के बारे में प्रगतिशील कृषकों को बैठक व सेमीनार आदि में विभागीय परामर्श दिया जा रहा है। इससे कृषकों को आमदनी में इजाफा होगा। इच्छुक किसान भी इसके लिए आवेदन कर सकते हैं।
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