MP में खाद संकट: केंद्रों पर लगी लंबी कतारें, कई जिलों में आपूर्ति बाधित, किसानों में रोष!

दतिया, गुना, अशोकनगर, पन्ना, टीकमगढ़, भिंड, मुरैना सहित मध्यप्रदेश के विभिन्न जिलों में खाद की आपूर्ति का संकट गहरा गया है।
मध्यप्रदेश में खाद संकट- सांकेतिक फोटो
मध्यप्रदेश में खाद संकट- सांकेतिक फोटोइंटरनेट
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भोपाल। खेतों में पसीना बहाकर अपनी जिंदगी संवारने का सपना देख रहे किसानों की उम्मीदें खाद के अभाव में मुरझा रही हैं। रबी फसलों की बुवाई का समय चल रहा है, लेकिन जरूरत का डीएपी खाद नहीं मिलने से किसानों की मेहनत पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। हर सुबह खाद की आस लिए केंद्रों पर लंबी कतारों में खड़े किसान, दिन ढलने पर खाली हाथ लौट जाते हैं। प्रदेशभर में पसरे इस संकट ने किसानों के जीवन में असमंजस और निराशा भर दी है। अब उनका आक्रोश उग्र आंदोलन की ओर इशारा कर रहा है।

मध्यप्रदेश में रबी फसलों की बुवाई का समय होने पर भी खाद की भारी कमी ने किसानों को संकट में डाल दिया है। किसानों की मेहनत और फसलों की अच्छी पैदावार के लिए आवश्यक डीएपी खाद की अनुपलब्धता से उन्हें कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। सागर जिले के बंडा सहित प्रदेश के विभिन्न जिलों में खाद वितरण केंद्रों पर किसानों की लंबी कतारें देखने को मिल रही हैं, लेकिन अधिकांश किसानों को खाली हाथ ही लौटना पड़ रहा है। इस स्थिति से नाराज किसानों ने प्रदर्शन कर सरकार से समय पर खाद आपूर्ति की मांग की है।

सागर में प्रदर्शन, राज्यपाल को सौंपा ज्ञापन

सागर जिले के बंडा में खाद की कमी के विरोध में पूर्व विधायक तरवर सिंह लोधी के नेतृत्व में किसानों ने प्रदर्शन किया और राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में किसानों ने चेतावनी दी है कि अगर समय पर पर्याप्त खाद नहीं मिली, तो वे उग्र आंदोलन करेंगे। लोधी ने आरोप लगाया कि बंडा में अब तक सिर्फ दो गाड़ियां डीएपी खाद की आई हैं, जो किसानों की जरूरतों के सामने न के बराबर है। किसानों का कहना है कि बिना खाद के बुवाई करना मजबूरी बन चुका है, जिससे उनकी फसलें बर्बाद होने की कगार पर हैं।

महंगे दामों पर खरीद रहे खाद

बंडा के किसान मजबूरी में स्थानीय व्यापारियों से महंगे दामों पर खाद खरीद रहे हैं, जबकि बाजार में नकली खाद भी दोगुने दामों पर बेचा जा रहा है। इससे किसानों की परेशानी और बढ़ गई है। किसानों ने नकली खाद की जांच और दोषियों पर कार्रवाई की मांग भी की है। उनका कहना है कि नकली खाद के इस्तेमाल से फसल को नुकसान हो सकता है, जिससे उनकी मेहनत और लागत दोनों ही बर्बाद हो जाएंगी।

द मूकनायक प्रतिनिधि से बातचीत में सागर के किसान अमृत ठाकुर ने कहा, "हम दिनभर लाइन में खड़े रहते हैं, लेकिन फिर भी खाद नहीं मिलती। रबी फसल की बुवाई का समय है, और अगर अब खाद नहीं मिला, तो बहुत नुकसान होगा। सरकार को जल्द से जल्द इस समस्या का समाधान करना चाहिए, वरना हम किसानों को मजबूरन आंदोलन का रास्ता अपनाना पड़ेगा।"

कई जिलों में फैला संकट

सिर्फ सागर ही नहीं, बल्कि दतिया, गुना, अशोकनगर, पन्ना, टीकमगढ़, भिंड, मुरैना जैसे जिलों में भी खाद की आपूर्ति का संकट गहरा गया है। द मूकनायक से बातचीत में भारतीय किसान संघ के संगठन मंत्री राहुल धूत ने बताया कि किसानों को इस समस्या का सामना पूरे प्रदेश में करना पड़ रहा है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर खाद की कमी दूर नहीं हुई तो प्रदेशव्यापी आंदोलन किया जाएगा।

औने-पौने दामों पर खाद खरीदने को मजबूर किसान

पूर्व विधायक तरवर सिंह लोधी ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा, "रबी सीजन के लिए सरकार ने भरोसा दिया था कि किसानों को पर्याप्त खाद मिलेगी, लेकिन आज बंडा में कहीं भी खाद उपलब्ध नहीं है। गरीब किसान मजबूरी में मंहगे दामों पर खाद खरीदने को मजबूर हैं।" उन्होंने प्रशासन से मांग की कि किसानों को जल्द से जल्द खाद उपलब्ध कराई जाए, नहीं तो जिले में बड़े स्तर पर आंदोलन होगा।

प्रदेशव्यापी आंदोलन की चेतावनी

किसानों की मांग है कि समय रहते खाद आपूर्ति को सुनिश्चित किया जाए। भारतीय किसान संघ और अन्य किसान संगठनों ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया, तो प्रदेशव्यापी आंदोलन किया जाएगा। संगठन मंत्री राहुल धूत ने कहा, "यह दुर्भाग्य है कि सालभर मेहनत करने के बावजूद किसानों को खाद के लिए जूझना पड़ रहा है। सरकार को तत्काल प्रभाव से खाद आपूर्ति का संकट दूर करे, ताकि रबी फसलें सही समय पर बुवाई की जा सकें और किसानों का नुकसान न हो।"

किसानों का कहना है, कि सरकार को प्रदेशभर में खाद की नियमित आपूर्ति के लिए ठोस योजना बनानी चाहिए। अधिकारियों को खाद वितरण पर निगरानी बढ़ाने और नकली खाद बेचने वालों पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि किसानों को सही और समय पर खाद मिल सके। प्रशासन को भी किसानों की समस्याओं का तुरंत समाधान निकालने की जिम्मेदारी निभानी चाहिए, ताकि उनकी मेहनत और फसलें बर्बाद होने से बच सकें।

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