जयपुर। राज्य इन दिनों बिजली संकट से जूझ रहा है। आपात स्थिति जैसी हालत है। इन परिस्थितियों में किसानों को सबसे ज्यादा परेशानी उठानी पड़ रही है। उन्हें किस्तों में बिजली मिल रही है। उन्हें मांग के अनुरूप चौथाई बिजली मिलती है, जिसपर प्रदेश भर में किसान प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन सरकार नहीं पसीज रही।
राजस्थान के सवाईमाधोपुर जिले की बात करें तो यहां प्रतिदिन 36 से 40 लाख यूनिट बिजली की मांग है। वर्तमान में यहां मांग के अनुरूप चौथे हिस्से की बिजली भी नहीं मिल रही है। बिजली कटौती का सर्वाधिक प्रभाव किसानों पर पड़ रहा है।
द मूकनायक ने मलारना डूंगर उपखण्ड क्षेत्र के किसान वकील अहमद से बात की। रात के समय अपने खेत पर फसल की सिंचाई कर रहे वकील अहमद ने बताया कि, "आप देख लो किसान की हालत क्या है? कहीं भी चले जाइये किसान इसी स्थिति में ठंड में खेत मे खड़े होकर भीगते हुए फसल सींचते मिलेगा।" किसान की पीड़ा बताते हुए उन्होंने कहा कि, "हम किसान हैं। हमारी कौन सुनता है। एक तरफ सरकार ने ठंड के कारण स्कूलों की छुट्टी कर दी, लेकिन किसानों को ठंड में भी दिन के समय बिजली आपूर्ति का फैसला नहीं कर सके। रात के समय बिजली आ रही है। किससे कहे कि हमें भी जाड़ा लगता है। हम भी इंसान हैं। हमारे भी बच्चे हैं। बस रोस्टर की बात कह कर रात में खेतों में खड़ा कर देते हैं। गारंटी नही कि उन्हें एक घण्टे भी नियमित बिजली आपूर्ति होगी।"
मलारना डूंगर तहसील क्षेत्र के किसान हरी जोड़लिया ने द मूकनायक को बताया कि "इन दिनों राजस्थान ठिठुर रहा है। अधिकारी बन्द कमरों में बैठ कर किसानों के लिए बिजली आपूर्ति का फैसला कर रहे हैं। किसान खुले आसमान तले रात के अंधेरे में ठिठुरते हुए बिजली का इंतजार कर रहे हैं। सरकार किसानों को 6 घण्टे निर्बाध बिजली आपूर्ति की बात कहती है। यहां किस्तों में भी 3 घण्टे बिजली नहीं मिल रही।"
उन्होंने बताया कि, "सर्द रात में बिजली कब आएगी कोई नहीं जानता। बिजली के इंतजार में रातभर जागते हैं। आधी रात को बिजली आ भी जाये तो किसान वाटर पम्प चला कर खेत में पहुंचता है, इससे पहले ही बिजली गुल हो जाती है। एक बीघा भूमि की सिंचाई के लिए अमूमन 8 से 10 घण्टे का समय लगता है, लेकिन 8 से 10 दिन में भी एक बीघा भूमि में सिंचाई नहीं हो पा रही है।"
जैसलमेर जिले सहित पश्चिमी राजस्थान का रेगिस्तान सर्वाधिक बिजली उत्पादन के लिए जाना जाता है, लेकिन इन दिनों यहां सबसे कम बिजली मिल रही है। राजस्थान में जीरा की फसल की मुख्य रूप से बुवाई हुई है। किसानों का कहना है कि जीरा की फसल के लिए पानी की अधिक जरूरत होती है, लेकिन पर्याप्त बिजली नहीं मिल रही है। फसल की बढ़वार कम है। यही स्थिति रही तो उनकी जीरा की फसल खराब हो सकती है।
एक सप्ताह मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने विद्युत आपूर्ति की स्थिति की समीक्षा बैठक ली। इस दौरान उन्होंने कहा कि राज्य सरकार कृषि के लिए पर्याप्त बिजली उपलब्ध करवाने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि किसी भी स्थिति में किसानों को बिजली की आपूर्ति प्रभावित नहीं होनी चाहिए। इसके बावजूद किसानों को पर्याप्त बिजली नहीं मिल रही है।
उधर विद्युत निगम के अधिकारियों ने बताया कि वर्तमान में 'पावर एक्सचेंज' से राज्य को अतिरिक्त बिजली की आपूर्ति नहीं हो पा रही है। इसका कारण उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब की कुछ बिजली उत्पादन इकाइयों का बंद होना और अन्य राज्यों में बिजली की मांग बढ़ना है।
विशेषज्ञ बताते हैं कि, 1949 में राज्य के गठन के समय राजस्थान में बिजली स्थापित क्षमता मात्र 13.27 मेगावाट थी। बिजली आपूर्ति रियासतों व कुछ कस्बों तक सीमित थी। वर्तमान में बिजली उत्पादन व संसाधन में तो राज्य ने नए आयाम स्थापित किए हैं, लेकिन आपूर्ति 1949 की तरह ही हो रही है। समस्या समाधन को लेकर बिजली निगम के अधिकारियों ने हाथ खड़े कर दिए हैं। इतना ही नहीं राज्य के आधा दर्जन से अधिक सत्ता पक्ष के विधायक भी राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से किसानों के हित में बिजली आपूर्ति व्यवस्था में सुधार की मांग कर चुके हैं। इस बात की जानकारी सवाईमाधोपुर से कांग्रेस विधायक दानिश अबरार ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर शेयर की है। इसके बावजूद कोई सुधार नहीं हो रहा है।
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