इन परेशानियों से जूझ रहा है पूर्वी राजस्थान का किसान..

सवाईमाधोपुर में हुई किसान संसद में छलकी भूमि पुत्रों की पीड़ा, सरकार से मांगा समाधान।
इन परेशानियों से जूझ रहा है पूर्वी राजस्थान का किसान..
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जयपुर। किसानों की समस्याओं के निराकरण की मांग को लेकर राजस्थान के सवाईमाधोपुर जिला मुख्यालय पर किसान संसद लगी। किसान संघर्ष मंच (भूप्रेमी) के बैनर तले चली किसान संसद में जिले भर से आए किसानों ने जमीनी स्तर पर होने वाली छोटी-छोटी समस्याओं को पटल पर रखा। इस दौरान किसानों की समस्या के समाधान भी सुझाये गए।

मुद्दे जिन पर हुई बहस

जिला मुख्यालय की कृषि उपज मंडी परिसर में चली किसान संसद में दिल्ली में आयोजित हुई किसान महापंचायत का ध्वनिमत से समर्थन किया गया। इसके अलावा कम भावों में फसल खरीद का विरोध करते हुए एमएसपी गारंटी कानून लागू करने, प्राकृतिक आपदा से फसल खराबे की अविलम्ब गिरदावरी कर राहत पहुंचाने, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का सरलीकरण करने, फसल खराबे के आंकलन में गेंहू के तूड़े की कीमत को भी शामिल करते हुए आर्थिक सहयोग दिलाने, सम्पूर्ण किसान कर्ज माफी जैसी मांगो पर चर्चा के साथ बहस हुई।

फसल तैयार होने पर जान बूझ कर गिराए जाते हैं दाम?

किसान संसद की अध्यक्षता कर रहे किसान हाजी कमरुद्दीन ने किसानों की पीड़ा सुनने के बाद कहा कि यह सच है कि सरकारें किसानों की अपेक्षा व्यापारी को तवज्जो देती हैं। तैयार फसल किसान बाजार में बेचने जाता है तो बाजार में भाव गिरा दिए जाते हैं। नतीजतन कर्जदार किसान पगड़ी की इज्जत व सावकरा कायम रखने (ईमानदार छवि) बनाये रखने के लिए कम दाम में फसल बेच कर सबसे पहले कर्ज चुकाता है। चाहे कर्ज बैंक से लिया हो या बाजार के किसी व्यापारी से, अगली फसल की बुवाई के लिए फिर कर्ज लेकर मेहनत में लग जाता है।

किसान संसद की अध्यक्षता कर रहे किसान हाजी कमरुद्दीन ने आगे कहा कि सभी राजनैतिक दल चुनाव के समय खुद को किसान हितैषी बताते हुए नई-नई योजनाओं का जिक्र करते हैं। सपने दिखा कर वोट भी लेते हैं, लेकिन सत्ता में आने के बाद व्यापारियों के फायदे को सामने रख कर फैसले करते हैं। यह सब जानते हैं, लेकिन कोई बोलता नहीं। किसान संघर्ष मंच (भूप्रेमी) राजनैतिक दलों के इसी छल से किसानों को जागरूक करने का काम कर रहा है।

सरकार व व्यापारियों पर गठजोड़ के आरोप

इससे पूर्व किसान मथुरा लाल पटेल ने किसान संसद के पटल पर अपनी बात रखते हुए कहा कि व्यापारी, उद्योगपति व सरकार का गठजोड़ है। इसी गठजोड़ को तोड़ने के लिए किसान सड़कों पर उतरता है। अपनी बात रखता है, लेकिन बड़ी चालाकी से राजनेता किसानों को झांसे में लेकर ठग लेते हैं।

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उन्होंने आगे कहा कि देश में अभी तक एमएसपी की गारंटी कानून नहीं बनाना इसी गठजोड़ का उदाहरण है। हम चाहते हैं कि किसान को मेहनत का सही दाम दिया जाए। किसान को सरसों की फसल का दाम छह हजार रुपये प्रति क्विंटल से अधिक दिया जाए। सही दाम मिलेगा तो किसान फसल बेच कर कर्ज अदायगी के बाद अगली फसल आने तक अपने परिवार को दो जून की रोटी सुकून से खिला सकेगा।

समय पर शुरू हो सरकारी खरीद केंद्र

किसान रामलाल पटेल ने कहा कि फसल बिकने के बाद सरकार एमएसपी पर फसल खरीदना शुरू करती है। पटेल ने कहा कि जब तक सरकारी खरीद केंद्र शुरू होता है, किसान अपनी फसल ओने-पौने भाव में बेच चुका होता है। हम चाहते हैं कि सरकार कांटे पर फसल की खरीद की व्यवस्था फसल पकने से पूर्व हो जाए। जैसे ही फसल आए तो किसान एमएसपी पर फसल बेच सके। उन्होंने कहा कि समय पर सरकारी खरीद शुरू नहीं करना भी सरकार व व्यापारी गठजोड़ की तरफ इशारा करता है।

एमएसपी की गारंटी का बनाये कानून

इंसान संघर्ष मंच (भुप्रेमी) सरंक्षक मुकेश भूप्रेमी ने किसान संसद में विभिन्न मांगों को लेकर दिल्ली में हुई किसान महापंचायत का समर्थन करते हुए कहा कि हमारी प्रमुख मांग एमएसपी की गारंटी कानून है। एमएसपी गारंटी कानून नहीं बनने तक संघर्ष करते रहेंगे।

किसान छुट्टन लाल ने राज्य सरकार को घेरते हुए कहा कि चुनाव से पूर्व आपने सरकार बनने पर 10 दिन में किसान कर्ज माफी का वादा किया था। सत्ता में आने के बाद किसानों का आंशिक रूप से कर्ज माफ कर मीडिया के माध्यम से वाहवाही भी लूटी, लेकिन राज्य का हर किसान आज भी कर्ज में डूबा है।

किसान छुट्टन लाल ने आगे कहा कि वादे के मुताबिक सरकार किसानों का सम्पूर्ण कर्ज माफ करें। साथ ही किसानों को उनकी मेहनत का पूरा दाम दिलाने की व्यवस्था भी करें।

उद्योग को 24 घण्टे बिजली, किसानों से भेद क्यों?

कुंडली नदी गांव से आए किसान शांतिलाल ने भी अपनी बात रखते हुए कहा कि किसानों को समय पर 12 घण्टे निर्बाध बिजली आपूर्ति की व्यवस्था करें। उद्योग धंधों को 24 घण्टे व किसानों को 6 घण्टे वह भी किस्तों में बिजली दी जाती है। कृषि भी देश की आर्थिक व्यवस्था का मजबूत स्तम्भ है। ऐसे में किसानों के साथ बिजली आपूर्ति में भेदभाव बन्द किया जाए। बीज में गड़बड़ियों पर भी अंकुश लगाया जाए।

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मैनपुरा गांव से आए किसान रतनलाल ने कहा कि हर वर्ष प्राकृतिक आपदा जैसे बारिश, ओले, अंधड़ से फसल खराब होती है। फसल खराब होने पर विपक्षी राजनैतिक पार्टियों से जुड़े लोग हाथों में किसानों की खराब फसल लेकर प्रदर्शन करते हैं, लेकिन जब उनकी पार्टी सत्ता में आती है चुप हो जाते हैं।

उन्होंने कहा कि हाल ही बारिश व ओलों से किसानों की फसल नष्ट हो गई। शासन-प्रशासन किसानों के खेतों में भी पहुँचे। समय पर गिरदावरी करवा कर मुआवजा देने का भरोसा दिया गया। उन्होंने कहा कि अभी तक जिले में गिरदावरी का काम पूरा नहीं हुआ। दबाव बढ़ने पर पटवारी मन चाही गिरदावरी रिपोर्ट कर खाना पूर्ति कर देंगे।

फसल बीमा से पूर्व बैंक किसानों को फोन कर लें सहमति

करमोदा से आए किसान सलाम खान ने कहा कि बैंकों से कर्ज लेने वाले किसानों का बैंक मनमानी से खसरा नम्बर व क्रॉप का बीमा कर प्रीमियम जमा कर लेती है। किसानों को इसकी भनक तक नहीं लगती। पटवारी भी फील्ड में पहुंचे बिना ही गिरदावरी रिपोर्ट कर देते हैं। जबकि हकीकत में किसान की फसल कुछ और होती है। जब प्राकृतिक आपदा से फसल खराब होने पर किसान क्लेम करता है तो दस्तावेजों व धरातल पर फसल का मिलान नहीं होने से बीमा कम्पनी दावा खारिज कर देती है।

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सलाम कहते हैं कि फसल बीमा से पूर्व ऋणी किसानों से बैंक पूछे कि उन्होंने कौन सी फसल कितने रकबे में बुवाई की है? इसके बाद भी बीमा प्रीमियम काटे। साथ ही पटवारियों को भी मौके पर जाकर गिरदावरी करने के लिए पाबंद किया जाए। साथ ही फसल के तूड़े को भी नुकसान मान कर उसका भी सरकार भुगतान करें।

कृषि उपजमंडी में व्यवस्था सुधारी जाए

पीलोदा गांव से आए किसान शंकरलाल ने कहा कि कृषि उपज मंडी में दर्जनों खामियां है। कृषि उपजमंडी प्रशासन इन कमियों को दूर करें। उन्होंने कहा कि सबसे पहले मंडी परिसर में बड़ी स्क्रीन लगा कर जीन्स के भावों का डिस्प्ले किया जाए। फसल की बोली बढ़त राशि पांच -10 रुपये की बजाय सौ-दो सौ रखी जाए। कृषि उपज मंडी में सरसों को फैला कर ढेरी लगाने व चलना लगाने पर पाबन्दी लगाई जाए। पहले किसानों से पल्लेदारों की एक किवंटल के हिसाब से मजदूरी ली जाती थी। अब 50 किलो के कट्टे की तुलाई पर भी वही मजदूरी ली जा रही है।

उन्होंने कहा कि मंडी में सीसीटीवी कैमरे लगाकर रखी गई फसलों की सुरक्षा और किसानों की सुरक्षा की जाए। साफ-सफाई और किसान भवन में किसानों के लिए व्यवस्थाएं की जाए। कृषि उपज मंडी प्रांगण में विभिन्न सरकारी योजनाओं से संबंधित जानकारी के बोर्ड लगाकर किसानों को लाभान्वित किया जाए। उपज मंडी में पार्क, पेड़ पौधों का विकास किया जाए, पीने के लिए पानी और बैठने की सुविधाएं बढ़ाई जाए।

इसी तरह जगराम पटेल दोबड़ा ने किसानों को गांव-गांव संगठित होने की अपील करते हुए कहा है कि हमें अपने हक अधिकार के लिए अंतिम दम तक लड़ते रहने को तैयार होना पड़ेगा। हमे हर किसान को उसके साथ हो रही ठगी से सजग करने की जरूरत है। जो किसानों के हक है उन्हें बताने के किये हम गांव-गांव जाएंगे।

इन्होंने भी रखी अपनी बात

किसान संसद में हामिद दोन्दरी, हनुमान पटेल आदलवाडा, गजानंद पटेल, अवधेश शर्मा, गुलाब सिंह, कैलाश सिनोली, लक्ष्मीनारायण, मीठालाल, नरोत्तम चौधरी, रामनिवास पटेल, सांवलाराम, हरिकेश मीणा, रामजीलाल, बका मोहम्मद , हाजी रफीक आदि ने भी अपनी बात रखी।

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