चंडीगढ़: देर रात चली किसानों और मंत्रियों की बैठक, नहीं बनी सहमति, आज दिल्ली की ओर कूच करेंगे किसान

किसान नताओं ने कहा कि हमारी सरकार से सहमति नहीं बनी, कल हम 10 बजे दिल्ली के लिए बॉर्डरों की तरफ़ कूच करेंगे।
किसानों को रोकने के लिए लगाए गए बैरिकेट्स
किसानों को रोकने के लिए लगाए गए बैरिकेट्सफोटो- सौम्या राज, द मूकनायक
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चंडीगढ़। सरकार और किसानों के बीच 12 फरवरी की रात को चंडीगढ़ में करीब 6 घंटे चली मीटिंग बेनतीजा रही। किसानों का कहना है कि, “सरकार हमारे किसी माँग को लेकर सीरियस नहीं है, हमारी कोशिश थी कि हम किसी तरह का टकराव नहीं करें, मिल-बैठकर मसले का हल हो जाए, लेकिन सरकार के मन में खोट है। वह हमारा सिर्फ़ टाइम पास करना चाहती है…देना कुछ नहीं चाहती। अब हम 13 फरवरी को बड़ी तादाद में दिल्ली की ओर कूच करेंगे।”

केंद्रीय मंत्रियों और किसान नेताओं के बीच हुई बैठक पर, ‘द मूकनायक’ से बातचीत करते हुए किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल ने कहा कि ''बैठक काफी देर तक चली। हर मांग पर चर्चा हुई। लेकिन सरकार हमें लेकर सीरियस नहीं है, मेरी राय है कि हमें सुबह 10 बजे दिल्ली की ओर बढ़ना चाहिए।”

किसान नेताओं के इस इस बैठक में सरकार की तरफ से खाद्य और उपभोक्ता मामलों के मंत्री पीयूष गोयल, कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा और गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय मौजूद थे।

इस बैठक के बाद अर्जुन मुंडा ने मीडिया को बताया, ''सरकार हमेशा चाहती है कि बातचीत के माध्यम से हर समस्या का समाधान निकलें। इसी उद्देश्य के साथ हम यहाँ आए और बहुत गंभीरता से किसान संगठनों के साथ सभी विषयों पर बातचीत हुई। लेकिन कुछ ऐसे विषय रहे, जिनको लेकर हमने कहा था कि इससे बहुत सारे ऐसे मामले जुड़े हुए हैं, जिस पर हमें अस्थायी समाधान निकालने के लिए कमिटी बनाने की ज़रूरत है और उसमें हम अपनी बातें रखें, स्थायी समाधान निकालें।''

वहीं बैठक में शामिल एक किसान नेता ने हमें बताया कि, “हमारी माँगों में कुछ नहीं निकला। हमारी मुख्य माँगें कर्ज मुक्ति, स्वामी नाथन रिपोर्ट और एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) को लेकर था, वो हमें नहीं मिला। लेकिन मंत्रियों द्वारा मीटिंग में इसपर कोई चर्चा नहीं हुई। हमारी सरकार से सहमति नहीं बनी, कल हम 10 बजे दिल्ली के लिए बॉर्डरों की तरफ़ कूच करेंगे।”

"हमारी तीन बड़ी मांगें थी और कुछ छोटी मांगें थी। उनमें से किसी पर सहमति नहीं बन पाई। हमने कोशिश की कि कोई न कोई बात बने और सरकार किसानों को कुछ दे लेकिन सरकार ने इन मांगों को मानने का मन नहीं बनाया। दिल्ली की तरफ हमारा जो मार्च है वो इसी तरह आगे चलेगा। कल (13 जनवरी को) सुबह यहाँ से रवाना होकर हम शाम तक दिल्ली पहुंचेंगे," इसी बैठक में शामिल एक किसान नेता ने कहा.

उन्होंने कहा, "उनके मन में था कि कमेटी बना दी जाए लेकिन हमने कहा कि कमेटियां तो कई बार बन चुकी हैं, कोई निर्णय की बात करो। एमएसपी पर अगर कानून बनाना है तो उसके लिए कमेटी बन सकती है लेकिन यह बात तो कहो कि कानून बनाएंगे।"

वह कहते हैं कि एमएसपी का मुद्दा केवल पंजाब और हरियाणा के किसानों का नहीं है, यह पूरे भारत का मुद्दा है। यह पूरे भारत के किसानों की लड़ाई है। अब देश के सभी राज्यों के किसानों से निवेदन करेंगे कि वो इस आंदोलन में शामिल हों।

किसान नेता सरवन सिंह पन्धेर ने इस बैठक के बारे में कहा, “सरकार के पास कोई प्रस्ताव नहीं है। वह केवल और केवल समय निकालना चाहती थी। हमलोगों ने पूरी कोशिश की कि हम मंत्रियों से लंबी बातचीत करें और हमारे पक्ष में कोई न कोई निर्णय आए लेकिन मीटिंग में ऐसा कुछ हुआ नहीं। अगर हमें कुछ मिल जाता तो हमारा निर्णय कुछ और होता।”

बता दें कि पिछली बार किसानों के एक साल के लंबे आंदोलन के बाद केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने कृषि कानूनों को वापस लिया था लेकिन किसानों से जो वादे किए गए थे वो अबतक पूरे नहीं किए गए हैं। ऐसे में किसान एक बार फिर अपनी मांगों के समर्थन में मैदान में उतर गए हैं।

किसानों को दिल्ली जाने से रोकने के लिए नेशनल हाईवे पर लगाए गए नुकीले तार
किसानों को दिल्ली जाने से रोकने के लिए नेशनल हाईवे पर लगाए गए नुकीले तार फोटो- सौम्या राज, द मूकनायक

वहीं, किसानों को रोकने के लिए सरकार ने पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों के बॉर्डर पर नुकीली कीलें, सीमेंट के बैरिकेडिंग और कंटीली तारें बिछवा दी हैं। सरकार ने पंजाब और हरियाणा के बीच बने शंभू बॉर्डर को सीमेंट की बैरिकेडिंग और कंटीली तारों से सील कर दिया है। प्रशासन द्वारा हरियाणा में घग्गर नदी के ऊपर बने ब्रिज को भी बंद कर दिया गया है और गढ्ढे खोद दिये गए हैं। सरकार ने पूरी कोशिश की है कि इस बार किसानों को दिल्ली आने से रोक लिया जाए।

ये हैं किसानों की मुख्य मांगें

किसानों की मांग है कि सरकार एमएसपी पर फसलों की खरीद के लिए गारंटी दें और उसके लिए नोटिफिकेशन जारी करें। स्वामीनाथन कमीशन की रिपोर्ट लागू करें और किसानों की लागत खर्चे पर 50 फ़ीसदी मुनाफ़ा दिया जाए। साथ ही किसानों के क़र्ज़ माफ़ किए जाएं और किसान आंदोलन के दौरान जो केस दर्ज किए गए थे, वो वापस लिए जाएं। वहीं मजदूरों के लिए मनरेगा में 200 दिन काम की गारंटी और 700 रुपये दिहाड़ी जैसी मांगें हैं।

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