आजमगढ़: जमीन बचाने के लिए 9 सितंबर को किसान करेंगे पंचायत, ये हैं मांगे..

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का निर्देश है कि फोरलेन सड़क निर्माण के दौरान मकान नहीं टूटने चाहिए भले ही फोरलेन का नक्शा बदलना पड़े। लेकिन इसके खिलाफ जमीनों और मकानों को अधिग्रहण के लिए चिन्हित कर दिया गया है।
अपनी जमीन बचाने की लड़ाई लड़ती किसान महिलाएं.
अपनी जमीन बचाने की लड़ाई लड़ती किसान महिलाएं.फोटो- सत्य प्रकाश भारती, द मूकनायक
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आज़मगढ़। किसान नेता विरेंद्र यादव और राजीव यादव ने बताया कि एनएच चौड़ीकरण और बाईपास के नाम पर जमीन छीनने के खिलाफ 9 सितंबर को खैरुद्दीनपुर, पवई, आजमगढ़ में किसान पंचायत होगी.

किसान पंचायत में जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय (एनएपीएम) की राष्ट्रीय संयोजक अरुंधती धुरु, संगतिन किसान मज़दूर संगठन और एनएपीएम की ऋचा सिंह, संयुक्त किसान मोर्चा के केंद्रीय सदस्य और अखिल भारतीय किसान मजदूर सभा के राष्ट्रीय महासचिव डॉ. आशीष मित्तल, किसान संघर्ष समिति के महासचिव पूर्व विधायक सुनीलम, मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित सोशलिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया के उपाध्यक्ष डॉ. संदीप पाण्डेय, वरिष्ठ समाजसेवी राजीव केशव, सामाजिक कार्यकर्ता आलोक सिंह, बहुजन चिंतक आरपी गौतम, समाज सेवी हरीश मिश्रा जी, पूर्वांचल किसान यूनियन अध्यक्ष योगी राज पटेल, एनएपीएम के सुरेश राठौर, महेंद्र राठौर, जनमंच के रजनीश भारती किसान पंचायत के प्रमुख वक्ता होंगे।

पूर्वांचल किसान यूनियन महासचिव वीरेंद्र यादव और सोशलिस्ट किसान सभा महासचिव राजीव यादव ने कहा कि, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि फोरलेन सड़क निर्माण के दौरान मकान नहीं टूटने चाहिए भले ही फोरलेन का नक्शा बदलना पड़े और इसके साथ ही उन्होंने सर्किल रेट के चार गुना मुआवजा देने का निर्देश दिया है. लेकिन इसके खिलाफ सड़क के किनारे खैरुद्दीनपुर, ताखा पश्चिम समेत अन्य गावों की सड़क के किनारे की जमीनों और मकानों को चिन्हित कर दिया गया है.

सड़क के किनारे सैकड़ों परिवार सदमे में जी रहे हैं कि उनकी दुकानों और मकानों पर बुलडोजर न चला दिया जाए. वह बेघर हो जाएंगे. सर्किल रेट का चार गुना मुआवजा, भूमि अधिग्रहण से पहले ग्राम सभा की सहमति, पर्यावरण को होने वाले नुकसान से जुड़े सर्वे को सार्वजनिक किया जाना, मुआवज़े की राशि वर्तमान बाज़ार के रेट के अनुसार हो और सरकारी पट्टा प्राप्त व आबादी, आबादी वर्ग 6 किसानों के मुआवज़े की श्रेणी में शामिल किए जाने वाले अहम बिंदुओं को नज़रंदाज़ किया जा रहा है.

किसान पंचायत में चौतरफा समस्याओं से घिरी खेती किसानी के सवालों, नहरों में पानी न छोड़े जाने से खेती बर्बाद होना, किसानों को उपज का सही दाम न मिलना, छुट्टा पशुओं से फसलों को होने वाले नुकसान, ग्रामीण क्षेत्र की खस्ताहाल सड़कों, बिजली कटौती, बढ़ती मंहगाई और बेरोज़गारी की समास्याओं पर भी विस्तृत रुप से चर्चा की जाएगी।

पंचायत में, जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय (NAPM), पूर्वांचल किसान यूनियन, सोशलिस्ट किसान सभा, जनवादी किसान सभा, भारतीय किसान यूनियन द्वारा बुलाई गई पंचायत में सूबे भर से किसान नेता पहुचेंगे.

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