बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक कांशीराम का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. वीडियो के साथ ऐसा दावा किया जा रहा है कि कांशीराम ने अपने आखिरी दिनों में दिए गए एक इंटरव्यू में मायावती को मुख्यमंत्री बनाने के अपने फैसले को गलत बताया था.
वीडियो में कांशीराम कहते हैं, “मुझे कुछ आखिरी दिनों में लगने लगा है कि पंचायत लेवल के आदमी को मैंने चीफ मिनिस्टर बना दिया, लेकिन उसकी दिलचस्पी पंचायत में ज्यादा है.' लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण के मतदान के बीच सामने आए इस वीडियो को सोशल मीडिया पर कई लोग शेयर कर रहे हैं. ऐसे ही एक पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है.
आजतक फैक्ट चेक ने पाया कि कांशीराम ने ये बयान मायावती के बारे में नहीं, बल्कि मुलायम सिंह यादव के बारे में दिया था.
कांशीराम के बयान के बारे में फेसबुक पर कीवर्ड सर्च करने पर हमें वायरल वीडियो का लंबा वर्जन साल 2022 के एक पोस्ट में मिला. इसे देखकर पता चलता है कि ये एक न्यूज रिपोर्ट का छोटा-सा हिस्सा है. इसमें दायीं ओर ‘यूपी तक’ का लोगो भी मौजूद है, जिसे वायरल वीडियो में क्रॉप कर दिया गया है.
इसमें पहले मायावती का एक वीडियो आता है, जिसमें वो कहती हैं, 'अब यदि बहुजन समाज के हित को ध्यान में रखकर, दलितों के हित को ध्यान में रखकर, भारतीय जनता पार्टी बाहर से बिना किसी शर्त के बहुजन समाज पार्टी को सरकार बनाने के लिए यदि समर्थन देती है, तो आज उसको तकलीफ हो रही है.' इसके बाद वायरल वीडियो वाला कांशीराम का बयान देखा जा सकता है.
इस क्लू की मदद से ‘यूपी तक’ के यूट्यूब चैनल पर खोजने पर हमें ये वीडियो 12 जनवरी 2019 की एक रिपोर्ट में मिला. ये न्यूज रिपोर्ट साल 1995 में हुए लखनऊ के ‘गेस्ट हाउस कांड’ के बारे में है. रिपोर्ट में बताया गया है कि उस वक्त कैसे बीएसपी ने सपा से अपना समर्थन वापस लेकर, बीजेपी के साथ गठबंधन कर लिया था.
मायावती और कांशीराम ने उस वक्त सपा के खिलाफ जो बयान दिए थे, वो भी इस रिपोर्ट में मौजूद हैं. वायरल वीडियो वाला बयान भी इसी कड़ी में दिखाया गया है, जिससे पता चलता है कि कांशीराम का ये बयान सपा के बारे में था.
बीएसपी ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैन्डल से ये वीडियो 26 मार्च 2024 को शेयर किया था. इसमें उन्होंने बताया है कि कांशीराम का ये बयान मुलायम सिंह यादव के बारे में था.
खबरों के मुताबिक 6 दिसंबर 1992 को बाबरी विध्वंस के बाद कल्याण सिंह की सरकार को बर्खास्त कर दिया गया था. इसके बाद 1993 में बीएसपी और सपा ने गठबंधन में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. गठबंधन सरकार में मुलायम सिंह मुख्यमंत्री बने.
बसपा के समर्थन से सरकार तो बन गई, लेकिन दोनों पार्टियों के बीच मनमुटाव होने लगे. अलग-अलग मौकों पर मायावती और कांशीराम ने मुलायम सिंह की सार्वजनिक रूप से आलोचना की. कांशीराम मुलायम से मुख्यमंत्री की कुर्सी छीन कर मायावती को सौंपना चाहते थे. इससे पता चलता है कि ‘पंचायत लेवल के आदमी को मुख्यमंत्री’ बनाने वाला कांशीराम का वायरल बयान मुलायम सिंह यादव के बारे में था, मायावती के बारे में नहीं.
बता दें कि 2 जून, 1995 को बीएसपी ने सरकार से समर्थन वापस लेने की घोषणा कर दी थी. घोषणा के बाद मायावती ने बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाने के फैसले को लेकर बीएसपी विधायकों के साथ ‘मीराबाई गेस्ट हाउस’ में बैठक की. बैठक की सूचना मिलते ही सपा के नेताओं ने गेस्ट हाउस पर हमला कर दिया. ‘गेस्ट हाउस कांड’ के बाद मुलायम सिंह को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा और मायावती बीजेपी के समर्थन से 1995 में पहली बार यूपी की मुख्यमंत्री बनीं.
साफ है, मुलायम सिंह यादव के बारे में दिये गए कांशीराम के बयान के जरिए मायावती पर निशाना साधा जा रहा है.
(यह स्टोरी मूल रूप से आज तक द्वारा प्रकाशित की गई थी, जिसे द मूकनायक द्वारा शक्ति कलेक्टिव के हिस्से के रूप में पुनः प्रकाशित की गई है।)
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