पड़ताल की शुरुआत में हमने दावे के साथ शेयर की गयी तस्वीर में लिखे तेलुगू टेक्स्ट का हिंदी अनुवाद किया। तस्वीर पर तेलुगु में लिखा है कि ”वोट में हेराफेरी के लिए नकली उंगलियां…फर्जी वोट डालने के लिए फर्जी उंगलियां बनाई जा रही हैं। आप नहीं बता सकते कि यह असली है या नकली। अंगुलियों पर स्याही लगाकर मतदान कर्मी मूर्ख बन सकते हैं। देखिये देश क्या कर रहा है”
अब हमने दावे वाली तस्वीर को गूगल रिवर्स इमेज सर्च किया। इस दौरान हमें वायरल तस्वीर के साथ वर्ष 2018 में ‘kwongwah.com’ द्वारा प्रकाशित एक चीनी रिपोर्ट मिली। इस रिपोर्ट में नज़र आ रही नकली उँगलियों की तस्वीर के साथ ‘Akikofujita.com’ लिखा गया है।
जांच के दौरान हमने ‘Akiko fujita’, ‘Prosthetic fingers’ कीवर्ड्स को गूगल सर्च किया। इस दौरान हमें पत्रकार ‘अकीको फुजिता’ की वेबसाइट पर 16 दिसंबर 2013 को प्रकाशित रिपोर्ट में भी वायरल तस्वीर मिली। रिपोर्ट के शीर्षक में लिखा है कि ‘कृत्रिम उंगलियाँ पूर्व ‘याकूब’ सदस्यों को सुधारने में मदद करती हैं।’
संबंधित कीवर्ड्स को गूगल सर्च करने पर हमें 6 जून 2013 को जापान की ‘एबीसी न्यूज’ द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट मिली। रिपोर्ट में बताया गया है कि जापान के प्रोस्थेटिक्स निर्माता ‘शिंटारो हयाशी’ को जापान में आपराधिक समूह ‘याकूजा’ के सदस्यों से कृत्रिम ऊँगली बनाने के आर्डर मिले थे। ‘याकूजा’ समूह में “युबित्सुम” नामक एक अनुष्ठान के दौरान, याकूब सदस्यों को गंभीर अपराधों का प्रायश्चित करने के लिए अपने स्वयं के अंग काटने की आवश्यकता होती है। लेकिन इसके बाद जब वे लोग बाहर निकलते हैं, तो उन्हें उन गायब उंगलियों से जुड़े कलंक के कारण काम ढूंढने में कठिनाई होती है। इसलिए उन्होंने अपनी कटी उँगलियाँ छिपाने के लिए ‘शिंटारो हयाशी’ से नकली उँगलियाँ बनवायीं थीं।
इस तरह हमारी पड़ताल में यह स्पष्ट हो गया कि बंगाल में एक से ज्यादा वोट डालने के लिए नकली उंगलियां बांटे जाने का दावा फ़र्ज़ी है।
यह स्टोरी मूल रूप से newschecker.in द्वारा प्रकाशित की गई थी, जिसे द मूकनायक द्वारा शक्ति कलेक्टिव के हिस्से के रूप में पुनः प्रकाशित की गई है।
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