मध्य प्रदेश: सिवनी में बाघ के हमले से युवक की मौत, जानिए कब और कहां हुआ बाघ-मानव संघर्ष

मध्य प्रदेश: सिवनी में बाघ के हमले से युवक की मौत, जानिए कब और कहां हुआ बाघ-मानव संघर्ष
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भोपाल। मध्यप्रदेश के सिवनी में हाल ही में बाघ के हमले से एक युवक की मौत हो गई। जिले के कुरई विकासखंड के गोंडेगांव में एक ग्रामीण पर एक बाघ ने हमला कर दिया। बाघ के हमले में ग्रामीण की मौत हो गयी। इसी दौरान बाघ ने एक अन्य ग्रामीण को भी पंजा मार दिया, जिससे वह घायल हो गया।

जानकारी के अनुसार, घर की बाड़ी के समीप गाँव का चुन्नीलाल पटले खड़े थे, तभी बाघ ने अचानक उन पर हमला कर दिया, जिससे उसकी मौत हो गयी। इसी दौरान एक अन्य व्यक्ति को भी बाघ ने पंजा मार कर घायल कर दिया। उसका इलाज सरकारी अस्पताल में चल रहा है। घटना की सूचना मिलते ही राजस्व और वन विभाग का अमला मौके पर पहुंचा। बाघ के हमले में ग्रामीण की मौत से ग्रामीणों में आक्रोश है। जंगल से लगे खेत मे लगी तुअर और पेड़ों के बीच मौजूद बाघ को देखने बड़ी संख्या में ग्रामीणों का हुजूम लग गया। वहीं प्रशासन ने आक्रोश के चलते गाँव में वनकर्मी सहित पुलिस बल तैनात किया है।

प्रदेश में वन्य प्राणियों द्वारा लोगों पर हमले करने के मामले तेजी से बढ़ते ही जा रहे हैं। इससे पहले मध्यप्रदेश के नर्मदापुरम (होशंगाबाद) जिले के बनखेड़ी के पास ग्राम पांचरा में जंगली सुअर के हमले से एक महिला की मौत हो गई थी, और महिला का शव खून से लथपथ हालत में गन्ने के खेत में पड़ा मिला था।

कुछ दिनों पहले ग्वालियर के जंगल मे एक बाघ ने स्थानीय पत्रकार पर हमला कर दिया था, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गया था। घायल पत्रकार को जौरा के अस्पताल से चिकित्सकों ने उचित उपचार के लिये ग्वालियर रेफर कर दिया था। बताया जा रहा था कि, पत्रकार बाघ की तस्वीर कैमरे में उतारना चाह रहा था, उसी दौरान बाघ ने उस पर हमला कर दिया, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गया था।

सिवनी में पहले भी हो चुके हैं बाघ के हमले

मार्च 2022 में सिवनी जिले के बरघाट प्रोजेक्ट अंतर्गत आने वाले वन क्षेत्र, और उसके अंतर्गत आने वाले ग्राम खापा सीतापार (मोहगांव) से लगे जंगलों में अलग-अलग टुकडों में एक व्यक्ति का शव मिला था। यह घटना भी बाघ के हमले से से हुई थी। ग्रामीणाों के अनुसार सीतापार निवासी रघुनाथ परते जंगल की ओर गाय चराने गया था। शाम को उसकी गाय तो घर वापस आ गई, लेकिन वह नही आया। जिसकी तलाश ग्रामीणों ने देर रात्रि तक की, लेकिन कोई पता नहीं चला। अगले दिन सुबह जब ग्रामीण जंगल में रघुनाथ परते को ढूंढ रहे थे इसी दौरान उन्हें अलग-अलग जगह में हाथ पैर सर मिले।

जब एक माँ ने बच्चे को बचाने के लिए बाघ से किया था संघर्ष

सितंबर 2022 में प्रदेश के उमरिया में टाइगर के जबड़े में दबे मासूम को बचाने के लिए बहादुर मां ने बाघ से संघर्ष किया था। यह घटना बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व की सीमा से लगे ग्राम रोहनिया की थी। गांव के भोला चौधरी की पत्नी अर्चना अपने 15 माह के बेटे को लेकर घर की बाड़ी में उसे टॉयलेट करवाने के लिए गई थी। वहां पर टाइगर पहले से मौजूद था। जैसे ही अर्चना अपने बेटे को लेकर पहुंची तो टाइगर ने हमला कर दिया। टाइगर ने बच्चे को जबड़े में दबा लिया। लेकिन माँ की हिम्मत के आगे बाघ को बच्चे को छोड़ कर भागना पड़ा था। हालांकि इस घटना में माँ बेटे घायल हो गए थे।

प्रदेश में छमता से अधिक हो चुके बाघ!

2022 में प्रदेश में बाघों की गणना के चरण पूरे हो गए हैं। इसमें मिले बाघ उपस्थिति के प्रमाण के आधार पर वन अधिकारी मान रहे हैं कि आंकड़ा 700 पार जा सकता है। प्रदेश के जंगलों में बाघ धारण की मौजूदा क्षमता भी लगभग इतनी ही है। अब प्रदेश में बाघों की संख्या बढ़ने की संभावना के चलते विभिन्न टाइगर रिजर्व के बीच कारिडोर बनाए जाने की जरूरत महसूस की जा रही है। प्रदेश में अब यदि कारिडोर विकसित नहीं किए गए तो आने वाले समय में बाघों के बीच संघर्ष बढ़ेगा, वे जंगल से बाहर निकलेंगे और उनकी मौत का ग्राफ भी बढ़ सकता। फिलहाल यह आंकड़ा अधिकृत नहीं है। यह संख्या सिर्फ अनुमानित है।

इस मामले में द मूकनायक से बातचीत करते हुए पर्यावरणविद इंद्रभान सिंह बुंदेला ने बताया है कि, बाघों की संख्या बढ़ती है तो उनका भ्रमण क्षेत्र भी बढ़ जाता है। बाघ ऐसा जानवर है जोकि सीमित क्षेत्र में रहना पसंद नहीं करता है। वह हमेशा अपने कॉरिडोर से आगे जाने का प्रयास करता है। जंगलों से सटे गांव में इन्हें बकरी, गाय जैसे जानवर भी शिकार के लिए मिल जाते हैं। भोजन की तलाश में गांव के आसपास में इनका संघर्ष इंसानों से हो जाता है।

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