नई दिल्ली। वातावरण में प्रदूषण का मुख्य कारण धुँआ है। शहरों में बसों, ट्रक, रिक्सा, स्कूटर और धुंआ छोड़ते बड़े प्लांट फैक्ट्री से दिन-प्रतिदन वायु प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। हवा की क्वालिटी भी खराब हो रही है। देश की राजधानी दिल्ली में खराब हवा से चिंता और भी बढ़ी हुई है। दिल्ली एनसीआर वायु की खराब गुणवत्ता को सुधारने के लिए वायु गुणवत्ता प्रबन्धन आयोग (Air quality management commission) ने इसी वर्ष 1 अक्टूबर से चिंहित स्थान और आने वाले वर्ष 2023 में दिल्ली और दिल्ली एनसीआर में कोयले के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने की तैयारी कर ली है।
द मूकनायक से बातचीत करते हुए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) के तकनीकी सदस्य डॉ. एनपी शुक्ला ने बताया कि, "कोयले के इस्तेमाल से जुड़ा एक निर्देश जारी किया है। सीएक्यूएम ने एक जनवरी, 2023 से पूरे दिल्ली-एनसीआर में कोयले के उपयोग पर पूरे तरीके से प्रतिबंध लगा दिया है। सीएक्यूएम का ये निर्देश लागू होने के बाद कोयले का औद्योगिक या घरेलू कार्य के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकेगा।" उन्होंने बताया कि, थर्मल पावर स्टेशनों को प्रतिबंध से छूट दी गई है। जिन क्षेत्रों में पीएनजी का बुनियादी ढांचा और आपूर्ति पहले से उपलब्ध है, उन क्षेत्रों में यह प्रतिबंध अगले महीने ही 1 अक्टूबर, 2022 से ही लगू हो जाएगा।
इसलिए कोयले पर लगाया गया है प्रतिबंध
द मूकनायक ने कोयले पर प्रतिबंध लगाने के इस निर्णय पर पड़ताल की। जिसमें सामने आया कि कोयला एनसीआर के औद्योगिक ईंधनों पर हावी हो चुका है। एनसीआर के औद्योगिक इकाइयों में सालाना लगभग 17 लाख टन कोयले की खपत होती है। जिसमें अकेले 6 प्रमुख औद्योगिक जिलों में लगभग 14 लाख टन कोयले का उपयोग किया जा रहा है। CAQM ने एनसीआर के वायु प्रदूषण को कंट्रोल करने और ईंधन के रूप में कोयले के उपयोग को समाप्त करने के लिए यह निर्णय लिया गया है।
तीन दिन पहले ही रोक सकेंगे पॉल्यूशन
वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के सदस्य डॉ. शुक्ला ने द मूकनायक को बताया कि, सर्दियों में दिल्ली और एनसीआर की हवा खराब हो जाती है। आयोग मौसम विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों के साथ मिलकर वायु की गुणवत्ता को सुधार करने के लिए कड़े कदम उठाएगा।
डॉ. शुक्ला के अनुसार, अब मौसम के पूर्वानुमान 3 दिन पहले ही वायु को खराब होने से रोकने के प्रयास किए जायंगे। ताकि हवा को पहले ही खराब होने से रोका जा सके।
सर्दियों में और भी ज्यादा खराब हो जाती है दिल्ली-एनसीआर की हवा
सर्दियां आते ही देश की राजधानी का दम और भी तेजी से घुटने लगता है। यानी सर्दियों के समय हवा की क्वालिटी और भी खराब हो जाती है। एक मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, दिल्ली की सर्दियों में प्रदूषण के स्तर को PM2.5 तक पहुंचाने में औद्योगिक क्षेत्र का योगदान 30 प्रतिशत या उससे कम होता है। इसमें से 14 प्रतिशत प्रदूषण कोयला, बायोमास, पेट-कोक और फर्नेस ऑयल का उपयोग करने वाले उद्योग फैलाते हैं, 8 प्रतिशत प्रदूषण ईंट भट्ठों द्वारा फैलाया जाता है, 6 प्रतिशत बिजली स्टेशनों और 2 प्रतिशत प्रदूषण स्टोन क्रशर फैक्ट्रियों द्वारा फैलाया जाता है। ये आंकड़ा साल 2018 के द एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट के एक अध्यन से मिलता है। उधर दिल्ली सरकार का कहना है कि दिल्ली की सभी 1,607 औद्योगिक इकाइयां अब पीएनजी पर चलने लगी हैं।
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