एक बार फिर मुकुन्दरा हिल्स होगा टाइगरों से आबाद, रणथम्भोर से टी-110 की शिफ्टिंग की कवायद शुरू

राजस्थान, मुकन्दरा हिल्स टाइगर रिजर्व (दर्रा) में 15 जुलाई 2003 को ट्रेन की चपेट में आने से टाइगर की मौत के बाद का नजारा (फाइल फोटो)
राजस्थान, मुकन्दरा हिल्स टाइगर रिजर्व (दर्रा) में 15 जुलाई 2003 को ट्रेन की चपेट में आने से टाइगर की मौत के बाद का नजारा (फाइल फोटो)
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टाइगरों की सुरक्षा की चुनौतियों के साथ रणथम्भोर से टी-110 की शिफ्टिंग की पहल हुई शुरू

जयपुर। रणथम्भोर टाइगर रिजर्व (Ranthambore Tiger Reserve) में बाघों के दबाव को कम करने व प्रदेश के अन्य टाइगर रिजर्व को बाघों से आबाद करने के मकसद से टी-113 को सरिस्का शिफ्ट करने के बाद अब टी-110 को रणथम्भोर से मुकन्दरा हिल्स टाइगर रिजर्व में शिफ्ट किया जाएगा। सूत्रों के अनुसार, वन विभाग की एक टीम बीते कई दिनों से 24 घण्टे फलोदी रेंज व आस-पास टी-110 की ट्रेकिंग में लगी है। जैसे ही यह टाइगर ट्रंकोलाइज के लिए सुरक्षित स्थान पर आएगा। इसे ट्रंकोलाइज कर शिफ्ट किया जाएगा। सूत्र बताते हैं कि, टाइगर शिफ्टिंग से पहले केवलादेव भरतपुर अभ्यारण्य से बड़ी संख्या में सांभर, हिरण व चीतलों को मुकुन्दरा शिफ्ट करने पर भी काम चल रहा है। टी-113 की शिफ्टिंग के बाद एक स्थानीय विधायक की नाराजगी से यह मामला सुर्खियों में रहा है। ऐसे में इस बार भी वन विभाग शिफ्टिंग को पूर्णतया गोपनीय ढंग से अंजाम देगा। अधिकारी शिफ्टिंग के सवाल पर बचते नजर आ रहे हैं।

मुकुन्दरा हिल्स टाइगर रिजर्व हाड़ौती क्षेत्र में राजस्थान का तीसरा बाघ संरक्षित क्षेत्र है। इससे पूर्व 1955 में इसे दर्रा वन्यजीव अभयारण्य दर्ज मिला। 2004 में मुकुंदरा हिल्स नेशनल पार्क व 2013 में एनटीसीए से मंजूरी मिलने के बाद मुकुन्दरा हिल्स टाइगर रिजर्व घोषित किया गया। मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व चार जिलों में फैला है। यह 759 वर्ग किमी का क्षेत्र में है। 417 वर्ग किमी का कोर एरिया व 342.82 वर्ग किमी में बफर जोन है।

वन्य जीव प्रेमी कोटा के मोड़क स्टेशन के रहने वाले अब्दुल खालिद बताते हैं कि, "मुकुन्दरा हिल्स कोटा, बूंदी, झालावाड़ व चित्तौड़गढ़ तक फैला है। चम्बल, काली सिन्ध, पार्वती, परवन जैसी बड़ी व छोटी नदियों व घने जंगलों से घिरा है। नदियों के किनारे ऊंचे पर्वत, घाटियां व बीहड़ जंगल तथा पहाड़ी मैदान व मुकुन्दरा हिल्स टाइगर रिजर्व की प्राकृतिक छटाओं की खूबसूरती में मुख्य पर्वत (दरा) चार चांद लगता है।"

मुकुन्दरा के वन

मुकुन्दरा हिल्स टाइगर रिजर्व के पहाड़ी इलाके, घाटियां व नदी-नाले यहां समृद्ध जैव-विविधता को बनाए रखते हैं। पर्यावरण की दृष्टि से यहां करोंदा, गुरजन, बहेड़ा, सालर, अमलतास, बांस, महुआ, बील, बबूल, जामुन, पीपल, बरगद, नीम, इमली, आम आदि के पेड़ इस वन क्षेत्र में प्रचुर मात्रा में है। धोक यहां के जंगलों में मिलने वाला मुख्य वृक्ष है। बारिश के दिनों में काले व सफेद धोक के पेड़ पहाड़ियों को हरियाली देते हैं। गर्मी के मौसम में पलाश व सेमल के फूलों के मनोमोहक नजारा बिखरते नजर आते हैं।

 टाइगर रिजर्व के बीच से निकलते रेल व राष्ट्रीय राजमार्ग वन्य जीवों के लिए काल

वन्यजीव सरंक्षण पर काम कर रही पथिक लोक सेवा समिति संस्थापक व सचिव मुकेश सीट ने द मूकनायक को बताया कि मुकुन्दरा हिल्स में दरा की सकड़ी पहाड़ियों के बीच से निकलता रेल व राष्ट्रीय राज मार्ग वन्यजीवों के किसी काल से कम नही है। दिल्ली – मुंबई रेलमार्ग होने से यह हर समय व्यस्त रहता है। राष्ट्रीय राज मार्ग से निकलते वाहन का शोर भी वन्य जीवों को विचलित करता है। ट्रेन 2003 में 'ब्रोकन टैल' टाइगर के अलावा 2017 में एक भालू, 2018 में एक पैंथर की मौत हो चुकी है। यहां अन्य वन्य जीव भी रेल पथ व सड़क मार्ग पर हादसे का शिकार होते रहे हैं।

सूत्रों की माने तो, वन्य जीवों को बचाने के लिए सुरंग बनाकर राष्ट्रीय राजमार्ग को डायवर्ट करने का काम शुरू कर दिया है, लेकिन रेल मार्ग का कोई विकल्प नहीं है।

मुकुन्दरा के वन्यजीव

बाघों के अलावा मुकुन्दरा अन्य वन्यजीवों के लिए भी जाना जाता है। यहां बघेरा, भेड़िया, लकड़बग्धा, सियार, लोमड़ी व जंगल कैट, भासलू व जंगली सुअर बहुतायत में पाए जाते हैं। इनके अलावा लंगूर, चीतल, सांभर, चिंकारा, नीलगाय व खरगोश काफी संख्या में हैं। यहां इन्हें हर मौसमों में आसानी से देखा जा सकता है।

बाघ संरक्षित क्षेत्र होने का सफर

वन्य जीव विशेषज्ञ बताते हैं कि, रणथम्भोर के बाद प्राकृतिक दृष्टिकोण से मुकुन्दरा हिल्स को बाघ सरंक्षण के लिए सुरक्षित माना गया है (रेल व सड़क मार्ग की वैकल्पिक व्यवस्था होने के बाद)। सर्वप्रथम यहां इलाके की खोज में रणथम्भोर से एक बाघ निकल कर लगभग 150 किलोमीटर का सफर तय कर दर्रा अभ्यारण्य पहुंचा था। 15 जुलाई 2003 को ट्रेन की चपेट में आने से इसकी मौत हो के बाद इसका खुलासा हुआ। पड़ताल में पता चला कि यह रणथम्भोर से 2002 में निकला बाघ 'ब्रोकन टेल' है। टाइगर सरंक्षण की सम्भावनाओं को देखते हुए राजस्थान सरकार ने 9 अप्रैल 2013 को अधिसूचना जारी कर मुकुन्दरा को बाघ सरंक्षित क्षेत्र घोषित किया।

राजस्थान, मुकुन्दरा हिल्स टाइगर रिजर्व में बना एनकोलजर
राजस्थान, मुकुन्दरा हिल्स टाइगर रिजर्व में बना एनकोलजर

मुकुन्दरा में बाघों कि वापसी

मुकुन्दरा हिल्स टाइगर रिजर्व में बाघों कि वापसी के लिए 2016 में राजस्थान के तात्कालिक मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक डॉ. जी. वी. रेड्डी के निर्देशन में योजना बनाई गई। एनटीसीए के निर्देशानुसार बाघों के पुनर्वास के लिए एनक्लोजर बनाया। दरा वन क्षेत्र को चारों तरफ 12 फुट कि दीवार से सुरक्षित किया गया। बाघ के शिकार के लिए लगभग 400 चीतल व अन्य वन्य जीव छोड़े गए। सबसे पहले रणथम्भोर से बाहर निकले बाघ टी-91 को 3 अप्रैल 2018 को मुकुन्दरा एनकोलजर में छोड़ा गया। यहां इसे एमटी-01 नाम दिया गया। इसके बाद रणथम्भोर कि चार बाघिनों टी -102, टी -104, टी -105 व टी -106 को मुकुन्दरा के लिए शॉर्टलिस्ट किया गया। ये वो बाघिनें थी जो अपना नया क्षेत्र बनाने की कोशिश कर रही थी। 4 में से टी -106 को पुनर्वास के लिए चुना गया, व 18 दिसम्बर 2018 को मुकुन्दरा लाया गया। इसका नाम MT-02 रखा गया। रणथम्भोर से निकला टी 98 स्वत ही मुकुन्दरा जा पहुंचा।

10 फ़रवरी 2019 को मुकुन्दरा के एनक्लोजर के बाहर फोटो ट्रेप कैमरे में कैद होने के बाद इसे एमटी-03 नाम दिया गया। 12 अप्रैल 2019 को रणथम्भोर की आमा घाटी से टी 83 को मुकुन्दरा लाया गया। यहां इसे एमटी-04 नाम मिला। 2 जून, 2020 को बाघिन MT-02 दो शावकों के साथ नजर आई। इससे वन विभाग व वन्यजीव प्रेमियों में खुशी देखी गई। कुछ दिनों बाद ही यहां एक एककर टाइगर या तो अन्यंत्र पुनर्वास के लिए चले गए या इनकी मौत हो गई। इसके पीछे कही न कही खराब मॉनेटरिंग को भी कारण माना गया। अब एक बार फिर वन विभाग मुकुन्दरा हिल्स टाइगर रिजर्व को बाघों से आबाद करने की जुगत में है।

"टी-110 को रणथम्भोर से मुकुन्दरा टाइगर हिल्स में शिफ्ट किया जाना है। हम निरन्तर जंगल मे टाइगर की ट्रेकिंग कर रहे हैं। फलोदी रेंज में टाइगर का मूवमेंट है। अभी यह चकमा दे रहा है। ये कभी-कभी नजर आने के बाद झाड़ियों में ओझल हो जाता हैं। जैसे ही सुरक्षित स्थान पर टारगेट में आएगा ट्रंकोलाइज कर नियमानुसार मुकुन्दरा में शिफ्ट कर दिया जाएगा।" सेडूराम यादव सीसीएफ रणथम्भोर ने कहा।

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