सांकेतिक चित्र.
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MP: क्या है 29 हजार पेड़ काटने का प्रस्ताव जिसके खिलाफ चिपको आंदोलन शुरू ?

राजधानी भोपाल में पेड़ों की कटाई को लेकर चिपको आंदोलन शुरू हुआ है। शिवाजीनगर, तुलसीनगर के 29 हजार पेड़ काटकर विधायक मंत्रियों के बंगले बनाए जाने के प्रस्ताव का विरोध।
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भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में हरियाली पर बड़ा संकट गहराया है। यहां मंत्री और विधायकों के बंगले बनाने के लिए करीब 29 हजार हरे भरे पेड़ों को काटा या शिफ्ट किया जाना है। इस प्रस्ताव की खबर मिलते ही कई संगठन विरोध कर रहे हैं। स्थानीय लोगों ने चिपको आंदोलन शुरू कर दिया है। बीते गुरुवार को शिवाजी नगर और तुलसीनगर में लगे पेड़ों से महिलाएं चिपक कर भावुक हो गईं।

महिलाओं का कहना है कि इन पेड़ों को बुज़ुर्गों ने लगाया है और उन्हें अपने बच्चों की तरह पाला है। सबसे ज़्यादा हरियाली पेड़ काटे जाने वाले दो क्षेत्रों तुलसीनगर और शिवाजी नगर शामिल हैं। सरकारी बंगले बनाने के लिए हरे भरे पेड़ों को काट देना गलत है।

भोपाल में चिपको आंदोलन.
भोपाल में चिपको आंदोलन.

इधर, शुक्रवार शाम को सोशल एक्टविस्ट उमाशंकर तिवारी ने नूतन कॉलेज के पास एक पेड़ से खुद को जंजीर-ताले से बांधकर प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा, "किसी भी हाल में अब भोपाल के पेड़ नहीं कटने देंगे। पर्यावरण की सुरक्षा हर एक नागरिक का फर्ज है। मंत्री विधायकों के लिए पेड़ों की बलि नहीं चढ़ाने दी जाएगी।"

वैज्ञानिकों के मुताबिक पर्यावरण जल वायु परिवर्तन, और ग्लोबल वार्मिंग बढ़ती जा रही है, जंगलों के काटने और कंक्रीट के जंगल खड़े होने के चलते इस बार तापमान शहरों में 50 डिग्री पर पहुंच रहा है। भोपाल में हजारों पेड़ों से घिरे शहरी इलाके से यहां का तापमान बैलेंस रहता है। लेकिन जब 29 हजार पेड़ों की कटाई होगी तो बैलेंस बिगड़ सकता है, भोपाल भी अन्य बड़े शहरों की तरह तपने लगेगा।

बताया जा रहा है मंत्रियों, विधायकों और अफसरों के लिए 3000 करोड़ रुपये की लागत से नए आवास और अपार्टमेंट बनाया जाना प्रस्तावित है। इसके चलते 30 हजार से लेकर 60 हजार तक 30 से 50 साल पुराने पेड़ों के काटे जाने की खबर है, जिसे लेकर आक्रोश फैला है।

सरकार की री-डेवलपमेंट स्कीम के तहत मंत्रियों, विधायकों और अफसरों के जिन मकानों को बनाने की चर्चा चल रही है, वह शिवाजी नगर तुलसी नगर इलाके में बनेंगे।

द मूकनायक से बातचीत में क्षेत्रीय पार्षद गुड्डू चौहान ने बताया कि इस क्षेत्र में पूर्व में हुई गिनती के मुताबिक 60 हजार से भी ज्यादा पेड़ हैं। इसके पहले स्मार्ट सिटी के नाम पर भोपाल के हज़ारों पेड़ काटे जा चुके हैं। हमारा मुख्यमंत्री से अनुरोध की अब ओर पेड़ नहीं काटे जाएं। स्मार्ट सिटी की जमीन पर मंत्री विधायकों के बंगले बनाएं जाएं।

झीलों की नगरी के नाम से मशहूर राजधानी भोपाल देश की चुनिंदा राजधानियों में से एक मानी जाती है जो तालाब झीलों और प्राकृतिक संपदा के लिए मशहूर है। प्रस्तावित योजना जिस इलाके में होना बताई जा रही है, वह 1970 के दशक में सुनियोजित ढंग से बसाए गए पेड़ों के बीच बने मकानों को तोड़कर ही पूरा की जा सकती है।

जाहिर है मकान टूटेंगे, तो पेड़ भी काटे जाएंगे। हालांकि, प्रदेश के मुखिया डॉ. मोहन यादव बताते हैं कि यह योजना आगे नहीं बढ़ी है, पर्यावरण को लेकर सरकार गंभीर है, पहले तो पेड़ काटे नहीं जाएंगे और जरूरत पड़ी तो उन्हें शिफ्ट किया जाएगा।

इस इलाके में सर्वाधिक हरियाली

हालांकि, पर्यावरण संरक्षक ने सरकार के पेड़ों को शिफ्ट करने के तर्क को भोपाल में हुए पुराने पेड़ों की शिफ्टिंग के उदाहरण को देते हुए सिरे से खारिज करते नजर आते हैं। पर्यावरणविदों के मुताबिक ये पेड़ भोपाल के लंग्स हैं, ये इलाका सबसे ज्यादा ग्रीनरी वाला है। पहले भी सरकार ने स्मार्ट सिटी के पेड़ों को कलियासोत इलाके में शिफ्ट किया था, लेकिन एक भी नहीं बचा। इन पेड़ों के काटने से हीट स्मोग बढ़ने से ओजोन पॉल्यूशन बढ़ेगा, जिससे तापमान भी बढ़ेगा।

द मूकनायक से बातचीत करते हुए, पर्यावरणविद सुभाष सी पांडे ने बताया कि एक सर्वे में सामने आया है कि बीते दस सालों में निर्माण कार्यों को लेकर जिस प्रकार पेड़ काटे गए हैं, उससे भोपाल की हरियाली में 30 फीसदी की कमी आई है। इसके साथ ही पिछले पांच वर्षों में इसमें 20 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है।

व्यापक स्तर पर पेड़ों की कटाई वाले नौ स्थानों पर 225 एकड़ हरित क्षेत्र के सफाए के बाद वहां कंक्रीट के जंगल बना दिए गए। इससे गर्मियों के दिनों में शहर में भीषण गर्मी पड़ती है। उन्होंने आगे कहा- "इस बार औसत तापमान पांच से सात डिग्री सेल्सियस बढ़ा है। शहर के पर्यावरण को सर्वाधिक नुकसान वर्ष 2014 से 2021 के बीच हुआ है। इसी समय लगभग 80 फीसदी पेड़ काटे गए। जबकि 20 फीसद पेड़ों की कटाई 2009 से 2013 के बीच हुई है।

प्रोफेसर राजचंद्रन की वर्ष 2016 की रिपोर्ट में प्रकाशित शोध, गूगल इमेजनरी और अन्य सरकारी आंकड़ों के विश्लेषण से कम हो रहे ग्रीन बेल्ट को समझ सकते हैं। इसके लिए शहर को 15 प्रमुख क्षेत्रों में बांटा गया और तीन सड़कों (बीआरटीएस होशंगाबाद रोड, कलियासोत डेम की ओर जाने वाली रोड एवं नार्थ टीटी नगर की स्मार्ट रोड) को सैंपल के रूप में लिया गया। इन सड़कों के पास मौजूद प्रमुख 11 इलाकों के 345 एकड़ क्षेत्र का विश्लेषण करने पर पता चला कि 10 वर्ष में यहां की हरियाली पूरी तरह से समाप्त कर दी गई है। सिर्फ 11 क्षेत्र में ही 50 साल पुराने 1.55 लाख से अधिक पेड़ काटे गए।

इन प्रोजेक्ट के लिए काट दिए हज़ारों पेड़

भोपाल तेजी से विकास कर रहा है। 10 सालों में ही कई बड़े प्रोजेक्ट बनाकर तैयार हुए। कुछ अभी भी चल रहे हैं। इन प्रोजेक्ट के लिए हजारों की संख्या में पेड़ों को काटा गया है। बता दें, स्मार्ट सिटी के निर्माण में 6 हजार, बीआरटीएस कारिडोर बनाने के लिए तीन हजार, विधायक आवास बनाने 1150 पेड़, सिंगारचोली सड़क निर्माण और चौड़ीकरण 1800 पेड़, हबीबगंज स्टेशन निर्माण 150, खटलापुरा से एमवीएम कालेज तक सड़क चौड़ीकरण दो सौ पेड़, भोपाल मेट्रो प्रोजेक्ट के लिए तीन हजार पेड़ और कोलार सिक्सलेन के लिए 800 पेड़ काट दिए गए।

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