एमपी: भोपाल की झीलों के अस्तित्व पर संकट, अतिक्रमणकारियों पर नहीं हो रही कार्रवाई!

भोपाल के सभी 13 तालाब, 58 कुएं-बावड़ियों के संरक्षण और पुनर्जीवन के अभियान की शुरुआत कर सीएम डॉ. यादव ने तालाब की सफाई कर किया श्रमदान, पर्यावरणविद ने कहा- "सिर्फ सफाई से तालाबों का संरक्षण मुमकिन नहीं, इसके लिए ठोस निर्णय लेने होंगे।"
भोपाल का बड़ा तालाब.
भोपाल का बड़ा तालाब.
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भोपाल। 'तालों में ताल भोपाल, बाकी सब तलैया..!' यह कहते हुए मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने अपने मंत्रियों के साथ राजधानी भोपाल के छोटे तालाब पर गुरुवार को श्रमदान किया। इसके साथ सीएम ने सभी 13 तालाब, 58 कुएं-बावड़ियों के संरक्षण और पुनर्जीवन के अभियान की शुरुआत भी की। लेकिन भोपाल के तालाब दिन-प्रतिदिन सिकुड़ रहे है। तालाबों के कैचमेंट पर सैकड़ों पक्के निर्माण हो चुके हैं, एनजीटी के निर्देश के बाद भी अबतक निगम और जिला प्रशासन कोई खास कार्रवाई नहीं कर सका। इससे साफ जाहिर है कि सरकार सिर्फ तालाबों को बचाने की बात करती है, लेकिन कार्रवाई नहीं!

झीलों की नगरी के नाम से मशहूर भोपाल शहर के तालाब अवैध अतिक्रमण के कारण सिकुड़ते जा रहे है। इनमें सबसे ज्यादा अतिक्रमण शहर के बड़ा तालाब पर बढ़ रहा है। आपको बता दें कि पहले से बड़े तालाब के कैचमेंट एरिया में अतिक्रमण था, लेकिन इन पर कार्रवाई के कुछ खास परिणाम सामने नहीं आए। अब तालाब के एक और कैचमेंट क्षेत्र में अतिक्रमण तेजी से बढ़ रहा है। मुख्यमंत्री ने छोटे तालाब पर श्रमदान कर सफाई अभियान चलाया, जल का महत्व भी बताया पर तलाबों को कब्जा मुक्त कराने को लेकर कुछ नहीं कहा, जबकि सबसे बड़ी समस्या तालाब के कैचमेंट पर बने अवैध कब्जों की है।

सीएम ने छोटे तालाब पर श्रमदान कर अभियान की शुरुआत की.
सीएम ने छोटे तालाब पर श्रमदान कर अभियान की शुरुआत की.

नगर निगम के झील संरक्षण प्रकोष्ठ पर भोपाल की सभी वाटर बॉडी की संरक्षण और निगरानी की जिम्मेदारी है, प्रकोष्ठ के अधिकारी लालघाटी, बैरागढ़ पर पुराने अतिक्रमणों की जांच कर चिन्हित करने का काम कर रहे हैं। तालाब के अन्य कैचमेंट एरिया में अतिक्रमण बढ़ रहा है। ग्राउंड पर मिली जानकारी के अनुसार नए स्थानों पर कब्जा कर फार्म हाउस और कालोनियों का निर्माण तेजी से किया जा रहा है।

जानकारी है कि नगर निगम को कब्जों की दर्जनों शिकायत मिलने के बाद भी अतिक्रमणकारियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हो रही है। जिससे यह साफ है कि अतिक्रमणकारियों से निगम अधिकारियों की मिलीभगत होने की वजह से अधिकारी यहां कार्रवाई नहीं करते हैं।

भोपाल के बड़े तालाब के कैचमेंट एरिया में पिलर कॉन्क्रीट के पक्के निर्माण किए जा रहे हैं, जिसके कारण बड़े तालाब के अस्तित्व पर खतरा बना हुआ है। बीते वर्षों में किए गए बड़े तालाब के सर्वे में नगर निगम के अधिकारियों ने भी माना था कि बड़े तालाब के कैचमेंट में एक हजार से अधिक स्थाई अतिक्रमण हो चुके है। निगम से मिली जानकारी के मुताबिक अतिक्रमणकारियों को नोटिस भेजे गए पर कार्रवाई नहीं की गई।

द मूकनायक प्रतिनिधि से बातचीत करते हुए, पर्यावरणविद डॉ. सुभाष सी पांडेय ने बताया कि तालाबों के संरक्षण के लिए चहुंमुखी प्रयास करने जरूरी हैं। सिर्फ सफाई करने से तालाब को संरक्षित नहीं किया जा सकता है। भोपाल के सभी तालाबों के अस्तित्व पर संकट है। बड़े तालाब के पानी की गुणवत्ता खराब हो रही है। तालाबों का संरक्षण प्राकृतिक तरीकों से होता है, जिसमें जलीय जीव जंतु, कैचमेंट और वेटलैंड सबकी अपनी भूमिका है। डॉ. पांडेय ने आगे कहा- "भोपाल के तालाबों पर सैकड़ों मामले हाई कोर्ट और एनजीटी में विचाराधीन है। कुछ पर निर्णय आ चुके है, सरकार आदेशों का पालन ही ठीक तरह से नहीं कर पाती है।"

कचरे की खंती में तब्दील हुए जल स्त्रोत!

वर्तमान में तीन बड़े जल स्रोतों को कोलार पंप लाइन,नर्मदा जल और बड़े तालाब के पानी से वाटर सप्लाई की जाती है पर एक दौर था जब भोपाल में कुआं और बावड़ियों से पानी सप्लाई होता था। कई बावड़ियां तो इतनी बड़ी थी कि एक बावड़ी से 50 हजार तक की आबादी में पानी सप्लाई की जाती थी, इनमें कुछ बावड़ी नवाबी काल की है, तो कुछ उससे भी ज्यादा पुरानी पर आज उनकी स्थिति भी खराब है। क्योंकि न अब इनमें पानी है और ना ही साफ-सफाई का कोई ध्यान रखा जा रहा है। कुछ बावड़ी और कुओं देखकर तो यह लगता है कि यह कोई जल स्रोत नहीं बल्कि किसी कचरे की खंती है।

भूजल स्तर पर भी संकट

भूजल के स्तर और पानी की उपलब्धता को लेकर अध्ययन करने वाली संस्था सेंट्रल वॉटर ग्राउंड बोर्ड की रिपोर्ट से यह पता चलता है कि भोपाल के तीनों क्षेत्र भोपाल अर्बन, फंदा और बेरसिया में इस वक्त ग्राउंड वाटर की स्थिति सेमी क्रिटिकल लेवल पर है। भोपाल के बेरसिया में 75.43 %,भोपाल अर्बन में 75.14% और फंदा में 83.45% है,कुल मिलाकर ग्राउंडवाटर एक्सट्रैक्शन का स्तर 78.3% है। अगर इस बारे में कदम नहीं उठाया गया तो यह आने वाले समय में चिंताजनक हो सकता है क्योंकि 90% से ऊपर लेवल जाने पर यह क्रिटिकल स्थिति में आ जाता है।

इन स्थानों पर बढ़ रहा अतिक्रमण

कैचमेंट एरिया में बढ़ते अतिक्रमण से तालाब के अस्तित्व पर खतरा दिन-प्रतिदिन बढ़ रहा है। बड़े तालाब की सीमा में आने वाले नाथू बरखेड़ा, वनट्री हिल्स से बैरागढ़, भदभदा से सूरज नगर और बिसनखेड़ी समेत अन्य स्थानों में बड़े-बड़े फार्म हाउस हैं। यहां पानी में ही 10 से 15 फीट ऊंचे पिलर खड़े कर दिए गए हैं, जबकि नियमानुसार कैचमेंट में पक्का निर्माण नहीं किया जा सकता है।

361 वर्ग किलोमीटर में है कैचमेंट एरिया

भोपाल शहर की लाइफ लाइन बड़े तालाब का जल भराव क्षेत्र 31 वर्ग किलोमीटर और कैचमेंट एरिया 361 वर्ग किलोमीटर है, लेकिन इसके कैचमेंट एरिया में दो दर्जन से अधिक अवैध शादी हाल संचालित हो रहे हैं। लोगों ने अतिक्रमण कर यहां पक्के गोदाम और फार्म हाउस बना लिए हैं।

इनमें शहर के रसूखदार और पॉलिटिकल लोगों के साथ सरकार के बड़े अधिकारियों ने भी कैचमेंट एरिया में अवैध कब्जा कर पक्के निर्माण कर लिए हैं। बड़ी और दमदार पैठ के कारण अब तक भोपाल नगर निगम भी नोटिस भेजने के अलावा कोई बड़ी कार्रवाई नहीं कर पाया है। जबकि तालाब का तकरीबन 26 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र खाली हो चुका है। आस-पास के लोगों के अलावा भू-माफियाओं ने भी मौके का फायदा उठाकर अवैध कब्जा कर अधिकांश हिस्से में खेती शुरू कर दी। वेटलैंड के बड़े हिस्से में कब्जा कर पक्के मकान बना लिए गए हैं।

तालाब और बावड़ियों के संरक्षण पर भोपाल नगर निगम के अध्यक्ष, किशन सूर्यवंशी ने कहा, "वैसे तो पूरे मध्य प्रदेश में को बावड़ी और सूखने हुए तालाबों को लेकर 5 जून से 15 जून तक विशेष अभियान चलाया जाएगा। हमारी कोशिश है कि इस अभियान की शुरुआत भोपाल से ही की जाए ताकि यहां के कुआं और बावड़ी को एक नया जीवन मिल सके।

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