मध्य प्रदेश: सिकुड़ रहा भोपाल का बड़ा तालाब, कैचमेंट एरिया के इन स्थानों में हो रहे अवैध कब्जे!

मध्य प्रदेश: सिकुड़ रहा भोपाल का बड़ा तालाब, कैचमेंट एरिया के इन स्थानों में हो रहे अवैध कब्जे!
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भोपाल। झीलों की नगरी के नाम से मशहूर मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल शहर के तालाब अवैध अतिक्रमण के कारण सिकुड़ते जा रहे हैं। इनमें सबसे ज्यादा अतिक्रमण शहर के बड़ा तालाब पर बढ़ रहा है। 

आपको बता दे की पहले से बड़े तालाब के कैचमेंट एरिया में अतिक्रमण था लेकिन इन पर कार्रवाई के कुछ खास परिणाम सामने नहीं आए। अब तालाब के एक और कैचमेंट क्षेत्र में अतिक्रमण तेजी से बढ़ रहा है। पढ़िए भोपाल के बड़े तालाब पर पड़ताल करती द मूकनायक की यह रिपोर्ट:

नगर निगम के झील संरक्षण प्रकोष्ठ पर भोपाल की सभी वाटर बॉडी की संरक्षण और निगरानी की जिम्मेदारी है। प्रकोष्ठ के अधिकारी लालघाटी, बैरागढ़ पर पुराने अतिक्रमणों की जांच कर चिन्हित करने का काम कर रहे हैं। जबकि तालाब के अन्य कैचमेंट एरिया में अतिक्रमण बढ़ रहा है। ग्राउंड पर मिली जानकारी के अनुसार नए स्थानों पर कब्जा कर फार्म हाउस और कालोनियों का निर्माण किया जा रहा है। इसके साथ ही इधर लेकव्यू एरिया में बोट क्लब के आगे निर्माणाधीन फ्लोटिंग रेस्टोरेंट के पास मिट्टी डालकर 15 हजार स्क्वायर फीट जमीन की पुराई कर दी गई है। 

जानकारी है कि नगर निगम को दर्जनों शिकायत मिलने के बाद भी अतिक्रमणकारियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हो रही है। जिससे यह साफ है कि अतिक्रमणकारियों से निगम अधिकारियों की मिलीभगत होने की वजह से अधिकारी यहां कार्रवाई नहीं करते हैं। भोपाल के बड़े तालाब के कैचमेंट एरिया में पिलर कॉन्क्रीट के पक्के निर्माण किए जा रहे हैं। जिसके कारण बड़े तालाब के अस्तित्व पर खतरा बना हुआ है। बीते वर्षों में किए गए बड़े तालाब के सर्वे में नगर निगम के अधिकारियों ने भी माना था कि बड़े तालाब के कैचमेंट में एक हजार से अधिक स्थाई अतिक्रमण हो चुके हैं। निगम से मिली जानकारी के मुताबिक अतिक्रमणकारियों को नोटिस भेजे गए पर कार्रवाई नहीं कि गई।

स्थानीय प्रशासन ने करीब दो वर्ष पहले एक सर्वे भी कराया था। जिसके मुताबिक बड़े तालाब के आसपास लगभग एक हजार से अधिक अतिक्रमण ट्रेस किए गए। कैचमेंट में हुए अवैध अस्थाई अतिक्रमण पर नगर निगम प्रशासन ने 980 लोगों को नोटिस भी जारी किए थे। आपको बता दे कि शहर में बैरागढ़, खानूगांव की तरफ बड़े तालाब पर सबसे ज्यादा अतिक्रमण है। यहां पर 523 लोगों को नोटिस जारी किए गए। लेकिन दो साल का समय बीतने के बाद भी निगम अमले ने अब तक एक भी अवैध निर्माण को लेकर कार्रवाई नहीं की है। फिलहाल इन्हीं इलाकों के कैचमेंट में लगातार अतिक्रमण बढ़ रहा है।

अब इन स्थानों पर बढ़ रहा अतिक्रमण

कैचमेंट एरिया में बढ़ते अतिक्रमण से तालाब के अस्तित्व पर खतरा दिन-प्रतिदिन बढ़ रहा है। बड़े तालाब की सीमा में आने वाले नाथू बरखेड़ा, वनट्री हिल्स से बैरागढ़, भदभदा से सूरज नगर और बिसनखेड़ी समेत अन्य स्थानों में बड़े-बड़े फार्म हाउस काटे जा रहे हैं। यहां पानी में ही 10 से 15 फीट ऊंचे पिलर खड़े कर दिए गए हैं। जबकि नियमानुसार कैचमेंट में पक्का निर्माण नहीं किया जा सकता।

361 वर्ग किलोमीटर में है कैचमेंट एरिया

भोपाल शहर की लाइफ लाइन बड़े तालाब का जल भराव क्षेत्र 31 वर्ग किलोमीटर और कैचमेंट एरिया 361 वर्ग किलोमीटर है, लेकिन इसके कैचमेंट एरिया में दो दर्जन से अधिक अवैध शादी हाल संचालित हो रहे हैं। लोगों ने अतिक्रमण कर यहां पक्के गोदाम और फार्म हाउस बना लिए हैं। इनमें शहर के रसूखदार और पॉलिटिकल लोगों के साथ सरकार के बड़े अधिकारियों ने भी कैचमेंट एरिया में अवैध कब्जा कर पक्के निर्माण कर लिए हैं। बड़ी और दमदार पैठ के कारण अब तक भोपाल नगर निगम भी नोटिस भेजने के अलावा कोई बड़ी कार्रवाई नहीं कर पाया है। जबकि तालाब का तकरीबन 26 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र खाली हो चुका है। आस-पास के लोगों के अलावा भू-माफियाओं ने भी मौके का फायदा उठाकर अवैध कब्जा कर अधिकांश हिस्से में खेती शुरू कर दी। वेटलैंड के बड़े हिस्से में कब्जा कर पक्के मकान बना लिए गए हैं।

इस मामले में द मूकनायक से बातचीत करते हुए नगर निगम के अतिक्रमण प्रभारी कमर साकिब ने बताया कि निगम अमला बड़े तालाब के आसपास कैचमेंट क्षेत्र में अवैध कब्जाधारियों के खिलाफ निरंतर कार्रवाई कर रहा है। उन्होंने बताया कि हम लगातार अभियान चलाकर प्रतिबंधित क्षेत्रों से अतिक्रमण हटा रहे हैं। कई जगह से पक्के निर्माण भी हटाए गए है। जिन्होंने बताया मार्च में तालाब के कैचमेंट एरिया में अवैध निर्माण कर रहे एक दर्जन से अधिक अतिक्रमणकारियों के खिलाफ कार्रवाई की गई है।

क्या है बड़े तालाब का इतिहास

एशिया की सबसे बड़ी कृत्रिम झील को चर्म रोग दूर करने के लिए बनाया गया था। डेढ़ हजार साल पहले राजा भोज ने इसे बनवाया था। भोपाल का सबसे बड़ा तालाब होने के कारण अब इसे बड़ा तालाब कहा जाता है। एक मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भोपाल के इतिहासकार सैयद अख्तर हुसैन बताते हैं, "लगभग 1450 साल पहले की बात है। धार राज्य के परमार राजा भोज को चर्म रोग था। उनके शरीर से मवाद और खून निकलता था। मरहम-पट्टी में भी उन्हें काफी तकलीफ होती थी। राजा भोज एक साधु से मिले। उन साधु के नाम का अब तक कहीं जिक्र नहीं पढ़ा गया है। उस साधु ने राजा भोज से कहा कि 9 नदी और 99 नालों के पानी को जमा करो और रोज नहाओ। उससे यह रोग दूर होगा। इस पर राजा ने अपने वजीर कल्याण सिंह को यह काम सौंपा। कल्याण सिंह अपने समय के महानतम आर्किटेक्ट थे।"

नदी खोदकर निकाला गया था पानी

हुसैन बताते है, "कल्याण सिंह ने तालाब बनवाने का काम शुरू किया। श्यामला हिल्स से लेकर मंडीदीप, दाहोद डैम, औबेदुल्लागंज, दिवटिया और भीमबैठका के पहाड़ों के बीच कई जल स्त्रोत थे। इन जलस्रोतों से पानी इकट्ठा किया गया, लेकिन नौ नदी की संख्या पूरी नहीं हो पा रही थी। फिर भदभदा के पास से एक नदी खोदी गई और उसे बेतवा से जोड़ा गया। इस नदी को कलियासोत नाम दिया गया। बेतवा नदी के जल स्त्रोतों को बेतवा से बड़े तालाब तक पहुंचाने के लिए भोजपुर में डैम बनाया गया। इसके साथ ही श्यामला हिल्स और फतेहगढ़ की पहाड़ी के बीच में कई फीट का गैप था। यहां भी पानी रोकने के लिए डैम बनाया गया, जिसे आज कमला पार्क के नाम से जाना जाता है। परमार वंश के राजा भोज यहां रोज नहाते थे, जिससे उनका चर्म रोग दूर हो गया।"

सबसे पहले नाम पड़ा भीम कुंड

तालाब के इतिहास को लेकर इतिहासकार सैयद अख्तर हुसैन बताते है, "भारतीय परंपरा में बड़े काम अपने पुरखों के नाम पर होते हैं। राजा भोज ने भी यही किया और सबसे पहले इसका नाम भीमकुंड रखा गया। कमला पार्क पर बने डैम की वजह से इसका नाम भोजपाल भी पड़ा."

चर्म रोग मिटाने वाले ये तत्व थे पानी में

9 नदी और 99 नालों के पानी से मिलकर बने इस मानव निर्मित तालाब के पानी ने राजा भोज का असाध्य चर्म रोग दूर कर दिया था। हुसैन बताते हैं कि उस समय इसके पानी में सल्फर, गंधक, जिंक ऑक्साइड, मृदा संघ सहित कई खनिज तत्व थे, जिस वजह से राजा का चर्म रोग ठीक हो गया था।

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