मध्य प्रदेश लगातार दूसरी बार बना टाइगर स्टेट, भोपाल के बाघ है ह्यूमन फ्रेंड्ली!

सबसे पहले 2006 में मध्य प्रदेश टाइगर स्टेट बना था। इसके बाद अब लगातार दो बार से मध्य प्रदेश को यह गौरवपूर्ण उपलब्धि हासिल हो रही है।
मध्य प्रदेश लगातार दूसरी बार बना टाइगर स्टेट, भोपाल के बाघ है ह्यूमन फ्रेंड्ली!
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भोपाल। मध्य प्रदेश लगातार दूसरी बार टाइगर स्टेट बना है। बाघों के आपसी संघर्ष और शिकार के बावजूद भी इनका कुनबा बढ़ा है। प्रदेशभर में वर्ष 2006 में सिर्फ 300 टाइगर थे, जो अब 785 हो गए हैं। यानी, 259 टाइगर बढ़ गए। ये आंकड़ा एमपी से सटे उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में मिले टाइगरों से भी दोगुना है। सबसे ज्यादा टाइगर प्रदेश के बांधवगढ़ नेशनल पार्क में है। यहां पिछली गणना में संख्या 124 थी, जो अब 165 तक पहुंच गई है। लगातार बाघों के बढ़ने से लगातार दूसरी बार एमपी को टाइगर स्टेट का तमगा मिल गया है।

मध्य प्रदेश के कान्हा नेशनल पार्क और सतपुड़ा टाइगर रिजर्व ने मैनेजमेंट इफेक्टिवनेस इवैल्यूशन में देश के टॉप 5 टाइगर रिजर्व में जगह बनाई है। गौरतलब है कि सबसे पहले 2006 में मध्य प्रदेश टाइगर स्टेट बना था। इसके बाद अब लगातार दो बार से मध्य प्रदेश को यह गौरवपूर्ण उपलब्धि हासिल हो रही है।

भोपाल के करीब 40 बाघ रहते है। जिनमें 22 बाघ इंसानी बस्तियों के आसपास रहते है। लेकिन पिछले 15 सालों में इन बाघों ने इंसानों पर एक भी हमला नहीं किया कई बार तो बाघ इंसानों के सामने आ जाते है और अपने रास्ते आगे बढ़ कर निकल जाते है। दरअसल एक शोध में पाया गया कि भोपाल के बाघ ह्यूमन फ्रेंडली हो चुके है। यह इंसानों मूवमेंट और वाहनों के गुजरात देख झाड़ियों में छिप जाते है, और रास्ता साफ होते ही बाहर आ जाते हैं। एक्सपर्ट बताते है ऐसा पहली बार देखा गया है। जिसमें जंगलों में रहने कब बावजूद भी बाघ में धैर्य है। और वह हमला नहीं कर रहे।

द मूकनायक से बातचीत करते हुए जिला वन अधिकारी आलोक पाठक ने बताया कि, वन विभाग लगातार बाघों के मूवमेंट पर नजर बनाए रखता हैं। ई-सर्विलांस के माध्यम से हर एक बाघ को चिंहित किया गया है। जिसके माध्यम से उनके लोकेशन की जानकारी रखी जाती है। 15 से ज्यादा टाइगर आस-पास के एरिया में मूवमेंट करते हैं, सर्विलांस कैमरे से भी उन पर नजर रखी जा रही है।

शहर के बीचों-बीच है नेशनल पार्क

वन विभाग और वन विहार नेशनल पार्क के अधिकारियों के मुताबिक वन विहार में 13 बाघ हैं। इन्हें मिलाकर भोपाल के आस-पास 40 से ज्यादा बाघ हैं। दरअसल बाघों के मामले में भोपाल में बीचों-बीच वन विहार नेशनल पार्क है। दूसरी तरफ आस-पास जंगलों में बाघों का बसेरा व मूवमेंट है।

इंसानों के आस-पास रहते टाइगर!

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल देश का पहला शहर माना जाता है, जहां 40 से ज्यादा टाइगर शहर के आस-पास चहल-कदमी करते हैं। भोपाल जिले का क्षेत्रफल 2772 वर्ग किलोमीटर है। भोपाल जिले का जनसंख्या घनत्व 855 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है। भोपाल के आस-पास के क्षेत्र में विन्ध्य पर्वतमाला आती है। 2011 के जनगणना के मुताबिक, भोपाल जिले और शहर की आबादी 1,798,218 है। यह आंकड़ें चाैंकाने वाले है। जहाँ इतनी घनी आबादी के आस-पास टाइगर सहजता से बसे है।

यहाँ है टाइगर मूवमेंट?

भोपाल शहर के कलियासोत, केरवा, समरधा, अमोनी और भानपुर के दायरे में 13 रिहायशी इलाकों के आस-पास टाइगर का मूवमेंट रहता है। खासकर बाघों के जन्म यहीं हुए हैं। बाघिन टी-123 का तो पूरा कुनबा ही यही हैं। पिछले कई बार भी भोज यूनिवर्सिटी में बाघ के मूवमेंट देखने को मिले हैं। इसके साथ ही पिछले साल से एक बाघ मैनिट परिसर में मूवेंट कर रहा है।

सीएम ने प्रदेशवासियों को दी बधाई

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट कर इस उपलब्धि पर प्रदेशवासियों को बधाई दी है। उन्होंने ट्वीट कर लिखा , 'अत्यंत गर्व और हर्ष की बात है कि विगत चार वर्षों में मध्यप्रदेश में बाघों की संख्या 526 से बढ़कर 785 हो गई है। सभी प्रदेशवासियों को हार्दिक बधाई। यह गौरवपूर्ण उपलब्धि वन विभाग के कर्मठ साथियों, वन्य जीव प्रेमियों और नागरिकों के योगदान से मिली है। मैं आप सबके सहयोग के लिए हृदय से आभार प्रकट करता हूँ। आइये, हम सब मिलकर 'अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस' पर भावी पीढ़ियों के लिए प्रकृति संरक्षण का पुनः संकल्प लें।'

ऐसे बढ़ी बाघों संख्या 

 वर्ष      संख्या

2006    300 

2010    257

2014    308

2018    526 

2022    785 (2022 के गढ़ना के अनुसार)

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