भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल शहर के पास सरकार ने 100 हेक्टेयर भूमि को जैव विविधता विरासत स्थल घोषित कर दिया है। जिसके लिए राज्य सरकार ने गजट नोटिफिकेशन भी जारी किया है। अब यहां किसी भी तरह का निर्माण नेशनल और स्टेट बायो डायवर्सिटी बोर्ड की मंजूरी के बिना नहीं किया जा सकेगा।
कलियासोत डेम के नजदीक चंदनपुरा और दामखेड़ा गांव की लगभग 100 हेक्टेयर में फैली हरी-भरी पहाड़ियों को प्रदेश सरकार ने जैव विविधता विरासत स्थल घोषित किया है। यह खूबसूरत पहाड़ियां वर्तमान में जल एवं भूमि प्रबंध संस्थान (वाल्मी) कैंपस का हिस्सा है। यह संस्थान राज्य सरकार के पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अधीन आता है।
मध्य प्रदेश वन विभाग ने विश्व प्रकृति दिवस से ठीक एक दिन पहले शनिवार को वाल्मी कैंपस के भीतर 98.791 हेक्टेयर भू-भाग को जैव विविधता विरासत स्थल के रूप में गजट नोटिफिकेशन जारी कर दिया।अब इस क्षेत्र में बायो डायवर्सिटी बोर्ड की मंजूरी के बिना कोई निर्माण नहीं होगा।
बता दें, इंदौर के सिरपुर तालाब और भोपाल के वाल्मी को मिलाकर अब प्रदेश में जैव विविधता विरासत स्थलों की संख्या पांच हो गई है। इससे पहले छिंदवाड़ा का पातालकोट, अमरकंटक व सतना की नरो हिल्स जैव विविधता विरासत स्थल घोषित हो चुके हैं।
भोपाल में जैव विविधता विरासत स्थल क्यों?
राज्य सरकार की ओर से जारी नोटिफिकेशन के मुताबिक भोपाल के वाल्मी परिसर की पहाड़ियों पर 151 प्रकार के जीव-जंतुओं की प्रजातियां पाई जाती हैं। इनमें 29 सरीसृप, 7 उभयचर, 14 स्क्वामाटा, 13 स्तनधारी, 71 पक्षीवृंद और 15 प्रकार की तितलियां हैं। यहां पेड़-पौधों की 171 किस्में हैं। इनमें 53 औषधीय महत्व की हैं, जबकि 8 दुर्लभ किस्म के पौधे भी यहां मौजूद हैं। इसके साथ अन्य तरह के पौधे, घास भी है।
कलियासोत बांध के तट पर मौजूद होने के कारण ये पहाड़ियां पारिस्थितिक दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण हैं और इन्हें संरक्षित किया जाना बहुत ही जरूरी है। इसलिए जैव विविधता अधिनियम 2002 की धारा 37 (1) और मध्य प्रदेश जैव विविधता नियम 2004 के नियम 22(1) के तहत राज्य सरकार ने मध्य प्रदेश जैव विविधता बोर्ड के परामर्श से भोपाल के वाल्मी परिसर को जैव विविधता विरासत स्थल के रूप में अधिसूचित किया है।
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