नई दिल्ली। आजकल हर दूसरे इंसान को कोई न कोई स्वास्थ्य संबंधी समस्या होती ही है। इसके कई कारण हो सकते हैं। जिसमें शहरी लोगों के लाइफ स्टाइल से लेकर क्लामेंट चेंज के कारण बेमौसस होने वाला बदलाव एक मुख्य कारक है।
दिल्ली में गुलाबी ठंड में मौसम और दीवाली के बाद होने वाले प्रदूषण के कारण लोगों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इस साल दीवाली के बाद उत्तर भारत में बढ़े प्रदूषण के कारण लोगों को सांस संबंधी कई तरह की बीमारियों से जूझना पड़ा। प्रदूषण को कम करने के लिए हर साल शहर में पानी का छिड़काव किया जाता है। इसके साथ ही कई तरह के वाहनों पर प्रतिबंध लगाया जाता है।
स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए लोग अब साइकिल का सहारा ले रहे हैं। प्रदूषण ने शहर के लोगों को किस तरह से प्रभावित किया है, इसके बारे में द मूकनायक ने फिटनेस ट्रेनर विकास परमार से बात की। उन्होंने बताया कि, आज की भागदौड भरी दुनिया में लोगों का स्ट्रैस (तनाव) की समस्या सबसे ज्यादा है। ऐसे में साइकिलिंग करने से स्ट्रैस लेवल कम हो जाता है। इसके साथ ही सारा दिन ऑफिस में काम करने के बाद कई लोगों की मांसपेशियां एकदम जकड़ जाती है। ऐसे में साइकिल चलाने से मांसपेशियां एकदम नरम रहती हैं। इसके साथ ही स्टेमिना भी मजबूत रहता है। इसलिए जिम में भी लोगों को पैदल चलने और साइकिलिंग की सलाह दी जाती है।
लगातार बढ़ती स्वास्थ समस्या को देखते हुए कई लोगों ने पैदल चलना और साइकिलिंग को अपने जीवन का अभिन्न हिस्सा बना लिया है। ताकि स्वास्थ्य और निरोग रहें। मिस्त्र में चल रही कॉप 27 समिट में पेश के किए गए सर्वे के अनुसार 64 प्रतिशत लोग पैदल और साईकिल की सवारी करने वालों के लिए सड़कों पर अतिरिक्त जगह की मांग कर रहे हैं।
इसके साथ ही 58% भारतीयों का मानना है कि प्राकृति को नुकसान पहुंचाने वाली फ्लाइट और डीजल वाहनों पर ज्यादा टैक्ट वसूलना चाहिए ताकि लोग इसका इस्तेमाल कम करें और पर्यावण को स्वास्थ्य बनाएं। साथ ही 57 प्रतिशत लोगों का सुझाव है कि शहर के मध्य वाले क्षेत्र में डीजल, पेट्रोल और गैस से चलनी वाली गाड़ियां प्रतिबंधित कर देनी चाहिए।
जनता खुद कर रही है बदलाव
अपने स्वास्थ्य तक ध्यान रखते हुए जनता स्वयं जागरुक हो रही है। मार्केट रिसर्च फर्म इप्सोस के ताजा सर्वे के अनुसार क्लाइमेंट का पड़ते बुरे प्रभाव से निपटने के लिए शहर के लोगों ने नीतिगत बदलाव का समर्थन किया है। जिसके अनुसार 69 फीसदी लोग भारतीय पर्यावरण अनुकूल उत्पादों और सेवाओं में निवेश को प्रोत्साहन देने के पक्ष में हैं। वहीं 10 में हर सात लोग प्राकृति को स्वास्थय बनने के लिए टेक्नोलॉजी के रुप में सोलर पैनल, इलेक्ट्रिक व्हीकल आदि को सस्ता बनाने के लिए सरकार द्वारा सब्सिडी बढ़ाने का समर्थन कर रहे हैं। यह क्लाइमेंट चेंज के कारण आते बदलाव से जूझते शहरी लोगों पर किया गया सर्वे है जिसमें लोग पर्यावरण के अनुकूल उत्पादों का प्रयोग और करना चाहते हैं।
साइकिल की बिक्री में बढ़ोतरी
स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए साइकिलिंग पर सबसे ज्यादा लोगों ने जोर दिया है। आज के दौर में कई लोग साइकिल का सहारा ले रहे हैं। जिसके कारण प्रतिवर्ष साइकिल की बिक्री में भी बढ़ोतरी हुई है। ऑल इंडिया साइकिल मैन्युफैक्चरिंग एसोशिएशन की रिपोर्ट के अनुसार साल 2020-21 में प्रीमियम साइकिल की बिक्री में 13 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। यह बढ़ोतरी दर्शाती है कि आज के सुविधाजनक साधनों के बीच लोग अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखते हुए साइकिल का इस्तेमाल कर रहे हैं ताकि तंदरुस्त रहें। वहीं अगर साइकिल उत्पादन की बात करें तो साल 2021 में देश में 1.45 करोड़ साइकिलों का उत्पादन किया गया जिसमें से 1.2 करोड़ की बिक्री हुई है।
जरुरत से ज्यादा साइकिल न चलाएं
वहीं डॉ. विवेक अग्रावल का कहना है साइकिलिंग हमारे शरीर के साथ-साथ हार्ट के लिए भी फायदेमंद हैं। उसे नियमित रुप से किया जाए। उनका कहना है कि "स्वास्थ्य के हिसाब से देखा जाए तो 20 से 30 मिनट तक की गई साइकिलिंग सेहत के लिए लाभदायक है। लेकिन हम इससे आगे चलाते हैं या एक बार में ही लंबी दूरी तय कर लेते हैं तो इसका बुरा असर भी हमारे शरीर पर पड़ता है। इसलिए जरुरी है कि साइकिलिंग का समय धीरे-धीरे बढ़ाया जाए ताकि शरीर को जितनी जरुरत हो उतना बैलेंस बना रहे।"
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