भोपाल। मध्य प्रदेश में मूसलाधार बारिश के कारण हड़कम्प मचा हुआ है। इस हड़कम्प का एहसास प्रशासन से लेकर सरकार पर आसानी से दिखाई पड़ रहा है। कुछ दिनों पहले ही प्रदेश के धार जिले में स्थित कारम नदी पर बना बांध टूट गया था। बांध का 20 प्रतिशत का हिस्सा तेज बारिश के कारण बह गया था। जिसके बाद आस-पास के सैकड़ों गाँव के लोग प्रभावित हैं। खेतों में तेज बहाव से घुसे पानी ने फसलों को बर्बाद कर दिया था। हालांकि, पिछले 24 घंटों से प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में हो रही बारिश से नदी किनारे बसे गांवों को खतरा बना हुआ है।
प्रदेश में टूट चुका है बांध
मध्यप्रदेश में पिछले 14 अगस्त को धार जिले में स्थित कारम नदी पर बना बांध टूट गया था। बताया गया कि देर रात से लगातार बांध में पानी का रिसाव हो रहा था और इसे टूटने से रोकने के लिए बड़े स्तर पर काम भी चल रहा था। धार जिले के इस बांध में जहां पर कटान था उसके पास से मिट्टी का कटाव तेजी से बढ़ रहा था और देखते ही देखते लगभग 20 प्रतिशत हिस्सा ढह चुका था।
बांध और नदी के रास्ते पर पड़ने वाले आसपास के गांव खाली करा दिए गए थे। इस पूरे ऑपरेशन के दौरान 8 एमक्यूएम पानी रिलीज हुआ है। सरकार के तीन मंत्री, SDRF व NDRF पुलिस व प्रशासन का अमला मौके पर मौजूद रहा था। अगले दिन नुकसान के जायजा के लिए हवाई सर्वे करवाया गया था।
भोपाल-जबलपुर हाइवे धंसा, घटिया निर्माण का आरोप
भोपाल-जबलपुर हाईवे पर मंडीदीप इंडस्ट्रीज एरिया के पास कलियासोत नदी पर पुल बना है। पिछले महीने जुलाई में दो दिन से कलियासोत डैम के गेट खोले गए थे, बड़ी मात्रा में पानी छोड़ा जा रहा था। जिसके कारण पुल का एक हिस्सा ढह गया था। प्रशासन ने मण्डीदीप से मिसरोद के बीच पुल धंसने के चलते एक तरफ से रास्ता बंद कर दिया था। यह सड़क सीडीएस कंपनी ने एक साल पहले ही बनाई थी। इससे 559 करोड़ रुपये के हाईवे के निर्माण पर सवाल खड़े हो गए है। इस मामले में कांग्रेस ने प्रदेश की बीजेपी सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। मध्यप्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष अजय सिंह यादव ने कहा था कि, "मंडीदीप में NH-12 पर कलियासोत नदी पर बने पुल का धंसना भाजपा के भ्रष्टाचार तंत्र की कलई खोलता है। भ्रष्टाचार से पुल का निर्माण किया गया। कोई जनहानि नहीं हुई है, लेकिन सरकार के भ्रष्टाचार की पोल खुल गई है।"
पिछले वर्ष बाढ़ से डूब गए थे पुल
पिछले साल भी मध्यप्रदेश के ग्वालियर-चंबल संभाग में बाढ़ ने कहर बरपा दिया था। बांधों के गेट खोलने से सिंध और सीप नदी का ऐसा रौद्र रूप सामने आया कि 6 पुलों को भारी नुकसान हुआ था। सिंध नदी पर बने 5 पुल दो दिन में ढह गए। इन पुलों का निर्माण 5 से 11 साल पहले हुआ था। इसके अलावा दो पुल ऐसे हैं, जिनका रिकॉर्ड ही उपलब्ध नहीं है। इनका निर्माण 39 और 35 साल पहले हुआ था। उस वक्त लोक निर्माण विभाग के मंत्री ने इसकी जांच कराने के निर्देश दिए थे।
33 करोड़ के पुल बह गए
मंत्रालय सूत्रों के अनुसार, बाढ़ में बहे और क्षतिग्रस्त 4 पुलों की निर्माण लागत 33.55 करोड़ रुपए था। सिंध नदी के तेज पानी में गोराघाट के नजदीक लांच का पुल और रतनगढ़ वाली माता मंदिर का पुल टूट गए। जिसके एक दिन बाद ही दतिया जिले में सिंध नदी पर बना सेंवढ़ा पुल बह गया और इंदुर्खी पुल क्षतिग्रस्त हुआ है। इसके अलावा, नरवर-ग्वालियर को जोड़ने वाले पुल का एक हिस्सा बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया। इसी तरह, सीप नदी पर बने श्योपुर- मानपुर और श्योपुर-बडोदा मार्ग के 2 पुल बाढ़ में क्षतिग्रस्त हो गए थे।
PWD मंत्री ने कहां, जांच कराएंगे
मध्यप्रदेश में भारी बारिश के कारण हुआ बांधों और पुलों को नुकसान को लेकर द मूकनायक ने मध्यप्रदेश के लोक निर्माण विभाग मंत्री गोपाल भार्गव से बातचीत की। उन्होंने बताया, "बांधों की छमता से अत्याधिक बारिश होने के कारण यह स्थिति निर्मित हुई है। हमने पिछले साल भी हुए नुकसान की जांच कराई थी। जिसमें पुल के डिजाइन को लेकर खामियां पाई गईं थी। जिस पर हमनें कार्रवाई की थी। फिलहाल वर्तमान में क्या स्थितियां है। इसकी जांच कराई जा रही है।"
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