उत्तर प्रदेश। भारत में एक समय लगभग विलुप्त हो चुके पक्षी के संरक्षण के लिए यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सारस को राज्य का राजकीय पक्षी घोषित कर दिया था। वर्ष 2000 में भारत में सिर्फ 4 सारस पक्षी ही शेष बचे थे। अब इनकी संख्या पहले से बढ़ी है। इसी बीच यूपी के अमेठी के जिले से एक अनोखा मामला सामने आया है। विलुप्त हो चुका पक्षी सारस एक व्यक्ति का दोस्त बन गया है। दोस्ती इतनी मजबूत है कि यह सारस उस व्यक्ति को छोड़कर जाने को तैयार ही नहीं है। ऐसा भी नहीं है कि व्यक्ति ने उसे बन्धक बनाया हो। सारस पूरी तरह खुला आजाद रहता है इसके बावजूद वह व्यक्ति के साथ ही रहता है। कारण सिर्फ इतना है कि आरिफ ने उस सारस की जान एक साल पहले बचाई थी। तब से यह पक्षी उस व्यक्ति को ही अपना सबकुछ मान बैठा है।
सारस और उस व्यक्ति की फोटो और वीडियो सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बना हुआ है। इस मामले में नवाब वाजिद अली शाह प्राणी उद्यान संरक्षक और निदेशक का कहना है वन्य प्राणी को कोई भी अपने पास नहीं रख सकता है। वहीं इस मामले में प्राणी उद्यान के मुख्य चिकित्सक डॉ. उत्कर्ष शुक्ला का कहना है कि यदि कोई पक्षी या जीव स्वेच्छा से रह रहा है, तो इसमें कोई आपत्ति नहीं है। बशर्ते उसे बन्धक न बनाया जाए। बन्धक बनाना अपराध की श्रेणी में आता है।
यूपी में अमेठी जिले की गौरीगंज तहसील के जामो विकास खण्ड के मंडका गांव में किसान मोहम्मद आरिफ अपने माता-पिता और पूरे परिवार के साथ रहते हैं। आरिफ छोटे से किसान हैं। वह पेशे से खुद की हार्वेस्टर मशीन चलाने और खेती का काम करते हैं।
आरिफ द मूकनायक को बताते हैं, "अगस्त 2022 को मैं घर से 500 मीटर दूरी पर खेत में काम करने गया हुआ था। तब खेत में फसलों के बीच एक बड़े पक्षी को घायल स्थिति में पड़ा हुआ देखा था। पहले मैं भी उसकी बड़ी चोंच और आकार को देखकर डर रहा था। जब मैं उसके पास गया तो उसकी दाहिनी टांग टूटी हुई थी। उससे खून बह रहा था। किसी सियार, लोमड़ी जैसे जंगली जानवर के द्वारा काटे जाने के निशान थे। मैं उसे हिम्मत करके घर ले आया। मेरे पिता पहले उस बढ़े पक्षी को देखकर नाराज हुए और दूर जंगल में छोड़कर आने को कहा। मैंने उनसे उसके सही हो जाने तक रखने के लिए कहा। पहले तो पिता नहीं माने बाद में वह राजी हो गए।"
आरिफ आगे बताते हैं, "मैने उसके पैर में खपची (बांस से बना प्लास्टर) बांधकर उसमें देशी दवा और बूटियां लगाई। कुछ महीने तक ईलाज के बाद वह सही हो गया। जब वह पूरी तरह खड़ा होने लगा तब मैंने उसे दोबारा उड़ाने के लिए कोशिश की। कुछ समय तक वह नहीं उड़ पा रहा था। बाद में वह दोबारा उड़ना सीख गया।"
"जब सारस का ईलाज चल रहा था तब वह हमेशा मेरे साथ ही रहता था। मैं सब्जी रोटी खाता हूं तो वह मेरे साथ ही खाना खाता। धीरे-2 वह मेरी थाली में ही आकर साथ खाना खाने लगा। यह पक्षी सारी हरी सब्जियां और फल खाता है। यह पक्षी कच्चा अनाज जैसे गेंहू, चावल, मटर, मूंगफली और चना भी खाता है, "आरिफ़ ने बताया।
आरिफ और उनके परिजनों को उम्मीद थी कि सारस ठीक होने के बाद उड़ जाएगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ। आरिफ की सेवा ने सारस पक्षी का ऐसा दिल मोह लिया। वह उनके घर के पास ही रहने लगा। तब से लेकर अब तक आरिफ का परिवार ही सारस का परिवार बन गया है और सारस उस परिवार का एक हिस्सा है। जहां आरिफ जाते हैं यह सारस उनके साथ-साथ जाता है। वह बाईक से जब दूर जाते हैं तो सारस सर के ऊपर उड़ता हुआ साथ चलता है। बाजार में दुकान पर सामान खरीदते हैं तो सारस बगल खड़ा रहता है। ऐसा देखकर लोगों को आश्चर्य भी होता है लेकिन धीरे-धीरे सभी इस दोस्ती से वाकिफ हो रहे हैं। आरिफ के साथ ही सारस उनके माता-पिता, पत्नी और बच्चों से भी घुला मिला है।
आरिफ बताते है, जब यह पक्षी सही हुआ और मेरे साथ गांव में घूमने लगा तो गांव के लोगों को ऐतराज होने लगा। लोग सारस को मेरे साथ देखकर अक्सर नाराज हो जाते थे। वह कहते थे -"यह पक्षी बड़ा है और खतरनाक है। यह किसी पर हमला कर सकता है। बच्चों को नुकसान पहुंचा सकता है। पक्षी किसी की आंखे भी फोड़ सकता है।"
सारस उड़ने वाले पक्षियों में सबसे बड़ा पक्षी है। नर और मादा सारस जोड़े में रहकर अपना कुनबा बनाते हैं। इनके बीच में अटूट प्रेम होता है, अगर जोड़े में किसी एक सारस की किसी कारण से मौत हो जाती है, तो दूसरा सारस भी दम तोड़ देता है। सारस तालाब, पोखर और झीलों के किनारे की दलदली जमीन के साथ कृषि योग्य भूमि को अपना बसेरा बनाते हैं और खेतों के कीड़े-मकोड़े से अपना भोजन करते है। इन्हें किसानों का मित्र भी माना जाता है। किसानों का मित्र माना जाने वाले सारस का वजन औसतन 12 किग्रा, लम्बाई 1.6 मीटर तथा जीवनकाल 35 से 80 वर्ष तक होता है। सारस वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 की अनूसूची में दर्ज हैं। देश में सारस की 6 प्रजातियां हैं, इनमें से 3 प्रजातियां इंडियन सारस क्रेन, डिमोसिल क्रेन व कामन क्रेन है। एक रिपोर्ट के मुताबिक अवैध शिकार के कारण भारत में सारस विलुप्त होने के कगार पर हैं। 2000 में भारत में सारस की केवल 4 जोड़ी बची थी।
उत्तर प्रदेश में पहले सारस की नियमित गणना नहीं होती थी। वन विभाग ने वर्ष 2012 से साल में दो बार सारस की गणना शुरू की। गणना के लिए समय निश्चित होता है और एक ही समय में पूरे प्रदेश में गणना की जाती है। कोरोना काल में वर्ष 2020 में गणना नहीं हो सकी थी। कोरोना संक्रमण कम होने के बाद वर्ष 2021 में सारस की गणना फिर शुरू हुई। दिसंबर 2021 की गणना में उत्तर प्रदेश में 17,665 सारस मिले जबकि जून 2021 की गणना में इनकी संख्या 17329 थी। यानी छह महीने में 336 सारस बढ़ गए। उत्तर प्रदेश के कुल 81 वन प्रभागों में से 17 में सारस की संख्या शून्य मिली है। 20 वन प्रभाग ऐसे हैं जिनमें सारस की संख्या पिछले बार से घटी है। एटा में सर्वाधिक कमी देखने को मिली है। यहां पिछली गणना में 1155 सारस मिले थे जबकि दिसंबर 2021 की गणना में 634 सारस ही मिले थे।
इटावा- 3293
औरैया- 3293
मैनपुरी- 2737
शाजहांपुर- 1606
फर्रुखाबाद- 772
हरदोई- 690
सिद्धार्थनगर- 592
उन्नाव- 533
कानपुर देहात- 520
2012- 11275
2013- 11977
2014- 12566
2015- 13332
2016- 14389
2017- 15110
2018- 15938
2019- 17586
2021- 17665
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