हसदेव आंदोलन: “वे धरना स्थल को जला सकते हैं लेकिन हमारे विचारों को नहीं”- रामलाल करियाम

हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति से जुड़े रामलाल करियाम ‘द मूकनायक’ से बात करते हुए कहते हैं, “जब पूरा देश होली का जश्न मना रहा था तो हसदेव अरण्य में अधिकारों की मांग कर रहे लोगों का धरना स्थल जला दिया गया। ऐसे कुकृत्य अति निंदनीय हैं।"
जला हुआ धरना स्थल और टेंट।
जला हुआ धरना स्थल और टेंट। सौम्या राज।
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सरगुजा। छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले में चल रहे हसदेव आंदोलन के धरना स्थल को बीते रविवार की रात में आग के हवाले कर दिया गया। जिससे धरना स्थल पर बांस से बने झोपड़ीनुमा टेंट का अधिकांश हिस्सा जल गया। ‘हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति’ से जुड़े लोगों ने आरोप लगाया है कि उनके धरना स्थल को कंपनी के इशारों पर जलाया गया है। समिति ने इसे लेकर प्रशासन और अडानी कंपनी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की है।

जिस जगह पर धरना प्रदर्शन के लिए समिति की ओर से बनाए गए टेंट को जलाया गया है उससे कुछ ही दूरी पर बीते दिसंबर माह में बड़ी संख्या में पेड़ काटे गए थे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़, 21 दिसंबर 2023 को रात के समय छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले की उदयपुर तहसील में पड़ने वाले हसदेव अरण्य के उस हिस्से में पेड़ों की कटाई शुरू की गई, जहाँ परसा ईस्ट केते बासेन कोल परियोजना प्रस्तावित है। इस दौरान यहां के गांव घाट बर्रा के पेंड्रामार जंगल को पूरी तरह से काट दिया गया। ‘हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति’ के बैनर तले स्थानीय लोग इन्हीं पेड़ों की कटाई के विरोध में धरना प्रदर्शन कर रहे हैं।

हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति से जुड़े रामलाल करियाम ‘द मूकनायक’ से बात करते हुए कहते हैं, “जब पूरा देश होली का जश्न मना रहा था तो हसदेव अरण्य में अधिकारों की मांग कर रहे लोगों का धरना स्थल जला दिया गया। ऐसे कुकृत्य अति निंदनीय हैं। हमने पुलिस से इसकी शिकायत की है, अभी जाँच चल रही है।”

रामलाल करियाम.
रामलाल करियाम.सौम्या राज।

जब रात में सब लोग सो रहे थे तब टेंट में लगाई गई आग

करियाम आगे कहते हैं, “धरना स्थल पर 37 गांव के लोग आकर बैठते थे। जिसे कंपनी द्वारा षड्यंत्र करके जला दिया गया है। पहले यहां बड़ी संख्या में लोग बैठते थे। लेकिन चुनाव की तारीखों के ऐलान होने के बाद से ही हमलोगों ने आचार संहिता का पूरा ध्यान रखते हुए वहाँ बैठना बंद कर दिया। इसके बाद भी हमारे धरना स्थल को खत्म किया जा रहा है।”

आग लगाने पर सवाल उठाते हुए करियाम कहते हैं, “रात में सब लोग सो रहे थे तब हमारे धरना स्थल के टेंट में आग लगाई गई। गांव में धरना स्थल को जलाए जाने को लेकर तरह-तरह की आशंकाएं जताई जा रही है। रात के अंधेरे में ऐसा काम कौन कर सकता है? कोई क्यों जलाएगा? जलाने वाला तो वही हो सकता है जिसने हसदेव अरण्य को उजाड़ने की साजिश रची है।”

“वे धरना स्थल को जला सकते हैं लेकिन हमारे विचारों को नहीं जला सकते”

करियाम कहते हैं, “अभी यहाँ अचार संहिता लगा हुआ है इसलिए हम शांत हैं। हम संविधान का उल्लंघन नहीं करेंगे लेकिन चुनाव के बाद आंदोलन और तेज होगा। वे हमारे धरना स्थल को जला सकते हैं लेकिन हमारे विचारों को नहीं जला सकते।”

“हमें न्याय देने की बजाय हमारे ऊपर और ज्यादा जुल्म किया जा रहा है”

आगे वह अपने उद्देश्य को स्पष्ट करते हुए बताते हैं, “हमारी लड़ाई, हमारा आंदोलन, हमारा संघर्ष प्रशासनिक अन्याय के खिलाफ है, अडानी कंपनी के खिलाफ है। प्रशासन के द्वारा गांव को उजाड़ने के लिए फर्जी ग्राम सभा से प्रस्ताव पारित कराया गया। जिसकी जांच के लिए मंत्रालय से लेकर पटवारी दफ्तर तक और राज्यपाल से लेकर एसडीएम तक सबसे आवेदन निवेदन किया जा चुका है कि हमारे गांव, जल-जंगल-जमीन को असंवैधानिक तरीके से ना उजाड़ा जाए। लेकिन आज तक न तो सरकार के द्वारा कोई जांच बिठाई गई है और न ही हमें न्याय मिला। बल्कि दिनोंदिन हमारे ऊपर और ज्यादा जुल्म किया जा रहा है।”

मर जाएंगे लेकिन हसदेव को बचाने की लड़ाई नहीं छोड़ेगे

करियाम कहते हैं, “धरना स्थल को जलाना हत्या से कम नहीं है। हमलोग मर जाएंगे लेकिन हसदेव को बचाने की लड़ाई नहीं छोड़ेगे। निरंकुश शासक हो तो न्याय पाना मुश्किल होता है। लेकिन अन्याय के खिलाफ लड़ना ही सच्चा धर्म है। सत्य कभी पराजित नहीं होता। सत्य की हमेशा जीत होती है। हमारा संघर्ष सतत जारी रहेगा।”

“बाबा साहेब अंबेडकर और महात्मा गांधी की तस्वीरें भी जला दी गईं”

वह कहते हैं कि “हम अपने संवैधानिक अधिकारों के तहत पिछले 10 साल से धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। इतने सालों से हमलोग शांतिपूर्वक आंदोलन कर रहे हैं, कभी भी उग्र नहीं हुए। इसके बाद भी कंपनी द्वारा हमारे धरना स्थल को जला दिया गया। खासकर बैठने वाली जगह को तो पूरी तरह से तहस-नहस कर दिया गया है। बाबा साहेब अंबेडकर और महात्मा गांधी की तस्वीरें भी जला दी गईं, साउंड बॉक्स भी जला दिया गया। वहाँ हमने क़रीब 10 किलो चावल और दाल रखा था वह भी जलकर राख हो गया।”

इस घटना के बाद रामलाल करियाम और उनके कुछ साथियों ने उदयपुर पुलिस थाने में एक शिकायत दी। करियाम ने बताया कि पुलिस मामले की जाँच कर रही है, वे हमसे पूछताछ के लिए भी आई थी। वहीं इस मामले में सरगुजा के एसपी विजय अग्रवाल ने मीडिया को बताया कि “इस मामले में हमें शिकायत मिली है। सरगुजा पुलिस की तरफ से जांच कराई जा रही है। घटना की जाँच फॉरेसिंक एक्सपर्ट से भी जांच कराई जाएगी।”

पिछले 750 से भी ज्यादा दिनों से कर रहे हैं आंदोलन

बता दें कि छत्तीसगढ़ का फेफड़ा कहे जाने वाले हसदेव अरण्य को बचाने के लिए पिछले 750 से भी ज्यादा दिनों से आंदोलन चल रहा है। इस आंदोलन में स्थानीय आदिवासी समुदाय के लोगों के अलावा पर्यावरण से जुड़े कई लोग भी शामिल हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, 21 दिसंबर 2023 को रात के समय छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले की उदयपुर तहसील में पड़ने वाले हसदेव अरण्य के उस हिस्से में पेड़ों की कटाई शुरू की गई, जहाँ परसा ईस्ट केते बासेन कोल परियोजना प्रस्तावित है। इस दौरान यहां के गांव घाट बर्रा के पेंड्रामार जंगल को पूरी तरह से काट दिया गया।

जंगल बचाने के लिए संघर्ष कर रहे स्थानीय लोगों को या तो पहले ही हिरासत में ले लिया गया या पुलिस द्वारा उनको अपने ही घर में नजरबंद कर दिया गया। हफ्ते भर तक चली इस कार्यवाही में 15000 से भी ज्यादा पेड़ काट दिए गए। हसदेव अरण्य में इतने बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई का काम पहली बार नहीं हुआ, इससे पहले भी सितम्बर 2022 में वन क्षेत्र के 43 हेक्टेयर इलाके में 8000 से ज्यादा पेड़ काट दिए गए थे।

हसदेव अरण्य के जंगल में तीन कोयला खदान राजस्थान सरकार को आवंटित हैं, जिनका आदिवासी विरोध कर रहे हैं। इन तीनों खदानों का प्रबंधन और खनन का काम राजस्थान सरकार ने अडानी समूह को सौंप दिया है। यहाँ के लोगों का कहना है हसदेव अरण्य में पेड़ों की कटाई अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड को फायदा पहुंचाने के लिए किया जा रहा है, जिसे परसा ईस्ट और केते बासन कोयला ब्लॉक में कोयला खनन के लिए राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड के साथ एक संयुक्त उद्यम में 74 फ़ीसदी हिस्सेदारी दी गई है। हसदेव में हो रहे भारी मात्रा में पेड़ों की कटाई और कोयला खनन पारिस्थितिक विनाश की रूपरेखा तैयार कर रहा है।

जला हुआ धरना स्थल और टेंट।
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जला हुआ धरना स्थल और टेंट।
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