दिल्ली। 2023 की शुरुआत से ही मौसम का कुछ अजब हाल रहा। जनवरी की शुरुआत से शायद ही ऐसा कोई महीना निकला हो जब देश के उत्तरी, उत्तर पश्चिमी भागों में बरसात ना हुई हो। राजस्थान में बिन मौसम में ओलावृष्टि, तेज बारिश और हवाओं ने रबी की फसलों को तबाह किया तो मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश में भी कमोबेश यही हाल था।
बीते तीन-चार दिनों से उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में बारिश ने हाहाकार मचाया। रिपोर्ट्स की माने तो बीते 3 दिनों में करीब 60 लोगों की जानें गई जबकि सैकड़ों मकान और वाहन बह गए। सोशल मीडिया में बारिश से हुई तबाही के खौफनाक मंज़र सैकड़ों वीडियो के रूप में डरा रहे हैं। मानसून की शुरुआत यानी सावन में बारिश का ये आलम है तो आने वाले दो महीनों मे क्या हाल होगा, ये सवाल इन इलाकों में रहने वाले बाशिंदों के मन में उठ रहे हैं।
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग की मानें तो यह स्थिति मानसून सीजन की एक दुर्लभ घटना है जो दो जलवायु कारकों की परस्पर क्रिया का परिणाम है जिसकी वजह से उत्तर भारत के बड़े हिस्से में अतिवृष्टि और जलप्लावन की स्थिति बनी। आईएमडी ने पुष्टि की कि हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के कुछ हिस्सों में भारी बारिश पश्चिमी विक्षोभ के साथ मानसूनी हवाओं के टकराव के कारण हुई है जिसने हिमाचल प्रदेश के ऊपर एक ट्राफ बनाया।
यद्यपि मौसम विज्ञान विभाग अतिवर्षा को एक दुर्लभ घटना बताता है जो 2013 में हिमालय सुनामी से कुछ सामंजस्य रखता है जिसे सेटेलाइट से ली तस्वीरों से समझा गया है। हालांकि पर्यावरणप्रेमी इस विषय पर अपना अलग मत रखते हैं।
अत्याधिक बारिश और हो रही परेशानियों का कारण जानने के लिए द मूकनायक ने पर्यावरणविद् अविनाश चंचल से बात की.अविनाश के मुताबिक "ऐसी बारिश होने के दो मुख्य कारण है . पहला है क्लाइमेट चेंज और दूसरा है विकास कार्य। हिमाचल और उत्तराखंड हिमालय क्षेत्र में आते है जो की काफी नाजुक है. यहां टूरिज्म के नाम पर रीयल एस्टेट और प्रॉपर्टी का कारोबार हो रहा है जिससे स्थानीय लोगों को और तो और हमारे पर्यावरण को नुकसान हो रहा है.
इन विकास कार्यों को शुरू करने पहले से कोई "नीड असेसमेंट" या कोई जांच नही होती है, जो मॉडल दिल्ली में होगा वो यह कारोबारी पर्वतीय क्षेत्र में लाना चाहते है. जो की सरासर ग़लत है. पहले ऐसा नहीं होता था, स्थानीय लोग अपने पर्यावरण अनुसार विकास करते थे. यह न तो स्थानीय लोगों से बात करते हैं न पूछते है, जिस के बाद पर्यावरण को नुक्सान पहुंचता है और में बाद में हमें मौसम की ऐसी चरम स्थितियाँ देखने को मिलती हैं।”
भू स्खलन की वजह से उत्तराखंड राज्य में कई मौतें हुई है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि राज्य में बारिश के कारण हुई घटनाओं में दो दिनों में 17 लोग मारे जा चुके हैं। अधिकारियों ने बताया कि मनाली में फंसे हुए 20 लोगों को बचा लिया गया है लेकिन अभी भी अलग-अलग हिस्सों में लगभग 300 लोग फंसे हुए हैं. वहीं शिमला-कालका रेल मार्ग पर सोमवार को भूस्खलन हुआ जिसके चलते रेल परिचालन मंगलवार तक के लिए रोक दिया गया। शिमला शहर से 16 किमी दूर शिमला-कालका राष्ट्रीय राजमार्ग बाधित हो गया। अधिकारियों ने बताया कि जिले में 120 से अधिक सड़कें बारिश की वजह से प्रभावित हैं।
वहीं उत्तराखंड में भी बारिश जारी है. राज्य के कई जिलों में दो दिनों तक भारी बारिश के ऑरेंज अलर्ट के चलते स्कूल और आंगनबाड़ी केंद्रों में 11 और 12 जुलाई को छुट्टी की गई । उत्तराखण्ड के 13 में से 11 जिलों हरिद्वार, उधमसिंह नगर, नैनीताल, चंपावत, पिथौरागढ़, बागेश्वर, अल्मोड़ा, पौड़ी, देहरादून, टिहरी और चमोली में भारी बारिश होने का अलर्ट जारी किया।
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